
- सतना सीट पर माना जाता है बसपा का प्रभाव
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा सांसद गणेश सिंह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले विधानसभा चुनाव हारे, फिर जैसे तैसे लोकसभा का टिकट मिला तो , अब वे त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गए। बीते रोज तक उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाहा से ही था, लेकिन शाम होते -होते वे त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गए। इसकी वजह बने हैं उनके पूर्व राजनैतिक विरोधी नारायण त्रिपाठी।
त्रिपाठी दोपहर में बसपा में शामिल हुए और रात में प्रत्याशी घोषित कर दिए गए। पिछली बार वे भाजपा के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे, लेकिन विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उनके द्वारा स्वयं का राजनैतिक बदल बना लिया गया था और उसके टिकट पर चुनाव में उतरे लेकिन हार गए। इसके बाद से वे राजनैतिक रुप से गायब हो चुके थे, लेकिन अब वे बसपा में शामिल होकर सतना लोकसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। यह बात अलग है कि वे इस चुनाव में जीते या हारें, लेकिन भाजपा प्रत्याशी गणेश सिंह के लिए जरुर मुसीबत बन गए हैं। इसकी वजह है इस सीट के जातिगत समीकरण और बसपा का प्रभाव।
इस बीच त्रिपाठी का दावा है कि वे सतना में भाजपा को नहीं जीतने देंगे। दरअसल यह वो सीट है, जहां पर पहले भी बसपा अपना सांसद जिता चुकी है और उसके सांसद के पुत्र सिद्धार्थ कुशवाहा कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा प्रत्याशी हैं। त्रिपाठी के साथ पूर्व सांसद बुद्धसेन पटेल भी बसपा में आ गए। यद्यपि बुद्धसेन पटेल बसपा से ही पहली बार रीवा से सांसद चुने गए थे। बुद्धसेन रीवा सीट से 1996 में बसपा के टिकट पर पहली बार सांसद बने तो सभी चौंक गए थे। इसके बाद वे भी त्रिपाठी की ही तरह तमाम दलों में आते जाते रहे हैं। इस बीच वे 2013 में गुढ़ विधानसभा सीट से चुनाव भी हारे हैं।
यह है सतना सीट का जातिगत समीकरण
सतना लोकसभा में करीब 1 लाख क्षत्रिय, 1 लाख 23 हजार पटेल, 65 हजार वैश्य, अनुसूचित जाति के 1 लाख 47 हजार, अनुसूचित जन जाति के 1 लाख 37 हजार वोटर्स हैं। ब्राह्मणों की संख्या 3.50 लाख के करीब है। सतना से त्रिपाठी को मैदान में उतारकर ब्राह्मण को साधने की कोशिश की है। वहीं, भाजपा ने क्षत्रिय और पटेल वोटों को साधने के लिए सतना सीट से एक बार फिर से गणेश सिंह को मैदान में उतारा है। इसी तरह से कांग्रेंस ने सिद्धार्थ कुशवाहा पर दांव लगाकर कुशवाहा मतदाताओं को साधने का प्रयास किया है। कुशवाहा 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर सतना से विधायक बने थे। इसके बाद वे हाल ही में दोबार से विधायक बने हैं। वे पूर्व सांसद सुखलाल कुशवाहा के बेटे हैं। सुखलाल कुशवाहा ने 1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को चुनाव हराया था।
राजनैतिक पर्यटक माने जाते हैं त्रिपाठी
नारायण त्रिपाठी ऐसे नेता हैं, जो चार बार विधायक रहे, लेकिन खास बात यह है कि वे हर बार अलग-अलग दलों से विधायक बने हैं। यही वजह है कि उन्हें प्रदेश में सबसे बड़ा राजनैतिक पर्यटक नेता माना जाने लगा है। वे सपा कांग्रेस व भाजपा से विधायक रह चुके हैं। बसपा उनका चौथा दल है। बीते चुनाव में वे निर्दलीय तौर पर लड़े और चौथे स्थान पर रहे। उनके द्वारा इस बीच पृथक विध्य की मांग पर जोर देने के लिए अलग दल भी बनाया जो सफल नहीं हो सका।