
- वन विभाग ने चंदन का जंगल तैयार करने के लिए सागर, उज्जैन, सिवनी और नीमच जिले का चयन किया …
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। करीब सात साल बाद एक बार फिर से वन महकमे को जंगल के वन विकसित करने की याद आयी है। इस बार विभाग चार जिलों में चंदन के वन विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है। यह बात अलग है की इसी तरह की योजना विभाग द्वारा सात साल पहले भी बनाई गई
थी, लेकिन वह योजना अब तक परवान नहीं चढ़ सकी है।
उस समय रक्त चंदन का जंगल वन बिहार में विकसित करने की योजना तैयार की गई थी। अब वन विभाग ने चंदन का जंगल तैयार करने के लिए सागर, उज्जैन, सिवनी और नीमच जिले का चयन किया है। इन जिलों में करीब चार सौ हेक्टेयर भूमि में यह जंगल विकसित किया जाना है। वैसे तो प्रदेश में सफेद चवंदन होता है, लेकिन अब अफसरों ने लाल चंदन का जंगल तैयार करने की योजना बनाई है। इसकी मुख्य वजह है अंतरराष्ट्रीय बाजार में चंदन की मांग में लगातार वृद्धि होना। इसकी वजह से चंदन की कमतों में भी जमकर इजाफा हो रहा है। यही नहीं चंदन की लकड़ी सबसे अधिक कीमत पहले से ही देती है। वन विभाग ने पहले चरण में सौ हेक्टेयर में चंदन के पौधे रोपने की योजना तैयार की है। इसके बाद साल-दर-साल इसी तरह के जंगल तैयार करने की योजना है। खास बात यह है की इस योजना को केन्द्र सरकार की मदद से चलाने की योजना बनाई गई है। इसके लिए हाल ही में केन्द्र सरकार ने मंजूरी भी प्रदान कर दी है। पूरी कवायद कैंपा फंड से मिलने वाली राशि से की जाएगी। वर्तमान में वन विभाग के सिवनी और सागर में चंदन का जंगल है। यहां दस-दस हेक्टेयर में चंदन के पेड़ हैं। कटनी, सिवनी, खंडवा में किसानों ने करीब 400 हेक्टेयर में चंदन लगाया है। दरअसल इसकी सुरक्षा करना बेहद कठिन है, जिसकी वजह से किसान आसानी से इसे लगाने को तैयार नहीं होते। वन विभाग भी चंदन का पौधरोपण करने से पहले सुरक्षा के इंतजाम करेगा।
तीन हजार रुपए किलो बिकता है चंदन
देश में रक्त चंदन आध्रप्रदेश के तिरुपति के पास कड़प्पा और चित्तूर के जंगलों में पाया जाता है। इसका उपयोग दवा तथा कास्मेटिक्स आइटम व पूजन सामग्री में होता है। इसकी मांग चीन, जापान, सिंगापुर, आॅस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात के अलावा पश्चिमी देशों में बहुत अधिक है।
श्योपुर में उगाए गए हजारों पेड़
श्योपुर जिले के छोटे से गांव बगदरी के एक किसान ने चंबल अंचल को चंदन की खुशबू से महकाने और खेती को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में प्रेरणादायी काम किया है। बगदरी के पूर्व सरपंच करम सिंह ने तीन साल में अपनी नर्सरी में चंदन के आठ हजार पौधे तैयार किए। इनमें से सात हजार पौधे वे श्योपुर और मुरैना जिले के गांवों में किसानों के माध्यम से लगवा चुके हैं। श्योपुर से सटे राजस्थान के किसान भी चंदन के पौधे ले गए हैं। खास बात यह है कि इनमें से लगभग सभी पौधे जीवित हैं और फल-फूल रहे हैं।
अब तक मिलता है सफेद चंदन
भोपाल तथा आसपास के क्षेत्र में भी चंदन के पेड़े लगे हैं। यह सफेद चंदन है। रक्त चंदन की तुलना में इसकी कीमत आधी से भी कम होती है। 2008 में भोपाल में 1535 चंदन के पेड़े हुआ करते थे, जिनकी संख्या घटकर 130 रह गई है। अकेले भोपाल में अब तक 1200 पेड़ चोरी हो चुके हैं।
जिलों को राशि आंवटित
चंदन की खेती के लिए विभाग ने एक लाख रुपए हेक्टेयर की दर से जिलों को राशि आवंटित की है। यदि किसी कारण से लागत राशि बढ़ती है तो बजट सरकार देगी। इस राशि से जिले पौधरोपण करेंगे। अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में आमतौर पर लाल चंदन होता है। इसे ही प्राथमिकता दे रहे हैं। अन्य प्रजाति (जिनकी बाजार में मांग है) के पौधे भी प्रयोग के तौर पर लगाए जाएंगे। चंदन की खेती के लिए मध्यम वर्षा और भरपूर मात्रा में धुप मिलना चाहिये। मध्यप्रदेश का मौसम इसके अनुकूल पाया गया है।
चार जिलों में गूगल की खेती
औषधीय और अनुष्ठान में गूगल की मांग ज्यादा है। इसलिए राज्य सरकार भिंड, मुरैना, ग्वालियर और श्योपुर में इसकी खेती कराने की तैयारी कर रही है। मुरैना में कुछ किसान इसकी खेती करते हैं। इसलिए विभाग ने प्रयोग के तौर पर मुरैना में 22 हेक्टेयर भूमि का चयन किया है। इसके लिए पौधे खरीदी के लिए एक संस्थान से चर्चा की जा रही है।