अटल प्रोग्रेस-वे की राह का रोड़ा बना वन महकमा

अटल प्रोग्रेस-वे

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की शिव सरकार की पहली प्राथमिकता में शामिल अटल प्रोग्रेस-वे के निर्माण में वन महकमा रोड़ा बना हुआ है, जिसकी वजह से यह काम शुरू नहीं हो पा रहा है। सरकार इस काम को तेजी से करना चाहती है, लेकिन वन विभाग एनएचएआई को दी गई जमीन के लिए एनओसी जारी करने के लिए तैयार नहीं है। गौरतलब है कि इसके निर्माण से चंबल इलाके की विभिन्न राज्यों तक कनेक्टिविटी बढ़ जाने से आना जाना आसान हो जाएगा। हालत यह है कि वन विभाग द्वारा एनओसी देने के लिए राजी नहीं होने की वजह से  अब राज्य सरकार को जमीन अधिग्रहण के लिए केंद्र सरकार से सहमति मांगनी पड़ रही है। इस हालात के चलते जानकारों का मानना है कि यदि अनुमति नहीं मिलती है तो डीपीआर को लेकर भी संकट खड़ा हो सकता है। दरअसल, ग्वालियर-चंबल अंचल के विकास के लिए जरूरी माने जाने वाले इस अटल प्रोग्रेस-वे की डीपीआर 4 माह के अंदर बना ली गई थी। इसके लिए भिण्ड, मुरैना और श्योपुर कलेक्टरों द्वारा राजस्व जमीनों का अधिग्रहण कर एनएचएआई को सौंपा जा चुका है। इसके तहत उत्तर प्रदेश के इटावा जिले से लेकर राजस्थान के कोटा जिले तक 360 किलोमीटर लंबा मार्ग तैयार किया जाना है। इस प्रोग्रेस-वे का 312 किलोमीटर लंबा हिस्सा मध्यप्रदेश के मुरैना, भिण्ड, श्योपुर जिले के 153 ग्रामों से होकर गुजरेगा। इसके अलावा 30 किलोमीटर का हिस्सा राजस्थान और 18 किलोमीटर उत्तर प्रदेश राज्य से गुजरेगा। इसके लिए मध्यप्रदेश की सीमा के तहत 1500 हेक्टेयर शासकीय भूमि, नेशनल हाईवे अथॉरिटी आॅफ इंडिया को दी गई है। अब राज्य सरकार द्वारा 284 हेक्टेयर वन भूमि की एनओसी के लिए अब केन्द्र को प्रस्ताव भेजा गया है। इसके अलावा इन तीन जिलों में 1250 हेक्टेयर निजी भूमि के लिए किसानों से सहमति जरूरी है।
सीएम ने की चर्चा
इधर, प्रदेश में उद्योग और निवेश बढ़ाने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बीते दिनों अफसरों के साथ समीक्षा की है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर-चंबल में प्रोजेक्ट की गति बढ़ाई जाए। इस पर ग्वालियर, भिण्ड कलेक्टर ने जानकारी देते हुए कहा कि राजस्व संबंधी मामलों का निपटारा किया जा चुका है, लेकिन वन विभाग की जमीनों के मामले में केंद्र सरकार को फैसला लेना है। सीएम ने कहा कि जल्द ही इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री से चर्चा करेंगे।

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