
- पांच माह से जारी नहीं हो पा रहा है आदेश , इधर से उधर घूम रही है फाइल
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। वन विभाग के अधिकारियों की मनमानी का खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। मामला डिप्टी रेंजरों को उच्च पद रेंजर का प्रभार दिया जाना है। इसकी डीवीसी पांच महीने पहले हो चुकी है। अब सिर्फ आदेश निकलना है। इस आदेश के इंतजार में पांच महीने में 20 कर्मचारी रिटायर तक हो चुके हैं। इधर, डीपीसी में सिलेक्ट हो चुके कर्मचारियों के नाम की फाइल वन भवन और मंत्रालय के बीच घूम रही है, लेकिन आदेश जारी नहीं हो पा रहे हैं। दरअसल प्रदेश के वन कर्मचारी पदनाम के लिए सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके बाद भी अफसरों की वजह से उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही है। अहम बात तो यह है कि उन्हें पदोन्नति भी नहीं दी जा रही है। यह हाल तब हैं जबकि पद रिक्त पड़े हुए हैं। ऐसे में विभाग के कर्मचारी रिक्त चल रहे रेंजर के पदों के प्रभार की ही मांग कर रहे हैं। उनकी इस मांग के अफसर मानने को तैयार नहीं हैं, जिसकी वजह से आदेश जारी नहीं हो पा रहे हैं। इसकी वजह से दशकों की नौकरी करने के बाद भी कर्मचारी बिना पदनाम के ही रिटायर होने को मजबूर बने हुए हैं। इस मामले को लेकर कर्मचारी विभागीय मंत्री तक से मिल चुके हैं। इस दौरान मंत्री द्वारा भी एक सप्ताह में आदेश निकलवाने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन इसके बाद भी आदेश जारी नहीं हुए हैं। यह पद रिक्त होने का असर न केवल जंगलों की सुरक्षा पर पड़ रहा है, बल्कि टाइगर रिजर्व की सुरक्षा पर भी पड़ रहा है इसके बाद भी कर्मचारियों की भर्ती करना तो ठी, पदोन्नति तक नहीं की जा रही है। वन व वन्य जीवों की सुरक्षा के साथ किस तरह से खिलवाड़ किया जा रहा है, इससे ही समझा जा सकता है कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में ही 109 पद रिक्त हैं। इनमें वनपाल के 42 और वन रक्षक के 47 पद शामिल हैं। टाइगर रिजर्व के अलावा वन विभाग में हर महीने अधिकारी रिटायर हो रहे हैं। इससे रिक्त पदों की संख्या बढ़ती जा रही है। प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ रही है। वनक्षेत्र भी बढ़ रहा है। इसके मुताबिक वन अमला नहीं है। इस वजह से अब वन क्षेत्र में अतिक्रमण से लेकर शिकार की घटनाएं भी बढऩे लगी हैं।
यह है रिक्त पदों के हालात
अगर प्रदेश के वन अभ्यारणों की बात की जाए तो प्रदेश एक दर्जन अभ्यारणों में ही कई सैकड़ा कर्मचारियों के पद खाली चल रहे हैं। इनमें कान्हा टाइगर रिजर्व में 86, पेंच टाइगर रिजर्व में 74, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 86, पन्ना टाइगर रिजर्व में 102, संजय टाइगर रिजर्व में 86, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 109 माधव नेशनल पार्क में 19, वन विहार भोपाल में 12, कूनो नेशनल पार्क में 57, नौरादेदी नेशनल पार्क में 74, महाराजा मार्तंड जूदेव पार्क में 6 और स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स में 17 पद लंबे समय से खाली पड़े हुए हैं।
कूनो नेशनल पार्क को भी नहीं मिल रहे प्र्याप्त कर्मचारी
श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में विदेशों से लाकर चीतों को बसाया गया है। एक चीते की निगरानी में कम से 12 वन कर्मियों की जरूरत होती है। इसके बाद भी यहां पर भी पर्याप्त मात्रा में कर्मचारी तैनात नहीं किए जा रहे हैं। हालत यह है कि यहां के लिए स्वीकृत पदों में से 57 कर्मचारियों के पद अब भी रिक्त पड़े हुए हैं। अभी कूनो में वन क्षेत्रपाल के 14 हैं, इनमें से 10 भरे हुए हैं और 4 खाली है। वहीं उप वनक्षेत्रपाल के 12 पदों में से 5 ही भरे हैं। इसी तरह से वनपाल के 45 पद में से 32 खाली है, जबकि वनरक्षक के 156 में से 14 पद खाली है। कूनो प्रबंधन भी वन कर्मियों की मांग कर रहा है , लेकिन फिर भी पदों की पूर्ति नहीं की जा रही है।