बिजली संकट: जनता से लेकर मंत्री तक हलाकान

बिजली संकट
  • माननीयों को सताने लगी है चुनाव की चिंता

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में डेढ़ दशक बाद एक बार फिर से बिजली संकट बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। सरकार के तमाम दावों व वादों के बीच हालात यह हैं कि किसानों को न तो सिंचाई के लिए और आम आदमी को  गर्मी से राहत के लिए भी र्प्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है, लिहाजा लोगों में अघोषित बिजली कटौती को लेकर सरकार के प्रति लगातार नाराजगी बढ़ती ही जा रही है। इसका गुस्सा तो अब जन प्रतिनिधियों से लेकर विभाग के अधिकारियों तक पर उतरना शुरू हो गया है। यही वजह है की अब तो जनप्रतिनिधियों को चुनाव में हार का डर तक सताने लगा है। ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर सूबे के कृषि मंत्री कमल पटेल का वायरल हो रहा है, जिसमें वे बिजली मंत्री प्रद्युम्न  तोमर से उनके इलाके में बिजली आपूर्ति कराने की गुहार लगा रहे हैं। इस बीच विभाग द्वारा बिजली की दरों में वृद्वि की कवायद शुरू कर दी गई, जो आग में घी डालने के  रुप में देखा जा रहा है। वायरल हुए वीडियो में पटेल ऊर्जा मंत्री से नर्मदापुरम संभाग में बिजली कटौती के हालात बयां कर रहे हैं। वह ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर से कह रहे हैं कि बिजली कटौती को रोका जाए। किसानों को बिजली नहीं मिल रही है। बिजली नहीं मिली तो 4 हजार करोड़ की मूंग की फसल खत्म हो जाएगी। किसान निपटा, तो वो हमको भी निपटा देगा। वीडियो में कृषि मंत्री कहते दिख रहे हैं कि भाई मेरे हरदा और होशंगाबाद में मूंग की फसल को देखते हुए बिजली कटौती बंद करके जो 10 घंटे बिजली मिल रही है, वो तो दिलवा दो यार..। ऊर्जा मंत्री तोमर बिजली दिलाने का आश्वासन दे रहे हैं। इसमें वे कह रहे हैं की मैंने एमडी को बताया है। आप टाइट करके और बोल दो। लोड सेटिंग के नाम पर बहुत काटते हैं। वो लोड सेटिंग नहीं करें। हरदा और होशंगाबाद में। ठीक है भाई। बता दें कि नर्मदापुरम संभाग के जिलों में बिजली कटौती के कारण मूंग की फसल पर असर पड़ रहा है। दरअसल प्रदेश में ग्रामीण तो ठीक शहरी इलाकों में भी कई-कई घंटो तक बिजली की अघोषित कटौति की जा रही है। हालात यह है की किसान अपनी फसलों की सिंचाई तक नहीं कर पा रहे हैं।
अब लोगों का गुस्सा कर्मचारियों पर उतरना शुरू
बिजली संकट का सामना कर रहे लोगों का गुस्सा अब कर्मचारियों पर उतरने लगा है। नेता और आमजन अब प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र भोपाल, ग्वालियर, राजगढ़, बैतूल, नरसिंहपुर, मंदसौर, रीवा समेत करीब 50 सबस्टेशनों में पिछले दिनों हुई लोड सेडिंग के चलते हुई विद्युत कटौती के समय बिजली आउटसोर्स संविदा आॅपरेटरों को आम लोगों व असामाजिक तत्वों की मारपीट का शिकार तक होना पड़ रहा है। इसके चलते बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव द्वारा अब प्रोटेक्शन एक्ट तत्काल लागू करने की मांग की जा रही है। उनका कहना है की भोपाल के ग्रामीण 33/11 केवी सब स्टेशन बगरौदा, तारा सेवनिया, बरखेड़ा सालम, परवलिया सडक, मुगालिया छाप, खजूरी सड़क, नजीराबाग के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली सप्लाई बंद होने पर लोगों ने इन सबस्टेशनों के आॅपरेटरों से गाली गलौज कर मारपीट व तोडफोड़ की। जबकि इसमें इन आॅपरेटरों की कोई गलती नहीं थी।  
कोयल की कमी व कुप्रबंधन है वजह
पावर जनरेटिंग कंपनी को पूरी क्षमता से थर्मल प्लांट्स चलाने के लिए रोजाना 12.5 रैक कोयला चाहिए, लेकिन अभी 8.6 रैक कोयला ही मिल रहा है। औसतन 1 रैक में 4 से 5 हजार मीट्रिक टन कोयला ढुलाई होती है। इसके अलावा पावर मैनेजमेंट कंपनी ने प्रदेश के हिस्से की 1005 मेगावाट बिजली  गुजरात और महाराष्ट्र में बांट दी। इसमें खरगोन की 330 मेगावाट बिजली महाराष्ट्र, शोलापुर की 295 व मोहदा की 380 मेगावाट बिजली मप्र के कोटे की गुजरात को दे दी। पूरी गर्मी यानी 30 जून तक मप्र के हिस्से की बिजली दोनों प्रदेश में जाती रहेगी। कंपनी ने 22 हजार मेगावाट बिजली को लेकर एग्रीमेंट किया है। जिसके लिए हर साल छह हजार करोड़ रुपए तक दिए जाते हैं, लेकिन वह बिजली भी नहीं मिल पा रही है।
कांग्रेस का तंज  
दो मंत्रियों के बीच चर्चा का वीडियो वायरल होने के बाद पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने निशाना साधते हुए कहा कि अब भी कुछ बचा है क्या? वहीं कांग्रेस मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने  कहा कि प्रदेश के मंत्री खुद प्रदेश में कटौती पर मुहर लगा रहे हैं। कृषि मंत्री, ऊर्जा मंत्री से कह रहे हैं कि हरदा होशंगाबाद में बिजली कटौती बंद करो। मंत्री जी, आज किसान से लेकर सभी बिजली कटौती से परेशान हैं।

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