
- वन विभाग की सख्ती की वजह से जिला प्रशासन कर्मचारी लौटाने को हुआ तैयार
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। वन महकमे द्वारा दिखाई गई सख्ती की वजह से अब कलेक्टर कार्यालय में सालों से अपना मूल काम छोड़कर दूसरा काम करने वाले 20 कर्मचारियों का लौटना तय हो गया है। सामान्य वन मंडल के यह वनरक्षक और लिपिक सालों से जिला निर्वाचन कार्यालय में जमे हुए थे। खास बात यह है कि इन कर्मचरियों की सेवाएं वापस पाने के लिए वन मंडल कई सालों से परेशान चल रहा था। लगातार कई पत्र लिखकर उनकी सेवाएं लौटाने का आग्रह करने के बाद भी जिला प्रशासन उनकी सेवाएं लौटाने को तैयार नही ंथा। खास बात यह है कि वन विभाग के पत्र के बाद जैसे ही इन कर्मचारियों की सेवाएं लौटाने की फाइल चलती यह कर्मचारी अफसरों से सांठ-गांठ कर अपनी फाइल में रोड़ा अटकवा देते थे। इसकी वजह से हर बार वे मूल विभाग में वापसी होने से बच जाते थे। इससे परेशान इस बार विभाग ने बेहद सख्त रुख अपनाते हुए कलेक्टर कार्यालय को साफ लिख दिया था कि या तो कर्मचारी वापस भेजे जाएं अन्यथा उनकी वेतन वे ही अपने कार्यालय से दें। इसके बाद भी जब उनकी वापसी नहीं हुई तो फिर विभाग ने और सख्त रुख अपनाते हुए उनकी सेवाएं जिला प्रशासन को मर्ज करने के लिए पत्र लिखकर उनके दस्तावेज तक भेज दिए थे। इसके बाद जागे जिला प्रशासन ने इन सभी 20 कर्मचारियों की वापसी का रास्ता साफ कर दिया है। दरअसल इन कर्मचारियों की कई सालों पहले जिला प्रशासन ने चुनावी कार्य के लिए सेवाएं ली थीं, लेकिन इसके बाद से इन कर्मचारियों ने अपने मूल विभाग में वापसी करना ही मुनासिब नहीं समझा। यह सभी जिला निर्वाचन कार्यालय में बतौर बीएलओ काम कर रहे थे। वन विभाग की सख्ती का असर यह हुआ कि इस बार कलेक्टर ने खुद ही निर्वाचन में सेवाए देने वाले इन कर्मचारियों की सूची तलब कर सभी को वापस मूल विभाग भेजने के आदेश दे दिए हैं।
नहीं किया जा रहा है रिलीव
खास बात यह है कि इन सभी कर्मचारियों को वापस मूल विभाग में भेजने के कलेक्टर के आदेश के बाद भी उन्हें रिलीव नहीं किया जा रहा है। इसकी वजह है जिला प्रशासन के एक अफसर। बताया जा रहा है कि संबंधित अफसर को इन कर्मचारियों द्वारा रिलीव न करने के एवज में हर माह बतौर नजराने के रूप में हर कर्मचारी द्वारा- पांच पांच हजार रुपए की भेंट दी जा रही है। इसकी वजह से जैसे ही उन्हें रिलीव करने की फाइल चलती है अचानक उस पर ब्रेक लग जाता है। वन विभाग के जिन कर्मचारियों को भार मुक्त किया जाना है उनमें वनरक्षक अदुल बारी, मोहम्मद रईस, अनूप सिंह ठाकुर, अग्निहोत्री लोवंशी, सदानंद दुफारे, नवीलाल जाटव, राकेश नामदेव, किशोर मेहरा, अनुपम कुमार आजाद, स्नेहलता पाटिल, गोरेलाल अहिरवार, रवि वर्मा, लता सैनी, लोचन कुमार मालवीय, संदीप बैरागी, कमलेश चौधरी, लिपिक प्रवीण कुमार श्रीवास्तव और भारती अय्यर और स्थाईकर्मी प्रभाशंकर मिश्रा शामिल है।
10 कर्मचारी नहीं कर रहे थे काम
कलेक्टर द्वारा मांगी गई जानकारी में खुलासा हुआ है कि इनमें से 10 कर्मचारी तो ऐसे हैं , जो कहीं भी कोई काम नहीं कर रहे थे। इस खुलासे के बाद अब वन विभाग उन्हें नोटिस जारी करने जा रहा है। इसके बाद अगर विभाग उनके जवाब से संतुष्ट नहीं होता है, तो फिर उन पर कार्रवाई होना तय है। दरअसल यह कर्मचारी अपने मूल विभाग को बता रहे थे कि वे जिला निर्वाचन कार्यालय में बतौर बीएलओ में सेवाएं दे रहे हैं, जबकि जिला निर्वाचन कार्यालय में वन विभाग में सेवाएं देना बता रहे थे, जबकि इन कर्मचारियों द्वारा वहां भी सेवाएं नहीं दी जा रहीं हैं।