किसानों के सोलर प्लांट की कराई जाएगी जियो टैगिंग

  • अनुदान में फर्जीवाड़ा रोकने की कवायद

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
प्रदेश में किसानों को सोलर पम्प देने की तैयारी में जुटी मोहन यादव सरकार ने इसको लेकर नियम तय कर दिए हैं। किसानों को जो सोलर पम्प दिए जाएंगे उनके सोलर प्लांट की जियो टैगिंग की जाएगी। इससे सोलर पम्प और बिजली कनेक्शन पर अनुदान की डुप्लीकेसी की स्थिति से बचा जा सकेगा। खेती कार्य के बाद बची सोलर एनर्जी को दूसरे कामों में उपयोग करने की भी मंजूरी दी गई है। इस योजना में यह भी तय किया गया है कि 3 हार्स पावर तक के सोलर प्लांट के लिए किसानों को 5 प्रतिशत और इससे अधिक क्षमता की सोलर एनर्जी जनरेट करने वाले सोलर प्लांट के लिए 10 प्रतिशत मार्जिन मनी जमा करनी होगी। इसके लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग ने नोटिफिकेशन जारी किया है। यह योजना अगले तीन साल यानि की मार्च 2028 तक लागू रहेगी। दरअसल, 24 जनवरी 2025 को हुई कैबिनेट मीटिंग में सिंचाई के लिए सोलर पम्प स्थापना योजना को मंजूरी दी गई थी। भारत सरकार की कुसुम योजना के घटक में देय अनुदान के माध्यम से प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना मार्च 2028 तक प्रभावी रहेगी। योजना के तहत पांच और सात हार्सपावर के सोलर पम्प कनेक्शन सिर्फ उन्हीं किसानों को मिलेंगे, जिनके पास स्थायी विद्युत कनेक्शन नहीं है। हर सोलर पम्प के साथ एक बोर्ड लगाया जाएगा। इसमें योजना के नाम और अनुदान का उल्लेख होगा। खास बात यह है कि किसानों केो दिए जाने वाले पम्प पर लगे क्यूआर कोड से पूरी जानकारी मिल जाएगी।
दूसरे चरण में मिलेगा स्थायी कनेक्शन वाले किसानों को लाभ
योजना के पहले चरण का लाभ सिर्फ ऐसे किसानों को दिया जाएगा, जिनके पास बिजली कनेक्शन नहीं है। दूसरे स्टेप मे स्थायी विद्युत पम्प का उपयोग कर रहे किसानों को भी सोलर पम्प दिया जाएगा। विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा वर्ष 2023-24 और वर्ष 2024-25 में अस्थायी विद्युत कनेक्शन और स्थायी विद्युत कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं की समग्र और आधार ई-केवाईसी का उपयोग कर उनकी जमीन की डिटेल निकाली जाएगी। इसके आधार पर तैयार होने वाले डेटाबेस पर राज्य सरकार द्वारा ऋण भुगतान किया जाएगा। इसी के आधार पर सब्सिडी वाले किसान तय किए जाएंगे।
दूसरे कामों में कर सकेंगे उपयोग
इससे बनने वाली बिजली को सिंचाई के अलावा दूसरे कामों में उपयोग की जा सकेगी । दरअसल, सोलर पैनल से साल भर में 330 दिन व औसत 8 घंटे ऊर्जा का उत्पादन होता है। खेती के लिए बिजली की महज 150 दिन ही जरूरत होती है। इसकी वजह से बची हुई बिजली का किसान चाफ कटर, आटा चक्की, कोल्ड स्टोरेज, ड्रायर, बैटरी चार्जर आदि कामों में भी कर सकेंगे।
राज्य और जिला स्तर पर बनेगी कमेटी
योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य और जिला स्तर पर कमेटी बनेगी। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी काम करेगी। इसमें सचिव नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग सदस्य सचिव होंगे। ऊर्जा, वित्त, नगरीय विकास और आवास, किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग, राजस्व विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव सदस्य के रूप में होंगे। जिला स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष कलेक्टर होंगे। जिला पंचायत सीईओ, उप संचालक कृषि, प्रबंधक जिला सहकारी बैंक, सहायक संचालक उद्यानिकी, महाप्रबंधक या अधीक्षण यंत्री विद्युत वितरण कम्पनी, जिला अक्षय ऊर्जा अधिकारी ऊर्जा विकास निगम सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
इस तरह से मिलेगा अनुदान
भारत सरकार की कुसुम योजना के अंतर्गत 3 हार्स पावर तक के सोलर पम्प पर 30 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। किसान को 5 प्रतिशत मार्जिन मनी देनी होगी और 65 प्रतिशत राशि कृषक ऋण से आएगी। 3 हार्स पावर से अधिक वाले पंपों पर 30 प्रतिशत अनुदान भारत सरकार से मिलेगा। 60 प्रतिशत से अधिक राशि कृषक ऋण के रूप में होगी। किसान को मार्जिन मनी के रूप में 10 प्रतिशत राशि देना होगी। कुसुम बी योजना में 7.5 हार्स पावर से अधिक के पम्प पर केंद्र के अंश की राशि 7.5 एचपी पम्प पर दिए जाने वाले अनुदान तक ही रहेगी।

Related Articles