मप्र बनेगा जिराफ-जेब्रा का नया ठिकाना

जिराफ-जेब्रा

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। ग्वालियर -चंबल अंचल में अब चीतों की रफ्तार के बाद प्रदेश सरकार ने प्रदेश को जिराफ व जेब्रा का नया ठिकाना बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके अलावा अभी प्रदेश में विदेशों से और चीते लगाकर बसाने की भी तैयारी जारी है। इन्हें गांधी सागर में बसाने की योजना है।   यहां पर भी आठ चीते बसाए जाएंगे। यह चीते  अब दक्षिण अफ्रीका से लाने की योजना है। अब मध्यप्रदेश के ही गांधी सागर बांध के आसपास तीन नर व पांच मादा चीते बसाने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए वन विभाग जरूरी संसाधनों को जुटाने पर फोकस कर रहा है।  इसके लिए संबंधित वन विभाग के अमले के साथ विशेषज्ञों की टीमों दौरा कर चुकी है। इन दौरों में चीतों के लिए अनुकूलता को देखा गया है। निरीक्षण में इस इलाक में चीतों के लिए यहां तमाम अनुकूलताएं पायी गई हैं। सूत्रों की माने तो चीतों को यहां बसाने की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है। इस  वजह से  यहां पर चीतलों को बसाने का काम तेजी से किया जा रहा है। अब तक इस अभ्यारण में कई बार में 266 चीतल छोड़े जा चुके हैं, जिनकी संख्या बढ़ कर अब 350 तक हो गए हैं। इन चीतलों को बीते एक साल में कई बार में यहां लाकर छोड़ा गया है। इन्हें नरसिंहगढ़ सेंचुरी से लाकर यहां छोड़ा गया है। दरअसल 38 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में गांधीसागर अभयारण्य फैला है। इस अभ्यारण में घास वाले मैदान होने की वजह से चीतों के दौड़ने  के लिए भी उपयुक्त स्थान हैं।  
किया वन विहार का चयन
जिराफ और जेब्रा का घर बनाने के लिए वन विहार नेशनल पार्क को चुना गया है। इसके लिए भोजन की उपलब्धता को लेकर  फिजिबिल्टी सर्वे का काम कराया जा रहा है।  जिराफ को भोजन के रुप में पेड़ों की पत्तियां पसंद होती हैं। इसमें भी उन्हें कटीली झाड़ियोंं की पत्तीयां अधिक पंसद आती हैं, जो वन विहार और उसके आस-पास के जंगलों में र्प्याप्त मात्रा में हैं। इस फिजिबिल्टी सर्वे में  उनके  भोजन की पर्याप्तता का आंकलन किया जाएगा। इसके बाद ही  उन्हें लाने के प्रयास किए जाएंगे। इस सर्वे रिपोर्ट को दो माह के अंदर चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को सौंपे जाने की संभावना है। इसके बाद प्रस्ताव तैयार कर यह देखा जाएगा कि जिराफ और जेब्रा कहां से लाए जा सकते हैं। दरअसल देश के कुछ राज्यों के जू में जिराफ हैं। वहां से वन विहार में लाना आसान रहेगा। इसके लिए सिर्फ सेंट्रल जू अथॉरिटी आफ इंडिया (सीजेडए) की अनुमति से एक जू से दूसरे जो तक वन्यजीव लाए जा सकते हैं। इसके अलावा दूसरे प्रस्ताव में केन्द्र सरकार के माध्यम से दूसरे देशों से जिराफ और जेब्रा लाने के प्रयास किए जाएंगे।
अफ्रीकी देशों के दोरे से आया विचार
दरअसल चीतों को लाने के चक्कर में केन्द्र और राज्य के अधिकारियों का कई बार दक्षिण अफ्रीकी देशों का दौरा हुआ। इस दौरान यह देखा गया कि दक्षिण अफ्रीकी देशों में ये दोनों ही प्रजातियां काफी मात्रा में पाए जाते हैं। प्रदेश और दक्षिण अफ्रीकी देशों के जलवायु में कोई विशेष अंतर नहीं है। जंगलों का भौगोलिक स्वरूप कुछ इसी तरह का है, इससे यह प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
माधव नेशनल पार्क में आएंगे 5 बाघ
जल्द ही माधव नेशनल पार्क में टाइगर की दहाड़ सुनाई देगी। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि  शिवपुरी में अगले साल तक पांच टाइगर आ सकते हैं।  उनका कहना है कि इस संबंध में उनकी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से भी चर्चा हो चुकी है। उनका कहना है कि रणथंभोर में टाइगर हैं, कूनो पालपुर में चीता होगा। आगे पन्ना सेंचुरी है। उन्होंने कहा कि इससे यह पूरी पट्टी, रणथंबोर, कूनो पालपुर, माधव नेशनल पार्क शिवपुरी फिर पन्ना सेंचुरी के जरिये पूरा सर्किट बन जाएगी। इससे यह पूरा क्षेत्र सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।

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