किसानों के खसरे में रहेगी कर्ज की पूरी जानकारी

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  • किसानों की कर्ज खोरी पर नकेल: अब बैंक कर्ज देने से पहले जान सकेंगे किसानों की भूमि की स्थिति

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
    प्रदेश में खेती की भूमि पर कर्ज लेकर ऐश करने वाले किसानों पर सरकार नकेल कसने जा रही है। इसके तहत अब किसान जिस भूमि पर कर्ज लेगा उसकी जानकारी उस खसरे में दर्ज कर दी जाएगी। इससे किसान एक भूमि पर दो बैंकों से कर्ज नहीं ले पाएगा। जानकारी के अनुसार कई किसान एक ही भूमि पर कई बैंकों से कर्ज ले चुके हैं।
    सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ऋण वसूली और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के भुगतान से जुड़े मामलों में यह सामने आया था कि किसान एक ही भूमि पर एक से अधिक बैंकों से ऋण ले लेते हैं। ऐसे में वसूली या फिर भुगतान को लेकर समस्या आती है। सीएम हेल्पलाइन में भी फसल बीमा का भुगतान नहीं होने की शिकायत की जांच में यह बात सामने आई किसान को एक बैंक से बीमा का भुगतान हो चुका है। जबकि, उसने जानकारी छुपाकर दूसरे बैंक से भी उसी भूमि पर बीमा कराया था।
    दो जगह से ऋण लेने संबंधी गड़बड़ी नहीं होगी
    प्रदेश में सहकारी समितियों के माध्यम से खरीफ और रबी सीजन में 35 लाख से ज्यादा किसान अल्पावधि फसल ऋण लेते हैं। अपेक्स के प्रबंध संचालक पीएस तिवारी ने बताया कि सहकारी समिति के माध्यम से सालाना दस हजार करोड़ रुपए से अधिक का ऋण किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर देते हैं। इसके लिए सिर्फ खसरे की नकल ली जाती है। अब खसरे में ऋण संबंधी जानकारी भी दर्ज की जाएगी और यह राजस्व विभाग के पोर्टल पर उपलब्ध रहेगी। इससे दूसरे बैंकों को यह पता होगा कि संबंधित खसरे पर ऋण लिया गया है और वो बंधक है। इससे एक भूमि पर दो जगह से ऋण लेने संबंधी गड़बड़ी नहीं होगी।
    अब एक भूमि पर दो बैंकों से ऋण नहीं
    सूत्रों के अनुसार, प्रदेशभर से आ रही शिकायतों के बाद सरकार ने निर्णय लिया है कि अब खसरे में कर्ज दर्ज किया जाएगा। इससे प्रदेश में अब किसान एक ही भूमि पर दो बैंकों से ऋण नहीं ले पाएंगे। इसके लिए सरकार अभियान चलाकर संबंधित भूमि पर लिए अल्पावधि फसल ऋण को खसरे में दर्ज करने जा रही है। इससे सभी बैंकों को यह पता रहेगा कि किस किसान ने किस बैंक से किस खसरे पर ऋण लिया है। इसके लिए राजस्व विभाग ने सहकारिता विभाग को मॉड्यूल तैयार करके दिया है। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां इसमें ऋण लेने वाले किसान से संबंधित भूमि के खसरे में जानकारी दर्ज करेंगी। अभी सिर्फ खसरे की नकल लेकर ऋण दिए जाने की व्यवस्था है।
     वसूली को लेकर आती है बड़ी समस्या
    प्रदेश के राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ऋण वसूली और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के भुगतान से जुड़े मामलों में यह सामने आया था कि किसान एक ही भूमि पर एक से अधिक बैंकों से ऋण ले लेते हैं। ऐसे में वसूली या फिर भुगतान को लेकर समस्या आती है। सीएम हेल्पलाइन में भी फसल बीमा का भुगतान नहीं होने की शिकायत की जांच में यह बात सामने आई किसान को एक बैंक से बीमा का भुगतान हो चुका है। जबकि, उसने जानकारी छुपाकर दूसरे बैंक से भी उसी भूमि पर बीमा कराया था। इस तरह की समस्या बार-बार सामने आने पर सहकारिता विभाग ने राजस्व के अधिकारियों से बात की और फिर खसरे में ऋण का उल्लेख करने का निर्णय लिया है। कृषि और सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव अजीत केसरी ने बताया कि सहकारी समितियां किसानों को अल्पावधि फसल ऋण खसरे की नकल लेकर देती हैं। इससे आधार पर पात्रता के अनुसार ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इसी ऋण पर प्रधानमंत्री फसल बीमा भी होता है। कई बार किसान अन्य बैंकों से भी संबंधित भूमि पर ऋण ले लेते हैं। इससे वसूली में समस्या आती है और समय पर ऋण नहीं चुकाने से किसान डिफाल्टर हो जाता है। इसके मद्देनजर यह तय किया है कि खसरे में ही यह उल्लेख कर दिया जाएगा कि किसान ने समिति से ऋण लिया है। 12 से 15 फीसदी खसरों में जानकारी भी दर्ज हो गई है। आयुक्त भू-अभिलेख ज्ञानेश्वर पाटील ने बताया कि सहकारी संस्थाओं द्वारा दिए  जाने वाले ऋण अभी खसरे में दर्ज नहीं होते हैं। इसके लिए सहकारिता विभाग को माड्यूल बनाकर दिया है।

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