भवन निर्माण से लेकर बैंकों से कर्ज मिलने का रास्ता साफ

भवन निर्माण
  • अवैध कालोनियों को वैध करने के नियमों का नोटिफिकेशन जारी

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की शिव सरकार ने अब अवैध कालानियों में रहने वाले लोगों को बड़ी राहत देते हुए भवन निर्माण से लेकर कर्ज लेने तक का रास्ता खोल दिया है। इसके लिए तैयार किए गए नियमों का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। इसके साथ ही सरकार ने यह भी तय कर दिया है कि जिसके द्वारा भी अवैध कालोनियों को विकसित किया जाएगा उस पर सरकार द्वारा बेहद सख्त कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के छोटे -बडे शहरों में कुल मिलाकर फिलहाल छह हजार के करीब अवैध कालोनियां हैं। इसमें सिर्फ उन कालोनियों को ही राहत दिए जाने का प्रावधान किया गया है, जो 31 दिसंबर, 2016 के पहले अस्तित्व में आ चुकी हैं। अब तय किया गया है कि अवैध कालोनी विकसित न हों इसके लिए अवैध कॉलोनाइजर के खिलाफ थाने में लिखित शिकायत की जाएगी। कॉलोनी में जरूरी ओपन स्पेस न छोड़ने पर इसके मूल्य से डेढ़ गुना अधिक राशि अवैध कॉलोनाइजर से वसूली जाएगी। ऐसा न होने पर आवंटित नहीं हुए प्लॉट, मकान बेच कर विकास कार्यों के लिए राशि जुटाई जाएगी। उल्लेखनीय है कि शासन ने पिछले साल दस अगस्त को नगरपालिका एक्ट में संशोधन कर इनका प्राथमिक प्रकाशन कर आपत्ति, सुझाव बुलाए थे। इसके बाद नए कॉलोनी रूल्स की अधिसूचना जारी की गई है। इसमें कॉलोनियों में मॉर्टगेज रखे जाने वाले प्लॉट छोड़ने की प्रक्रिया में भी संशोधन किया गया है। अब वैध कॉलोनियों के विकास की प्रक्रिया को भी आसान किया गया है। इसमें अब कोलानाइजर्स को हर नगरीय निकाय में अलग-अलग रजिस्ट्रेशन कराने से छूट प्रदान की गई है। अब सभी निकायों में एक ही रजिस्ट्रेशन से काम किया जा सकेगा। इसी तरह से उन्हें राहत देने के लिए पंजीयन रिन्यूअल की अवधि में भी वृद्धि की गई है।
यह है फीस का प्रावधान
इसकी फीस के निर्धारण के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के तहत आवासीय निर्माण का जितना हिस्सा अवैध है, उसका कलेक्टर गाइडलाइन से मूल्य निकाला जाता है। इसके बाद दस से से 30 फीसदी तक अवैध निर्माण के लिए कलेक्टर गाइडलाइन की दर से पांच से दस प्रतिशत राशि वसूली जा रही है। वहीं व्यवसायिक निर्माणों में छह से 12 प्रतिशत तक कंपाउंडिंग फीस ली जाएगी। हालांकि, 30 फीसदी से अधिक निर्माण होने पर बाकी हिस्सा तोड़ने पर ही कंपाउंडिंग करने का नियम बनाया गया है।
नियमों में यह किए गए प्रावधान  
आयुक्त द्वारा कॉलोनी को अवैध घोषित करने के पहले सार्वजनिक सूचना जारी कर आपत्तियां बुलाई जाएंगी, जिसमें 15 दिन का समय देना होगा , जिसके निराकरण के बाद कॉलोनियों की सूची जारी की जाएंगी। इसके बाद अनाधिकृत कॉलोनी का एक ले आउट तैयार करा कर उस पर हितधारकों से आपत्तियां व सुझाव लेकर ले आउट का निर्धारण किया जाएगा। खास बात यह है कि इसके पहले संबंधित थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराना होगी। प्रावधान के तहत रहवासी भवन निर्माण, पुर्ननिर्माण व कंपाउंडिंग के लिए आवेदन कर सकेंगे। आंतरिक विकास की लागत निकालने के लिए अनाधिकृत कॉलोनी विकसित करने वाले व्यक्ति की उस कॉलोनी या बाहर स्थित प्रॉपर्टी को अटैच की जा सकेगी।
वैधता शुल्क वसूली में इंदौर अव्वल
मकान, भवनों में अनुमति के अतिरिक्त और अवैध निर्माणों को वैध करने में इंदौर सबसे आगे चल रहा है। इस मामले में भोपाल नगर निगम का बेहद खराब प्रर्दशन रहा है। इंदौर में जहां शुल्क से आय 45 करोड़ हुई है तो भोपाल में महज इससे 7 करोड़ रुपए की ही आय हुई है। भोपाल में अधिकांश लोग कंपाउंडिंग से बचने के लिए रसूख दिखाते हैं। वर्तमान में भोपाल में कंपाउंडिंग के 1450 केस बनाए जा सके हैं। वहीं इंदौर में 2400 भवन या मकान मालिक अवैध निर्माण को नियमित करा चुके हैं। यहां बता दें कि नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने 15 से 31 जनवरी तक कंपाउंडिंग के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। उनके द्वारा अतिरिक्त किए निर्माण की सीमा दस फीसदी से बढ़ा कर 30 प्रतिशत किया जा चुका है। इसके लिए नगर निगम के चीफ सिटी प्लानर एबीपीएएस के जरिए आॅनलाइन आवेदन करना होता है। इसके तहत नियमित भवन पंक्ति को प्रभावित करने वाले, पर्वतीय, पर्यटन स्थल के महत्व के अधिसूचित क्षेत्र में, वाहनों के पार्किंग क्षेत्र, सड़क के एलाइनमेंट प्रभावित करने वाले, नदी से 30 मीटर और नाले पर किए निर्माण वैध नहीं हो सकेंगे। ऐसे मकान मालिक जो 28 फरवरी, 2022 तक अवैध हिस्से को वैध कराने के लिए आवेदन करेंगे, उन्हें कंपाउंडिंग फीस में 20 फीसदी की छूट भी दी जा रही है।
विकास के लिए इस तरह जुटाई जाएगी राशि
इन कालोनियों के विकास के लिए राशि जुटाने के लिए प्रावधान किए गए हैं। इसमें जिन कॉलोनियों में निम्न आय वर्ग के 70 फीसदी से अधिक लोग निवास करते हैं, उनमें विकास शुल्क का न्यूनतम 20 प्रतिशत रहवासियों से लिया जाएगा , जबकि 80 फीसदी पैसा संबंधित निकाय देगा। बाकी कॉलोनियों में 50 प्रतिशत विकास राशि कॉलोनियों के निवासियों और शेष 50 फीसदी संबंधित निकाय खर्च करेगा। इसके साथ ही विकास शुल्क अधिकतम पांच साल की किश्तों में भरने की सुविधा का प्रावधान किया गया है। इसी तरह से इनमें विधायक, सांसद निधि से मिली राशि से भी विकास काम कराए जा सकेंगे और केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं की भी राशि खर्च की जा सकेगी।

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