भावी पीढ़ी को मिलेगी जल सुरक्षा

जल सुरक्षा
  • जल संरक्षण की मिसाल बना जल गंगा सवंर्धन अभियान

मप्र आज संजीदगी और तत्परता से योजनाओं-परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मिसाल बनता जा रहा है। यही कारण है कि मप्र में जो भी योजना शुरू होती है, वह दूसरे राज्यों के लिए प्रेरणा बन जाती है। इन्हीं में से एक है जल गंगा सवंर्धन अभियान। यह अभियान जल संरक्षण की मिसाल बन गया है। इससे भावी पीढ़ी को जल सुरक्षा मिलेगी।

विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जल संरक्षण-संवर्धन के संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जल गंगा सवंर्धन अभियान का शुभारंभ 30 मार्च को किया था। पूरे प्रदेश में अभियान प्रारंभ से ही जन-आंदोलन बनकर आगे बढ़ा और उसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं। पहली बारिश में ही अभियान में बनाए गए खेत तालाब लबालब हो गए। केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के जल संचय, जनभागीदारी अभियान में जल संचय के लिए खंडवा जिले को देश में प्रथम स्थान मिला है और राज्यों की श्रेणी में मप्र चौथे स्थान पर रहा है। खेत तालाबों में हो रहे जल संचय से किसानों को आवश्यकता के समय पर्याप्त जल उपलब्ध रहेगा, भूजल स्तर में वृद्धि होगी और खेत में मौसमी फसलों के साथ ही मछली पालन एवं तालाब के किनारों पर बागवानी का भी अवसर मिलेगा। मप्र जन अभियान परिषद् द्वारा शासन के महत्वपूर्ण जल गंगा संवर्धन अभियान में संपूर्ण प्रदेश में विविध जल संरक्षण गतिविधियों में 35 लाख लोगों की व्यापक स्तर पर सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित कर अभियान को सफलता के नये सौपानों तक पहुंचाया है। जन अभियान परिषद ने जल गंगा संवर्धन अभियान में अपने नेटवर्क प्रस्फुटन समितियां, नवांकुर संस्थाओं, मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम के परामर्शदाताओं के माध्यम से जल संरक्षण की बहुआयामी गतिविधियों में जनसहभागिता सुनिश्चित की है। परिषद की गतिविधियां मुख्य रूप से चार आयामों पर की जा रही है जिनमें जन-जागरूकता, जनसहभागिता, जनरचनात्मकता एवं जनसहभागिता दस्तावेजीकरण प्रमुख है।
जन-जागरूकता आयाम के अंतर्गत जल स्त्रोतों के प्रति संवेदीकरण के उद्देश्य से प्रभातफेरी और जागरुकता रैली, ग्राम सभा एवं चौपालों में चर्चा एवं नुक्कड़ नाटक के आयोजन, याम और ग्राम पंचायत स्तर पर किये जा रहे हैं। जनसहभागिता आयाम के अंतर्गत परिषद ने लघु जल संरचनाओं के निर्माण, नदी, तटों की साफ-सफाई, कुआं, बावडी, तालाबों की साफ-सफाई और वृक्षारोपण की तैयारी भी की है। जन रचनात्मकता आयाम के अतर्गत गतिविधियों के आयामों का उद्देश्य युवा प्रतिभाओं को इस दिशा में प्रेरित ओर प्रोत्साहित करता है। इस दृष्टि से गांव-गांव में दीवार लेखन, नारा लेखन के साथ-साथ कलात्मक, साहित्यिक एवं संगीत की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई है। अभियान अंतर्गत 35 लाख से ज्यादा जनसमुदाय द्वारा सहभागिता की गई। प्रदेश की जीवन रेखा मां नर्मदा को निर्मल और अवरिल रखने के उद्देश्य से परिषद द्वारा 25 मई से 5 जून के मध्य नर्मदा संरक्षण एवं सर्वेक्षण यात्रा का आयोजन किया गया है। जिसका उद्देश्य नर्मदा तटीय क्षेत्रों में परिषद के नेटवर्क के माध्यम से नर्मदा नदी को अविरल निर्मल नेता नर्मदा परिक्रमवासियों के लिए नर्मदा पथ को सुगम बनाने की दृष्टि से सामुदायिक सहभागिता के प्रयास किये गये हैं। इसके साथ ही मप्र जन अभियान परिषद द्वारा प्रदेश के जनसमुदाय को जागरूक करते हुए प्रदेश को प्लास्टिक मुक्त करने की अपील की गई।

बन रहे नए खेत तालाब
जल गंगा सवंर्धन अभियान के तहत प्रदेशभर में नये खेत तालाब बन रहे हैं। पुराने कुओं, बावडिय़ों और तालाबों का जीर्णोद्धार हो रहा। वारा सिवनी में तुमाड़ी की सुनीता जैराम के खेत-तालाब बनाया था। करीब 6 फिट गहराई में बने खेत तालाब से सुनीता और उनके पति मिलकर मछली पालन के साथ ही खरीफ में गेहूं और रबी में धान की फसल ले रहे है। इससे उन्हें 1 लाख रुपये तक का मुनाफा हो रहा है। शहडोल जिले में आगामी तीन माह तक जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत नये तालाब बनाये जा रहे हैं, साथ ही तालाबों, बावडिय़ों और कुंओं का जीर्णोद्धार भी किया जा रहा है। नदियों को साफ-स्वच्छ एवं प्रवाहमान बनाए रखने के लिए भी कार्य किए जा रहे हैं। अभियान के अंतर्गत जनपद पंचायत गोहपारू के ग्राम पंचायत पोड़ी, नवागांव, हर्री में नवीन खेत तालाब बनाए गए। जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत कटनी शहर की कटनी नदी के कटाए घाट में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जलकुंभी की सफाई का अभियान चलाया गया। जल संरक्षण के प्रति जन जागरूकता की अलख जगाने के लिए जल संरक्षण का प्रण लिया गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्थानीय एनजीओ ने जन भागीदारी के साथ श्रमदान किया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुसार नर्मदा के सीमावर्ती 16 जिलों, 51 विकासखंडों में जीवनदायनी नर्मदा के जल को निर्मल तथा प्रवाह को अविरल बनाये रखने के लिए मां नर्मदा सर्वेक्षण एवं जन जागरण यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन 25 मई से प्रारंभ हुआ है और 5 जून तक चला। डिंडोरी में यात्रा जिले के दक्षिण तट से 29 मई को भटनगर घाट पर मां नर्मदा की स्वच्छता के लिए सामुदायिक श्रमदान और नर्मदा की आरती एवं नर्मदाष्टक के साथ ग्राम पंचायत मेड़ाखार विकासखण्ड करंजिया से प्रारंभ हुई है जो क्रमश: बरनई, रूसामाल, परसेलमाल, बुंदेला होते हुये गोरखपुर तक पहुंच गई है। पांढुर्णा जिले में विकासखंड सौंसर के घोगरीखापा में नवांकुर संस्था यूथ ऑफ सौंसर एसोसिएशन और मप्र जन अभियान ने स्थानीय निवासियों के सहयोग से साफ-सफाई कर जल संरक्षण के लिये ग्रामीणों को जागरूक किया।
प्रदेश में जल संरक्षण की यात्रा दिन प्रति दिन मजबूती से आगे बढ़ रही है। जनभागीदारी से जल संरचनाओं के संरक्षण और सफाई के कार्य हाथ में लिये गये है। ऐतिहासिक, संस्कृतिक और धार्मिक महत्व वाले जल स्त्रोतों के सफाई के कार्य को प्राथमिकता दी जा रही है। नर्मदा पथ पर यात्रा के माध्यम से नदी किनारे ग्रामों में जल चौपाल कर ग्रामीणों को नदी के आसपास साफ सफाई के महत्व के बारे में जानकारी दी जा रही है। शहडोल जिले में स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से जल संवर्धन का कार्य लगातार किया जा रहा है। इसी के साथ जल है जीवन की धारा, कल का यही सहारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्पों को साकार करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर जल गंगा सवंर्धन अभियान 30 मार्च से 30 जून तक चलाया जा रहा है। यह अभियान जन-जन के जीवन से जुड़ा महत्वपूर्ण अभियान है। अभियान के अंतर्गत जहां एक ओर नये तालाब बनाये जा रहे, वहीं दूसरी ओर पुराने तालाबों, बावडिय़ों और कुंओं का जीर्णाद्वार का कार्य भी किया जा रहा है। नदियों को साफ-स्वच्छ एवं जल एकत्रित करने के लिए भी कार्य किए जा रहे हैं। इस अभियान के तहत ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व वाले तालाबों, जल स्रोतों तथा देवालयों में जल संरक्षण के कार्य भी किये जा रहे हैं। अभियान जन प्रतिनिधियों, स्थानीय समुदाय, जनभागीदारी, आमजन और सरकार के संयुक्त प्रयास से संचालित हो रहा है। अभियान में मशीन, सामग्री और श्रम का समुचित नियोजन किया जा रहा है। जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत शहडोल जिले के जनपद पंचायत सोहागपुर के ग्राम पंचायत मैकी, ग्राम पंचायत दुलादर सहित अन्य ग्राम पंचायतों में नवीन खेत तालाब के कार्य किये गए है।

पारंपरिक जल स्त्रोतों का संरक्षण
जल से ही जीवन का आरम्भ हुआ। जल ही जीवन का आधार है। मानव शरीर का 70 प्रतिशत भाग जल से निर्मित है। स्वास्थ्य और संतुलित विकास का मूल आधार भी जल ही है। जल हमें स्वच्छता, संपन्नता और समृद्धि की ओर ले जाता है। यह समुद्रों, नदियों, झीलों और तालाबों के रूप में प्रकृति में विद्यमान है, लेकिन इसके संरक्षण-संवर्धन की आवश्यकता है। आज जल का संरक्षण आने वाले पीढिय़ों की सुरक्षा का आधार बनेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशानुसार प्रदेश में जल गंगा सवंर्धन अभियान चलाया जा रहा है। जन-जन के जीवन से जुड़े इस अभियान में नये तालाब बनाये जा रहे हैं, पुराने तालाबों, बावडिय़ों और कुंओं का जीर्णोद्धार किया जा रहा है और नदियों को साफ-स्वच्छ किया जा रहा है। अभियान में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व वाले तालाबों, जल स्रोतों तथा देवालयों में भी जल संरक्षण के कार्य भी किये जा रहे हैं। अभियान के अंतर्गत एक माह में जन सहयोग से हुए काम के परिणाम भी सामने आने लगे हैं। मानसून पूर्व प्रदेश में हुई पहली बारिश में ही अभियान में बने खेत तालाब वर्षा जल स्टोर हो रहा है।
छतरपुर जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत विभिन्न कार्य किए जा रहे है। साथ ही पारम्परिक जल स्त्रोतों के जीर्णोद्धार, मरम्मतीकरण, गहरीकरण एवं साफ सफाई आदि कार्य किए जा रहे है। इसी क्रम में बिजावर में श्री जानकी निवास मंदिर परिसर में लगभग 150 वर्ष पुरानी एक बावड़ी का जीर्णोद्धार कार्य जनभागीदारी और प्रशासनिक समन्वय सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। डेढ़ सदी पुरानी यह बावड़ी अपने समय में बिजावर के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत थी। समय के साथ उपेक्षा और रख-रखाव की कमी के कारण यह जीर्ण-शीर्ण हो गई थी। जिसे अब नया जीवन दिया गया है। जल है प्रकृति का अमूल्य उपहार बचाओ इसे, यही है जीवन का आधार शहडोल जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायतो में जल संरक्षण के कार्य कराए जा रहे हैं। जनपद पंचायत बुढार में ग्राम पंचायत घोघरी, गोरतरा, कदाहर में नवीन खेत तालाब के निर्माण का कार्य किया गया। कुल 1673 तालाबों, चेकडेम, स्टाप डेम एवं अन्य जल संरचनाओं को चिन्हित कर, 918 जल संरचनाओं का जन सहयोग से गहरीकरण कर एक लाख 6319 ट्रेक्टर ट्राली मिटटी निकालकर किसानों ने अपने खेतों में डाली है। इस कार्य में कुल 6519 ग्रामीणों ने अपनी सहभागिता की है। इससे एक ओर जहां तालाबों एवं जल संरचनाओं का गहरीकरण होकर उनकी जल भराव क्षमता 43 लाख 23 हजार 299 घन मीटर से बढक़र एक करोड़ 15 लाख 77 हजार से अधिक घन मीटर हो गई है। किसानों को अपने खेतों के लिये उपजाऊ मिटटी भी उपलब्ध हुई है। नीमच जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत 243 ग्राम पंचायतों में गहरीकरण के लिए 831 चिन्हित खेत तालाब के कार्यो में से वर्तमान में 721 खेत तालाबों का निर्माण कार्य जारी है। कलेक्टर ने शेष रहे खेत तालाबों का निर्माण कार्य भी तत्काल प्रारंभ करवाकर पूर्ण करवाने के निर्देश दिए। कुंआ रिचार्ज के स्वीकृत कुल 1900 कार्यो में से वर्तमान में 1860 कुंआ रिचार्ज के कार्य प्रगति पर हैं। कलेक्टर ने कुंआ रिचार्ज के सभी कार्य एक सप्ताह में पूर्ण करने के निर्देश जनपद सीईओ और उपयंत्रियों को दिए।

खंडवा ने बढ़ाया मप्र का मान
केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे जल संचय, जनभागीदारी अभियान में खंडवा जिले ने कीर्तिमान रचकर देशभर में मप्र का मान बढ़ाया है। खंडवा जिले ने जल संचय करने वाले जिलों में देश में प्रथम स्थान हासिल किया है। वहां राज्यों की श्रेणी में देश में मप्र चौथे नंबर है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने प्रदेश और जिलों की रैंकिंग जारी की है। ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जल संरक्षण अभियान में मप्र सरकार मिशन मोड में काम कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में बारिश के पानी का संचयन करने तथा पुराने जल स्त्रोतों को नया जीवन देने के लिए जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। प्रदेश में बारिश के पानी को रोकने खेत तालाब, कूप रिचार्ज पिट, अमृत सरोवर सहित अन्य कार्य किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जल संचय, जनभागीदारी अभियान में खंडवा जिले को देश में प्रथम स्थान मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की है।उन्होंने खंडवा के नागरिकों,जन-प्रतिनिधियों और शासकीय अमले को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि जल संरक्षण सरकार की प्राथमिकता है। डॉ. यादव ने कहा है कि पूरा विश्वास है कि इस अभियान में पूरे प्रदेश के सभी जिलों में बेहतर से बेहतर कार्य होगा।
जल गंगा संवर्धन अभियान के राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी एवं मनरेगा आयुक्त अविप्रसाद ने बताया कि खंडवा जिले में अभियान अंतर्गत मनरेगा, 15वां वित्त, 5वां वित्त, सीएसआर एवं जनसहयोग से 1 लाख 29 हजार 46 से अधिक संरचनाओं का निर्माण एवं पंजीकरण किया गया है। इसमें 12750 कूप रिचार्ज पिट, 1500 रिचार्ज सॉफ्ट, 23570 डगवेल, 5780 बोल्डर चेकडेम, 1256 बोल्डर वॉल, 3960 बोरीबंधान, 7455 पत्थर/मिट्टी के फील्डबण्ड, 5500 गलीप्लग (गेबीयन/लूज बोल्डर), 3269 नाला ट्रेंच, 6528 हैंडपंप रिचार्ज, 39000 रूफवाटर हार्वेस्टिंग, 58 चेकडैम/स्टॉपडैम/तालाब, 4800 पोखर तालाब, 2275 ड्रेनवर्क, 1500 खेत तालाब, 68 कंटूर ट्रेंच, 750 सूखे बोर रिचार्ज, 2462 जीर्णोद्धार कार्य एवं 6560 अन्य जल संरक्षण के जैसे जल संरचनाओं का पुनरुद्धार, हैंडपंप पुनर्भरण, सूखे बोरवेल का पुनर्भरण और कुएं के पुनर्भरण कार्य शामिल हैं। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी रैंकिंग के बाद भारत सरकार द्वारा जिले में हुए कार्यों का भौतिक सत्यापन किया जाएगा। इसके बाद ही केंद्र सरकार द्वारा पुरस्कार की घोषणा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि जल संचय, जनभागीदारी अभियान अंतर्गत एक अप्रैल 2024 से 31 मई 2025 के बीच जो निर्माण किया गया है, उसके आधार पर खंडवा जिला देश में पहले नंबर पर है।

मनरेगा योजना से बनाए जा रहे खेत तालाब
भोपाल जिला मुख्यालय से लगभग 24 किलो मीटर दूर स्थित जनपद पंचायत फंदा की ग्राम पंचायत कालापानी के ग्राम बोंदाको में निवासरत जनजातीय परिवारों ने जल संरक्षण की दिशा में सराहनीय पहल की है। जनजातीय परिवारों ने बारिश के पानी का महत्व समझा जिसका परिणाम है कि गांव में पहली बार जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत वर्षा जल के संचयन के लिए 19 खेत तालाब बनाए जा रहे हैं इसमें से 16 निर्माण कार्य प्रारंभ हो गये हैं। जनपद पंचायत फंदा के गांव बोंदाको में 200 से अधिक जनजातीय परिवार के लोग निवास करते हैं। इन्हें प्रदेश सरकार द्वारा वनाधिकार अधिनियम के तहत गांव में कृषि व निवास के लिए वन भूमि आवंटित की गई है। गांव में पहली बार वनाधिकार पट्टे के तहत मिली जमीन पर मनरेगा योजना में खेत-तालाब बनाए जा रहे हैं। इससे इन जनजातीय परिवारों को दोहरा लाभ मिल रहा है। एक तरफ जहां मनरेगा योजना के तहत रोजगार मिल रहा है, तो वहां दूसरी तरफ खेत-तालाब के बन जाने से इन्हें फसलों की सिंचाई सुविधा का लाभ मिलेगा। जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत जनपद पंचायत फंदा में एक अमृत सरोवर, 124 से अधिक खेत तालाब और 75 से अधिक कूप रिचार्ज पिट का निर्माण किया जा रहा है। ग्राम पंचायत कालापानी के गांव बोंदाको में सिंचाई की सुविधा नहीं है। पंचायत के उपयंत्री जेजे सिंह कुशवाहा ने बताया कि जनजातीय समुदाय के लोग पट्टे के तहत मिली जमीन पर खेत-तालाब निर्माण को लेकर पहले तैयार नहीं थे उन्हें इस संबंध में लगातार जागरूक किया गया। उन्हें इससे होने वाले फायदे के बारे में जानकारी दी गयी। उन्होंने बताया कि गांव में एक एकड़ से अधिक भूमि वाले हितग्राहियों के यहां पर खेत-तालाब बनाए जा रहे हैं। जनजातीय समुदाय के किसानों ने बताया कि गांव में सिंचाई की सुविधा नहीं होने से सिर्फ मक्का की खेती करते थे। अब खेत तालाब के बनने से दो फसल का फायदा ले सकेंगे। गेहूं, चना, तुवर और मक्का जैसी फसलों की सिंचाई कर सकेंगे। आजीविका को बढ़ावा देने के लिए मछली पालन भी कर सकेंगे इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। जनपद पंचायत फंदा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत भानपुर केकडिय़ा के ग्राम भानपुर केकडिय़ा में भी वनाधिकार पट्टे की जमीन पर खेत-तालाब बनाये जा रहे हैं। यहां पर भी जल गंगा संवर्धन अभियान में मनरेगा योजना के अंतर्गत 16 खेत-तालाबों का निर्माण कार्य किया जा रहा है।
छिंदवाड़ा जिले की जनपद पंचायत चौरई के ग्राम पंचायत जमतरा और सांक में जनजातीय समुदाय को बफर जोन में वनाधिकार पट्?टा अधिनियम के तहत जमीन आवंटित की गई है। यहां पर निवासरत लोगों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिले और भू-जल स्तर में वृद्धि हो, इसके लिए बफर जोन में आवंटित की गई। जमीन पर जल गंगा संवर्धन अभियान में मनरेगा योजना के तहत खेत-तालाब का निर्माण कराया जा रहा है। ग्राम पंचायत जमतरा में 12 खेत तालाब और 5 कपिल धारा कूप योजना में कुआं का निर्माण कराया जा रहा है। छिंदवाड़ा जिले में 2 हजार 415 खेत तालाब, 4 हजार 138 कूप रिचार्ज पिट और 57 अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं।

वन विभाग की प्रभावी पहल
जल गंगा संवर्धन अभियान में वन विभाग द्वारा जल स्रोतों के संरक्षण और वन्य जीवों की जल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये उल्लेखनीय कार्य किए जा रहे हैं। प्रदेश में अभियान 30 मार्च से क्रियान्वित है। अभियान 30 जून तक चलेगा। अभियान के तहत वन क्षेत्रों में तालाबों, झिरियों, सांसर, स्टॉप डैम और वाटर लिफ्टिंग सिस्टम जैसी संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार कुल 308 तालाबों का निर्माण, 329 तालाबों का गहरीकरण, 371 सौसर निर्माण, 94 स्टॉप डैम, 1966 झिरिया निर्माण और 20 किलोमीटर वाटर लिफ्टिंग सिस्टम विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। वन विभाग द्वारा जल संवर्धन अभियान में 97 तालाबों का निर्माण, 126 तालाबों का गहरीकरण, 215 सांसर, 106 स्टॉप डैम, 1035 झिरियों का निर्माण और 12 किलोमीटर वाटर लिफ्टिंग सिस्टम का कार्य पूरा किया जा चुका है। शेष जल संरचनाओं का निर्माण कार्य भी किया जा रहा है। अविरल निर्मल नर्मदा योजना में वर्ष 2025-26 में 5600 हेक्टेयर क्षेत्र में पौध-रोपण एवं भू-जल संरक्षण कार्य के लिए 70 करोड़ रुपये की परियोजना के लिये भारत सरकार से अनुमोदन प्राप्त हो चुका है और रोपण कार्य के लिये क्षेत्र की तैयारी तथा भू-जल संरक्षण कार्य प्रारंभ कर दिए गए हैं। इस क्षेत्र में वर्ष 2026 में रोपण कार्य किया जाएगा। वन विभाग की यह पहल प्रदेश में जल संरक्षण और पारिस्थितिकी संतुलन की दिशा में एक सशक्त कदम है। जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत वन विभाग ने जल संरक्षण, पौध-रोपण और जैव विविधता के संवर्धन के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। वर्ष 2025-26 में विभिन्न योजनाओं के तहत 75 हजार 25 हेक्टेयर क्षेत्र में 5.38 करोड़ पौधों के रोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके लिए विभागीय रोपणियों में 6 करोड़ पौधों की तैयारी की गई है। भारत सरकार से 71 हजार 650 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए परियोजना की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। वर्ष 2026 में पौध-रोपण कार्य किया जाएगा। 702 अमृत सरोवर, 13 हजार 441 जल स्रोतों का सीमांकन, 11 हजार 588 भू-जल स्रोत चिन्हित कर 29 वनखंडों में 47 परकोलेशन टैंक का निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। विभागीय रोपणियों में 6 करोड़ पौधे तैयार करने का लक्ष्य रखा गया था, विभाग ने लगभग एक करोड़ अधिक 6.99 करोड़ पौधे तैयार कर लिये हैं। वन विभाग द्वारा अभियान में नदियों एवं अन्य जल स्रोतों में जलजीवों के संरक्षण की दिशा में भी उल्लेखनीय पहल की गई है। देवरी मुरैना में घडिय़ाल, मगरमच्छ और कछुआ संवर्धन केंद्र की स्थापना की गई है। वर्ष 2024-25 में 108 घडिय़ाल शावकों को चंबल नदी में, और 10 कछुओं को जल स्रोतों में पुन: स्थापित किया गया। भोपाल के बड़ा तालाब में 5 कछुए छोड़े गए। वन विभाग द्वारा घडिय़ाल संरक्षण केंद्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सुविधाओं का विकास किया गया है। वर्तमान में 7 घडिय़ाल अभयारणों का संचालन किया जा रहा है। प्रदेश में कुल 195 मगरमच्छ की गणना की गई है और 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सभी गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं। इन सभी प्रयासों से प्रदेश की जलवायु, पारिस्थितिकी और जैव विविधता को दीर्घकालिक लाभ प्राप्त होगा। वन विभाग के प्रयासों से न केवल प्रदेश की पारिस्थितिकी सुदृढ़ हो रही है, बल्कि जल संरक्षण और जैव विविधता को भी बढ़ावा मिल रहा है।

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