
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में बेसहारा गौवंश को जल्द ही सहारा मिलेगा। इसके लिए सरकार प्रदेशभर में गौ सदन का निर्माण कराएगी। गौरतलब है कि मप्र गोवंश के संरक्षण के लिए सर्वाधिक अनुकूल राज्य है। यहां का 951 हजार वर्ग किलोमीटर का जंगल गौ-वंश का आश्रय-स्थल है। सृष्टि के प्रारंभ से ही प्रकृति और मूक-प्राणियों के मध्य एक नैसर्गिक समीकरण बना हुआ है। गायों का भोजन जंगल में और गोबर एवं गौ-मूत्र के रूप में जंगल का आहार गायों के पास। ऐसे में सरकार प्राकृतिक संसाधनों को उपयोग कर गौ संरक्षण की दिशा में सार्थक कदम उठाने जा रही है।
गोवंश वन विहार के रूप में विकसित होने से सडक़ों पर घूमने वाले गोवंश को इनमें संरक्षण मिल सकेगा। गोवंश की वजह से सडक़ों पर हादसे कम होंगे, जाम नहीं लगेंगे, वाहन चालकों को आसानी होगी। गोवंश का जीवन प्राकृतिक और खुशहाल हो जाएगा। यहां गोवंश के लिए चारा से लेकर पानी की पर्याप्त व्यवस्था रहेगी। संचालक मप्र पशुपालन विभाग डॉ.आरके मेहिया का कहना है कि सरकार के निर्देश पर विभाग ने आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी है। यदि अधिपत्य मिलता है तो भविष्य में इनको गौ अभ्यारण्य के रूप में विकसित किया जाएगा।
दिग्विजय सरकार ने भंग कर दिया था गौ सदन
गौ अभयारण्य बनाने के लिए बहुत सारी जमीन की जरूरत होती है। गौ अभ्यारण्य का संचालन सरकार स्वयं करती है। इसके लिए सरकार को स्टाफ समेत भूसा चारा और अन्य संसाधनों की व्यवस्था करना पड़ती है, जिस पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। खास बात है कि प्रदेश में देश का एकमात्र गौ अभयारण्य आगर जिले में है। करीब 1100 एकड़ से ज्यादा के इस गौ- अभयारण्य में 3500 गायों को रखा गया है।
गौ अभयारण्य विकसित करने का खाका तैयार
गौ संवर्धन बोर्ड का अध्यक्ष बनने के बाद स्वामी अखिलेश्वरानंद जी ने भी इस मुद्दे को अभियान के रूप में लिया और लगातार सरकार का ध्यान आकर्षित किया। पशु एंबुलेंस शुभारंभ समारोह में भी उन्होंने इसे प्रमुखता से उठाया। लिहाजा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने न केवल इसको गंभीरता से लिया है, बल्कि पशुपालन विभाग को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश भी दिये हैं। इसको देखते हुए पशुपालन विभाग ने जहां गौ सदनों की जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। वहीं प्राप्त 6700 एकड़ भूमि को गौ अभयारण्य के रूप में विकसित करने का खाका भी तैयार कर लिया है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों की माने तो गौ सदन की भूमि मिलने के बाद इनको गौवंश विहार यानी अभयारण्य के रूप में विकसित करने की योजना है। जहां क्षेत्र की 5 से 10 गौशालाओं में गोवंशों को रखा जाएगा। भूमि की उपलब्धता के अनुसार यहां कम से कम 500 से लेकर 1000 गोवंश साथ रखने की योजना है। खास बात यह है दूध की सुगम आपूर्ति के प्रदेश में गौ सदनों की शुरुआत कराई गई थी।