विधानसभा लड़ने के इच्छुक सांसदों के लिए फॉर्मूला तैयार

विधानसभा

आकांक्षी सीटों पर लडऩा होगा चुनाव

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए दावेदारों ने अभी से सक्रियता बढ़ा दी है। खासकर भाजपा में टिकट के दावेदारों की कतार दिन पर दिन लंबी होती जा रही है। टिकट चाहने वालों में वर्तमान विधायक, पूर्व विधायक, पिछला चुनाव हारने वाले, संगठन पदाधिकारी तो हैं ही इसके अलावा कई सांसद भी जुगाड़ में लगे हुए हैं। ऐसे में पार्टी के रणनीतिकारों ने विधानसभा चुनाव लडऩे  के इच्छुक सांसदों के लिए फॉर्मूला तैयार किया है। इसके तहत इस बार उन्हीं सांसद को विधानसभा का टिकट दिया जाएगा, जो आकांक्षी सीटों यानी कांग्रेस के कब्जे वाली सीटों पर चुनाव लडऩे को तैयार होंगे।  दरअसल, प्रदेश में भाजपा के 28 सासंदों में से कईयों के ऊपर सांसदी का टिकट कटने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए दावेदारी शुरू कर दी है। इसके लिए सांसद अपने लिए सुरक्षित सीट से दावेदारी कर रहे हैं। इस वजह से कई सीटों पर कई-कई दावेदार हो गए हैं। इस स्थिति की वजह से भाजपा के रणनीतिकारों ने टिकट वितरण का जो फॉर्मूला बनाया है, उससे विस चुनाव के दावेदार सांसदों के होश उड़ गए हैं।
एक तरफ कुंआ तो दूसरी ओर खाई
 पार्टी ने अबकी बार 200 पार के नारे के साथ चुनाव जीतने का फुल फ्रूफ फॉर्मूला तैयार किया है। वहीं दूसरी तरफ लोकसभा की टिकट कटने की आशंका से घिरे भाजपा सांसदों द्वारा विधानसभा की टिकट जुगाडऩे  की कोशिश के बीच केन्द्रीय नेतृत्व से मिले संदेश ने उनके होश फख्ता कर दिए हैं। इस बार उसी सांसद को विधानसभा का  टिकट मिलेगा, जो अपने लोकसभा क्षेत्र की कांग्रेस द्वारा जीती सीट से मैदान में उतरेगा। मतलब, विधानसभा चुनाव लडऩे की इच्छा रखने वाले सांसद एक तरफ कुंआ तो दूसरी ओर खाई वाली स्थिति में फंस गए हैं। मप्र में इस बार कई भाजपा सांसद विधानसभा चुनाव लडऩे के इच्छुक हैं। राज्य में तीन से चार बार के भाजपा सांसदों की संख्या अधिक है। लिहाजा, इस बार उन्हें फिर दोहराया जाने की संभावना कम है। इसलिए जिन पर खतरा मंडरा रहा है , जिसकी वजह से  ऐसे सांसद विधानसभा टिकट की जुगाड़ में लग गए हैं। इन सांसदों की इच्छा भांपते ही केंद्रीय नेतृत्व ने एक फार्मूला दिया है। इच्छुक सांसदों को अपने लोकसभा की उन सीटों से लड़ाया जाएगा जहां कांग्रेस मजबूत है।
कुछ सांसद जुटे तैयारी में
गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद आए परिणामों की समीक्षा में 124 सीटें ऐसी थीं, जिन्हें आकांक्षी की श्रेणी में चिन्हित किया गया था। लेकिन 2018 से अब तक हुए  34 सीटों के उपचुनाव ने बाजी पलट दी। भाजपा को इन 34 उपचुनावों में से 21 सीटों को जीतने में कामयाबी मिली। ऐसे में 103 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन्हें आकांक्षी सीटों की श्रेणी में रखा गया है। सूत्र बताते हैं कि कुछ सांसदों को कांग्रेस की जीत वाली इन सीटों पर फोकस करने का इशारा कर दिया गया है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा में कुछ ऐसे सांसदों को भी  संकेत दे दिया गया है, जो विधानसभा टिकट की लाइन में नहीं हैं। वह इससे परेशान हैं कि उन्हें पता है कि इस बार विधानसभा का चुनाव लड़ना आसान नहीं है। लोकसभा इसलिए आसान रहेगी कि 2024 के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा प्रभावी रहेगा। मोदी के नाम पर वोट पाकर जीतने के स्थान पर विधानसभा चुनाव की मशक्कत से वह बचना चाहते हैं। सूत्र बताते हैं कि ऐसे सांसद स्वास्थ्य और पारिवारिक समस्या का कारण बताकर खुद को विस चुनाव से दूर रखने की जुगत में लग गए हैं। 

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