
- पीठासीन अधिकारियों की बैठक 14 को भोपाल में
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। पीठासीन अधिकारियों की समिति की बैठक 14 जुलाई को भोपाल में होगी। विधानसभा में होने वाली इस बैठक में 7 राज्यों के स्पीकर शामिल होंगे। बैठक का मुख्य उद्देश्य राज्यविधान मंडलों में समिति व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाना, उनकी कार्यप्रणाली, कार्यकुशलता तथा कार्यनिष्पादन के तौर-तरीकों को और बेहतर बनाना है। यानी बैठक में विधानसभाओं के अध्यक्ष तय करेंगे की विधानसभा कमेटी को कैसे ताकतवर बनाया जाए।
गौरतलब है कि सत्र को सुचारू रूप से चलाने और डेकोरम मेंटेन करने को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सात सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया है। मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर इस कमेटी के अध्यक्ष हैं। जानकारी के अनुसार, पीठासीन अधिकारियों की समिति की बैठक के जो प्रमुख एजेंडे हैं उनमें समितियों का विस्तार होगा और संख्या बढ़ेगी। सिफारिशों का क्रियान्वयन ठोस तरीके से होगा। विधानसभा में दिए गए आश्वासनों की पूर्ति का तरीका तय किया जाएगा और शासन में बैठे अधिकारियों की सदन के प्रति जवाबदारी तय की जाएगा। सत्र के दौरान शांति व्यवस्था और सरकार का कामकाज सुचारू रूप से चलता रहे, इसको लेकर इस बैठक में चर्चा की जाएगी।
बैठक के मिनिट्स लोकसभा को सौंपे जाएंगे
मप्र के स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में राजस्थान के स्पीकर वासुदेव देवनानी, उत्तर प्रदेश के सतीश महाना, पश्चिम बंगाल के विमन बैनर्जी, सिक्किम के मिग्मा नोरबू शेरपा, हिमाचल प्रदेश के कुलदीप सिंह पठानिया और ओडिशा की स्पीकर सूरमा पाढ़ी शामिल होंगे। इनके साथ विधानसभाओं के प्रमुख सचिव या सचिव भी आ रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले पीठासीन सम्मेलन में यह कमेटी बनी थी। मप्र को पहली बार इस तरह की कमेटी की अध्यक्षता मिली है। इसकी पहली बैठक 14 जुलाई को भोपाल विधानसभा में सुबह 10:30 बजे से है। इसके बाद कमेटी के लोग उज्जैन जाएंगे। बताया जा रहा है कि कैग की ऑडिट रिपोर्ट और वित्तीय गड़बडिय़ों के साथ फाइनेंशियल मामलों का रिव्यू करने वाली वित्तीय समितियों और तदर्थ समितियों (जैसे प्रश्न संदर्भ, आश्वासन, सदस्य सुविधा) की ताकत बढऩे
वाली है। इसी को आधार बनाकर नई व्यवस्था देशभर के राज्यों में लागू होगी। बैठक के मिनिट्स बाद में लोकसभा को सौंपे जाएंगे।
समितियों को और तकतवर बनाने की कवायद
आश्वासन समिति और सदन में की गई घोषणाओं के अमल के साथ विशेषाधिकार हनन के मामलों में भी गंभीरता घटती जा रही है। सालों तक आश्वासन पूरे नहीं होते। घोषणाओं पर अफसर ध्यान कम देते हैं। इसीलिए देशभर में राज्यों की विधानसभाओं की समितियों को और तकतवर करने की पहल हुई है। यहां बता दें कि मप्र विधानसभा में इस समय एक दर्जन से अधिक समितियां हैं। इनमें कार्यमंत्रणा, गैरसरकारी सदस्यों के विधेयकों और संकल्पों की समिति, विशेषाधिकार हनन समिति, कृषि विकास समिति, नियम समिति, आचरण व याचिका-अभ्यावेदन, महिला बाल विकास, प्राक्कलन, लोक-लेखा समिति, सरकारी उपक्रम समिति जैसी समितियां शामिल हैं। बताया गया है कि पहली बार विधानसभा की इन समितियों की ताकत बढ़ाई जा रही है, जिससे उनकी प्रासंगिकता शासन और सत्ता के स्तर पर और मजबूत हो।
