- बिजली की मांग की पूर्ति होगी न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट से…
- गौरव चौहान

प्रदेश के साथ-साथ देश की ऊर्जा जरुरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही मप्र के चार जिलों में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने जा रही है. ये चार जिले हैं- नीमच, देवास, सिवनी और शिवपुरी। इसके लिए कुछ जगहों पर तो बकायदा सर्वे भी पूरा कर लिया गया है। ये संभवत: पहली बार होगा कि राज्य में बिजली उत्पादन के लिए इतने बड़े पैमाने पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएंगे। दरअसल, प्रदेश में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में अब न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट से बिजली की मांग की पूर्ति की जाएगी।
गौरतलब है कि मप्र में बिजली उत्पादन के लिए सरकार विभिन्न स्रोतों का उपयोग कर रही है। अब प्रदेश की बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए सोलर के अलावा चार शहरों में न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट लगाने की तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश के नीमच, देवास, सिवनी और शिवपुरी में एनटीपीसी द्वारा ये प्रोजेक्ट स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए जहां एनटीपीसी सक्रिय हो चुकी है, वहीं राज्य शासन ने परमाणु परियोजनाओं की स्थापना में सहयोग के लिए समिति का गठन पहले ही कर दिया है। समिति भूमि अधिग्रहण और जमीन खरीदने, जल उपलब्धता व आवंटन के लिए समन्वय का काम देख रही है।
बिजली की डिमांड 19 हजार मेगावॉट तक पहुंची
मप्र में बिजली की डिमांड लगातार बढ़ रही है। प्रदेश पिछले दिसंबर तक बिजली की डिमांड 19 हजार मेगावॉट तक पहुंच चुकी है। इस साल के अंत तक यह डिमांड 20 हजार मेगावॉट को पार कर सकती है। अगले कुछ सालों में ही डिमांड 25 हजार मेगावॉट को पार कर जाएगी। इसको देखते हुए राज्य सरकार बिजली की उपलब्धता बढ़ा रही है। पिछले पांच साल में उत्पादन में 2344 मेगावॉट का इजाफा हुआ है। इस अवधि में डिमांड 14089 से बढकऱ 17170 मेगावॉट तक पहुंच गई। यानी पिछले पांच साल में डिमांड 3081 मेगावॉट तक बढ़ गई। यह डिमांड अब 19 हजार मेगावॉट तक पहुंचने के आसार है। इसको देखते हुए अब बिजली की उपलब्धता बढ़ाई जा रही है। इन चार परमाणु परियोजानाओं से 1200 मेगावॉट की दो यूनिट के साथ 6 यूनिट तक प्रस्तावित हैं।
सौर एवं पवन ऊर्जा से बन रही बिजली
प्रदेश में बिजली की डिमांड लगातार बढ़ रही है। बढ़ती डिमांड के मुताबिक ऊर्जा उत्पादन में भी इजाफा हो रहा है। प्रदेश सरकार का फोकस इस समय सौर ऊर्जा को लेकर है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश की बिजली मांग को पूरा करने के लिए 2034-35 तक 29956 मेगावाट सौर और 5293 मेगावाट पवन ऊर्जा की जरूरत होगी। रिपोर्ट में बताया है कि प्रदेश में 5.36 फीसदी की दर से सौर ऊर्जा में इजाफा हो रहा है। इसके देखते हुए सरकार ग्रीन-एनर्जी हब तैयार कर रही है। वर्तमान में राज्य में 5 बड़ी सौर परियोजनाएं है, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 2.75 गीगावाट (2,750 मेगावाट) है। सरकार वर्ष 2030 तक नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 20 गीगावाट (20,000 मेगावाट) तक करने का टारगेट तय किया है। प्रदेश में साल 2012 में नवकरणीय ऊर्जा की उत्पादन क्षमता 438.01 मेगावॉट थी। साल 2024 उत्पादन क्षमता बढकऱ 7300 मेगावॉट हो गई है। यानी नवकरणीय ऊर्जा में 10 गुना तक का इजाफा हुआ है। इसमें सोलर एनर्जी 4096.98 मेगावॉट है। वहीं पवन ऊर्जा 2870.35 मेगावॉट और बायोमास में 108 मेगावॉट और जल परियोजनाओं से उत्पादन होने वाली बिजली 123.91 मेगावॉट है। अब अगले पांच साल में 14 हजार मेगावॉट के नए प्लांट लगाए जाने का टारगेट तय किया गया है। इससे नवकरणीय ऊर्जा का उत्पादन प्रदेश में बढ़ जाएगा।
