चिकित्सकों की कमी दूर करने निकाला फार्मूला

चिकित्सकों
  • जिन डॉक्टरों की फीस सरकार ने भरी उन्हें सरकारी अस्पतालों में करनी होगी नौकरी

    भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने एक फार्मूला निकाला है। इसके तहत मुख्यमंत्री मेधावी योजना के तहत जिन छात्रों की एमबीबीएस कोर्स की फीस  सरकार ने भरी थी, अब उन्हें एक साल तक सरकारी अस्पतालों में सेवा देना होगी। इस दौरान सरकार उन्हें मानदेय भी प्रदान करेगी। जो कि एमबीबीएस के लिए 55 हजार रुपए प्रतिमाह निर्धारित की गई है।  विशेषज्ञ के लिए लगभग 65 हजार के आस पास मानदेय होगा।
    मप्र के सरकारी अस्पतालों में बना  चिकित्सकों की कमी का संकट अब दूर होने जा रहा है। बहुत जल्द सरकार को 1100 से ज्यादा नए डॉक्टर्स मिलने जा रहे हैं। यह डॉक्टर मप्र सरकार के उस नियम के तहत हासिल हो रहे हैं जो उसने वर्ष 2017 में निर्मित किया था। संचालनालय स्वास्थ्य सेवाओं से मिली जानकारी अनुसार हाल ही में आयोजित काउंसलिंग के आधार पर कुल 1172 एमबीबीएस चिकित्सकों का चयन अनिवार्य ग्रामीण सेवा बंध पत्र के तहत किया गया है। उक्त सभी 1172 चिकित्सकों को प्रदेश के 52 जिलों के स्वास्थ्य केंद्रों पर पदस्थापना दे दी गई है। अगले एक वर्ष तक इन्हें यहां काम करना होगा।
    सब पर अनिवार्य ग्रामीण सेवा बंध पत्र नियम लागू
    वर्ष 2017 में जब मप्र सरकार द्वारा यह योजना लागू की गई थी, उस समय प्रदेश में 6 सरकारी और 6 निजी मेडिकल कॉलेज थे। इस तरह यहां मेधावी योजना के तहत जितने भी प्रवेश हुए सब पर अनिवार्य ग्रामीण सेवा बंधपत्र का नियम लागू होता है। वर्ष 2017 के बाद से प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में 19 सरकारी मेडिकल कॉलेज और 10 निजी मेडिकल कॉलेज संचालित हैं। आने वाले वर्षों में हर साल बंधपत्र चिकित्सकों की संख्या में इजाफा होगा। हाल ही में 1172 नए चिकित्सकों की काउंसलिंग स्वास्थ्य विभाग ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के अलावा उप स्वास्थ्य केंद्रों पर की है। अब इन  स्वास्थ्य केंद्रों पर आने वाले मरीजों को चिकित्सक की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
    जेपी में 12 घंटे मिलेगी सुविधा
    जेपी अस्पताल में मरीजों के लिए नई सुविधा की शुरुआत की गई है। यहां मरीजों के लिए बनाई गई हेल्प डेस्क ने पूरी तरह काम करना शुरू कर दिया है। हेल्प डेस्क सुबह सुबह आठ से रात आठ बजे तक काम करेगी। बाद में इसे चौबीस घंटे के लिए कर दिया जाएगा। संपूर्ण कायाकल्प अभियान के तहत सभी जिला अस्पतालों में हेल्प डेस्क बनाई जा रही है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि हेल्पडेस्क के कर्मचारी मरीजों का पर्चा बनवाने से लेकर उनको डॉक्टर के पास ले जाने का काम भी करेंगे। कर्मचारियों को यह जानकारी भी रहेगी कि किसी दिन विशेष में कौन से डॉक्टर की ओपीडी में ड्यूटी है। सर्जरी का दिन कब है। यहां एक आयुष्मान मित्र भी बैठाया गया है, जो आयुष्मान योजना के बारे में मरीज या उनके स्वजन के बारे में जानकारी दे सकेगा।
    जल्द मिलेंगे विशेषज्ञ डॉक्टर
    अनिवार्य ग्रामीण सेवा बंध पत्र का नियम पीजी करने वालों पर  वर्ष 2019 में लागू किया गया था। तीन साल में पहला बैच अब तैयार है। जिसमें एमडी व एमएस डॉक्टर्स सरकारी अस्पतालों में सेवा के लिए आने वाले हैं। अधिकारियों के मुताबिक दिसंबर माह तक 250 से ज्यादा विशेषज्ञ डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में ज्वाइन करेंगे। जानकारी के मुताबिक 1172 में से पांच डॉक्टर भोपाल के काटजू अस्पताल को मिलेंगे। ये डॉक्टर जल्द ही यहां जॉइनिंग देंगे। इन डॉक्टरों की जॉइनिंग के बाद काटजू अस्पताल में सामान्य बीमारियों के मरीजों को भी इलाज आसानी से मिलने लगेगा।

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