लोकधन के दुरुपयोग में वन महकमा अव्वल

लोकधन

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के सरकारी विभागों में किस तरह की भर्राशाही और भ्रष्टाचार है इसकी हकीकत भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार (कैग) की रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट में 21 विभागों में लोक धन की चोरी का मामला सामने आया है। जिसमें 31 मार्च 2020 तक दुर्विनियोग, हानियों, चोरियों, इत्यादि के कुल 3,187 प्रकरण विभागों के ऊपर बनाए गए हैं। कैग रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा लोकधन के दुरुपयोग के मामले मुख्य प्रकरण वानिकी तथा वन्य जीवन के हैं जिसमें 16.31 करोड़ के 2,668 प्रकरण बनाए गए हैं।
गौरतलब है कि राज्य सरकार हर साल विभागों को लोकहित में कार्य करने के लिए बजट देती है, लेकिन विभाग हैं कि बजट के रूप में मिले लोकधन की चोरी करने लगते हैं। कैग की रिपोर्ट के अनुसार वानिकी के अलावा गृह विभाग, स्कूल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, पशुपालन और किसान कल्याण विभाग में सरकारी धन का दुरुपयोग और चोरी हुई है। हालांकि इन सभी मामले में अभी तक धन का रिकवरी नहीं हो पाई है।
14 विभागों में जांच शुरू नहीं हो पाई
 यह कोई पहली बार नहीं बल्कि इसके पहले भी कैग की रिपोर्ट में विभागों द्वारा की गई गड़बड़ियां उजागर हो चुकी हैं। विभागीय और आपराधिक जांच के मामले में 1544 प्रकरणों में कोई जांच शुरू नहीं हो पाई। 21 विभागों में से 14 विभागों में प्रकरणों की जांच शुरू नहीं हो पाई। जिन विभागों में जांच शुरू हुई और आपराधिक प्रकरणों के तहत राशि वसूल की गई, उनमें किसान कल्याण और कृषि विभाग से 74 लाख में से 85 हजार, वानिकी एवं वन्य जीवन से 16 करोड़ 30 लाख में से 21 लाख सात हजार रुपए की राशि वसूल हो पाई। वसूली के लंबित प्रकरण सरकार दुर्विनियोग, हानियों, चोरियों, इत्यादि के प्रकरणों में त्वरित कार्रवाई करने के लिए एक समयबद्ध रूपरेखा तैयार करने तथा ऐसे प्रकरणों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए आंतरिक नियंत्रण प्रणाली को मजबूत करने पर विचार कर सकती है।
मालूम हो कि मध्य प्रदेश वित्तीय संहिता खण्ड-1 का नियम 22 (1) प्रावधान के तहत गबन अथवा अन्य कारण से किसी लोक धन की हानि की सूचना तत्काल महालेखाकार को प्रतिवेदित की जानी चाहिए, भले ही जिम्मेदार पक्ष द्वारा इस हानि की पूर्ति कर दी गई हो। लेकिन कैग के नियमों का ज्यादातर विभागों द्वारा पालन नहीं किया जाता है।
38 करोड़ के लोकधन की चोरी
प्रदेश के 21 विभागों में 38 करोड़ रूपए के लोकधन की चोरी की गई है। चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य में 55.24 लाख, परिवार कल्याण में 47.67 लाख, कोषालय एवं लेखे प्रशासन में 830.42 लाख, जलपूर्ति एवं सफाई में 3.9, प्रशासन एवं न्याय में 15.63 लाख, चुनाव निर्वाचन में 8.90 लाख, गृह विभाग में 274.39 लाख, अनुसूचित जाति / अनुसूचित में 7.05 लाख, महिला एवं बाल कल्याण में 16 .13 लाख, लेखन सामग्री एवं मुद्रण में 8.58 लाख, स्थानीय निकाय और पंचायती में को क्षतिपूर्ति एवं समनुदेशन 8 .55 लाख, स्कूल शिक्षा में 707.2 लाख, तकनीकी शिक्षा में 77.57 लाख, खेल एवं युवा में 4.20 लाख, ग्रामीण विकास में 46 .56 लाख, पशुपालन में 18 .48 लाख, किसान कल्याण और कृषि में 74.6 8 लाख, वाणिज्यिक कर में 0.70 लाख, खनिज संसाधन विभाग में 4.22 लाख और वानिकी एवं वन्य जीवन में 30.6 1 लाख की चोरी हुई है।

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