
- गड़बड़ी रोकने रखी जाएगी कड़ी नजर, बनाई जा रही नई व्यवस्था
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश का सहकारिता विभाग पहले से ही अपनी कार्यशैली को लेकर बदनाम है , ऐसे में सहकारी बैंक और मुसीबत बढ़ाते जा रहे हैं। इसकी वजह है बीते कई सालों से इन जिलों में सहकारी बैंकों के करोड़ों रुपए के घपले और घोटाले सामने आना। खास बात यह है कि इन बैंकों में इसके बाद भी गड़बड़ियां कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही हैं। हालात यह है कि प्रदेश के सिर्फ तीन जिलों के सहकारी बैंकों में अब तक करीब चार अरब रुपए के घपलों का खुलासा हो चुका है। इस तरह के मामले नोटबंदी के बाद से अधिक सामने आ रहे हैं। यही वजह है कि अब सरकार इन मामलों में और कई सख्त कदम उठाने जा रही है। तमाम सख्ती के बाद भी प्रदेश के सहकारी बैंकों में गड़बड़ियां रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। बीते करीब 3 सालों के दौरान सहकारी बैंकों में करीब 150 करोड़ रुपए के घोटाले सामने आ चुके हैं। इनमें 111 करोड़ के घोटाले सिर्फ भोपाल में हो चुके हैं, भोपाल के अलावा रीवा में 23 करोड़, छिंदवाड़ा में 30 करोड़, राजगढ़ में 5.5 करोड़ छतरपुर में 2.5 करोड़ और ग्वालियर में 2.5 करोड़ के घोटाले हो चुके हैं। ताजा मामला शिवपुरी का सामने आया है, जहां करीब 103 करोड़ की गड़बड़ी की शिकायत विभाग को मिली है। प्रदेश में 38 जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक हैं।
अब रिटॉयर्ड अधिकारी और चार्टर्ड अकाउटेंट रखेगे पैनी नजर
प्रदेश के सहकारी बैंकों में गड़बड़ियों पर लगाम लगाने के लिए बैंक के रिटायर्ड अधिकारी और चार्टर्ड अकाउंटेंट की टीम पैनी निगाह रखेगी। सहकारिता विभाग गड़बड़ियां रोकने के लिए प्रदेश स्तर पर आॅडिट सेल का गठन करने जा रहा है। यह टीम जिला बैंकों द्वारा तैयार की जाने वाली आॅडिट रिपोर्ट का नए सिरे से स्टडी करेगी और अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी। जिला सहकारी बैंकों के अधिकारियों पर नकेल कसने और गड़बड़ियों पर लगाम लगाने के लिए अब प्रदेश स्तर पर बैंकों के रिटायर्ड अधिकारियों और सीए की टीम कड़ी मॉनिटरिंग करेंगी। इसके अलावा जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक और प्राथमिक साख सहकारी समिति का हर साल एक बार विस्तृत आॅडिट किया जाएगा। इस आॅडिट का प्रदेश स्तर की टीम बारीकी से परीक्षण करेगी, इसके बाद पूरी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। सहकारिता विभाग के मंत्री अरविंद भदौरिया के मुताबिक निरीक्षण का दायरा बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए अधिकारियों को जिलों का आवंटन किया गया है। यह अधिकारी संबंधित जिलों के बैंकों की आय-व्यय के लेखों का गहराई से परीक्षण करेंगे। इस व्यवस्था से बैंकों में पारदर्शिता बढ़ेगी।
इस तरह भी की गई गड़बड़ियां
भोपाल के जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड में साल 2018 में तत्कालीन एमडी रमाशंकर विश्वकर्मा और अन्य अधिकारियों ने मिलीभगत कर नियम विरुद्ध तरीके से इंफ्रास्ट्रचर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज की दो सहयोगी कंपनियों आईएलएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क लिमिटेड और आईएलएफएस एंड टेक्नोलॉजी सर्विस लिमिटेड में 800 करोड़ का निवेश किया। जबकि निजी कंपनियों और अधोसंरचना से जुड़ी कंपनियों में निवेश नहीं किया जा सकता था। इसके बाद इस मामलें में जांच भी की गई।
करोड़ों की हुई हेराफेरी
शिवपुरी के जिला सहकारी बैंक में सीबीएस सिस्टम में ऋण वितरण के आंकड़ों में 100 करोड़ रुपए का अंतर पाया गया है। बैंक स्तर लेखा कक्ष के द्वारा सांग राशि 184 करोड़ है, जबकि सीबीएस कोर कम्प्यूटर के आधार पर यह राशि 287 करोड़ दिख रही है। सहकारिता विभाग ने जांच शुरू कर दी है। शिवपुरी के जिला सहकारी बैंक की कोलारस शाखा में हाल ही में 5 करोड़ 31 लाख रुपए के गबन का मामला सामने आया है। मामले में पिछली 27 अगस्त को बैंक के अकाउंट मैनेजर की शिकायत पर पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है।