
- अफसरों की लापरवाही पड़ रही है जंगल पर भारी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में साल दर साल वन भूमि पर अवैध कब्जा बढ़ता ही जा रही है। हालत यह है कि वन महकमे के कब्जे वाली जमीन में से 46 हजार हेक्टेयर जमीन हाथ से जा चुकी है। इसकी वजह है विभाग के अफसरों की बड़ी लापरवाही। वे लंबे समय तक अपनी जमीन की हकीकत स्थिति देखने ही नहीं जाते हैं। इसका फायदा भू माफिया जमकर उठाते हैं। इसके अलावा अफसरों को वन भूमि पर कब्जा किए जाने की जानकारी मिल भी जाती है, तो भी वे समय पर सक्रियता नहीं दिखाते हैं। प्रदेश में वन क्षेत्र कम होने का एक बड़ा कारण बन भूमि पर होने वाला अतिक्रमण भी है। इसके बाद भी विभाग अपनी जमीन मुक्त कराने के लिए अभियान चलाने में रुचि नहीं दिखा पा रहे है। हालत यह है कि प्रदेश की 46 हजार हेक्टेयर से अधिक वन भूमि पर न केवल अवैध कब्जा हो चुका है, बल्कि इस जमीन पर खेती से लेकर अवैध उत्खनन की गतिविधियां भी बड़े पैमाने पर चल रही हैं। प्रदेश में अधिसूचित वन क्षेत्र 3 लाख 12 हजार हेक्टेयर से अधिक है। इसमें से 15 प्रतिशत अतिक्रमण की चपेट में है। खासतौर पर प्रदेश के बुरहानपुर सहित 8 जिलों में यह समस्या विकराल रूप ले चुकी है। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में प्रति वर्ष साढ़े 7 सौ हेक्टेयर से अधिक वन भूमि पर खेती और आवास बनाने के नाम पर अतिक्रमण किया जा रहा है। अधिकारी भी दबी जुबान से यह स्वीकार करते हैं कि वनाधिकार अधिनियम के बाद वन भूमि में न केवल अतिक्रमण बढ़ा है, बल्कि इन्हें खाली कराना मुश्किल हो रहा है। खंडवा, ग्वालियर, छतरपुर, सागर, दमोह और शिवपुरी में बीते तीन वर्षों में सर्वाधिक अवैध कब्जों की जानकारी सामने आई है। वहीं वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अतिक्रमण विरोधी मुहिम लगातार चलाई जा रही है। बीते साल करीब एक हजार हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई है। सर्वाधिक सफलता खंडवा में मिली है।
दमोह में सबसे खराब स्थिति
हाल ही में भारतीय वन स्थिति सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023 में जंगलों का सर्वाधिक नुकसान दमोह में हुआ है। जहां सर्वाधिक 85.29 प्रतिशत जंगल कम हुआ है। इसके बाद 71.38 प्रतिशत कमी के साथ इस अंचल का संभागीय मुख्यालय सागर रहा है। कटनी 32.22 और सिवनी में 34.25 प्रतिशत की गिरावट आई है।
खर्च हो जाती है 26 सौ करोड़ की राशि
वन विभाग वनों की सुरक्षा और विकास के नाम पर प्रति वर्ष 2600 करोड़ रुपए खर्च करता है। इसके बाद भी वनों की सुरक्षा पूरी तरह से नहीं हो पा रही है। अतिक्रमण, अवैध कटाई और उत्खनन के मामले साल दर साल बढ़ते ही जा रहे हैं।
किस वर्ष कितनी गई भूमि
वर्ष 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2020, 2021, 2022, 2023, 2024
नवीन अतिक्रमण
प्रभावित क्षेत्र (हे.) 2010, 4997, 3679, 3140, 2622, 2490, 2110, 3298, 2161
अवैध उत्खनन
प्रभावित क्षेत्र (हे.) 4357, 3107, 279, 659, 631, 1772, 5802, 1241, 954, 301