इस साल डेढ करोड़ कम पौधे लगाएगा वन महकमा

 वन महकमा
  • हर साल पांच से छह करोड़ पौधों का रोपण किया जाता रहा है, लेकिन इस साल  महज 4 करोड़ 12 लाख का ही लक्ष्य तय किया गया है

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। 
    देश के साथ ही प्रदेश में भी लगातार हरियाली कम होने के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है। हालत यह है कि शहरी विकास व स्मार्ट सिटी के नाम पर अंधाधुंध तरीकों से पेड़ों की कटाई की जा रही है इसके बाद भी सरकार व उसके जिम्मेदार अफसर इस मामले में पूरी तरह से लापरवाह बने हुए हैं। हालत यह है कि जहां पेड़ों की अधिक जरुरत है, तो वहीं वन महकमा इस मामले में लगातार अपना लक्ष्य कम करता जा रहा है। यही नहीं हर साल करोड़ो पेड़ लगाए जाने के बाद भी हरयिाली बढ़ने की जगह कम होती जा रही है , लेकिन मजाल है कि सरकार इस मामले में किसी भी जिम्मेदार अफसर पर कार्रवाई करने की कोई हिम्मत दिखा सकी हो। हद तो यह हो गई कि इस बार वन महकमे ने बीते पांच सालों की तुलना में सबसे कम वृक्षारोपण करने का लक्ष्य तय किया है। यह हाल तब है जबकि प्रदेश में भी कोरोना ने अपनी अब तक की दोनों लहरों में कहर ढाया है और आक्सीजन के लिए लोगों को बेहद मारामारी का सामना करना पड़ा है। दरअसल प्रदेश में अगर औसत निकाला जाए तो  हर साल पांच से छह करोड़ पौधों का रोपण किया जाता रहा है, लेकिन इस साल प्रदेश में तहज 4 करोड़ 12 लाख का ही लक्ष्य तय किया गया है।
    इस बीच तो मप्र में एक साथ साढ़े छह करोड़ पौधों का रोपण कर प्रदेश का नाम गिनीज बुक रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है।  अगर प्रदेश में पूर्व के चार सालों में लगाए गए पौधों की संख्या देखें तो यह 23 करोड़ 12 लाख है। यह आंकड़ा 2017 से लेकर वर्ष 2020-21 तक का है। इनमें अकेले 5 करोड़ 63 लाख पौधे वन विकास निगम द्वारा लगाने का दावा है। इनमें सर्वाधिक वर्ष 2019-20 में वन विकास निगम ने लागए थे।  
    यह किया था तत्कालीन मंत्री ने दावा
    वन महकमे या फिर सरकार द्वारा हर साल किया जाने वाला वृक्षारोपण हमेशा से ही संदेह के घेरे में रहता है, लेकिन पूर्व वर्ती कांग्रेस सरकार के तत्कालीन वन मंत्री ने सरकार केदावों के उलट कहा था कि हर साल दो-ढाई करोड़ पौधे ही लगाए जाते हैं। बाकी पौधे कागजों में लगे होंगे, जिनकी जानकारी उन्हें नही हैं। हालांकि इस बीच रिकार्ड में वन विकास निगम द्वारा रिकार्ड तोड़ने की जानकारी सामने आयी थी। यह बात अलग है कि इस बीच निगम में जमकर धांधली की न केवल खबरें आती रहीं बल्कि उनमें से कई की तो बकायदा लिखित शिकायतें भी हुईं, लेकिन इन मामलों की अब तक कोई जांच ही नहीं कराई गई। जिसकी वजह से सभी मामले पूरी तरह से दब गए हैं।
    5 सालों में कब कितने  लगाए गए पौधे
    अगर पांच सालों के पौधरोपण को देखा जाए तो प्रदेश में वर्ष 2017-18 में कुल 5 करोड़ 88 लाख पौधरोपण किया गया। 18-19 में 5 करोड़ 44 लाख व वर्ष 2019-20 में 6 करोड़ 27 लाख पौधे लगाए गए। इसी तरह से बीते वर्ष साल 20-21 में 5 करोड़ 55 लाख तथा वर्ष 2021-22 में 4 करोड़ 13 लाख पौधरोपण का लक्ष्य तय किया गया। इस वर्ष सरकार द्वारा इस मामले में सख्ती दिखाए जाने से आंकड़ों में करीब 2 करोड़ पौधरोपण की कमी कर दी गई है। दरअसल अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि हर हाल में वास्तविक पौधरोपण ही होना चाहिए। इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
    कितने पौधे जीवित नहीं  है पता
    वन महकमें द्वारा वैसे तो हर साल करोड़ों पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन इनमें से कितने पौधे वास्तविक रूप से जीवित रहते हैं, इस बारे में विभाग कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं है। हालांकि विभाग यह दावा जरुर करता है कि वास्तव में 80 फीसदी तक पौधे जीवित रहते हैं, जबकि कागजों में यह आंकड़ा 70 फीसदी बताया जाता है। इसकी वजह है वृक्षारोपण में होने वाली बडे पैमाने पर धांधली। वृक्षारोपण के वेरीफिकेशन के मामले में तो मैदानी अधिकारियों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट को ही मान लिया जाता है। अगर बीते एक दशक की बात करें तो इस अवधि में एक हजार करोड़ रुपए खर्च कर औसतन 50 करोड़ पौधे लगाए गए। लेकिन अब यह पता ही नहीं है कि आखिर यह पौधे हैं कहां। 

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