पहले राज्यों का अध्ययन फिर होगी माननीयों की वेतन वृद्धि

 वेतन वृद्धि
  • माननीयों की मंशा पर एक बार फिर फिरा पानी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के विधायकों के वेतन-भत्तों में 45 फीसदी का इजाफा करने वाले प्रस्ताव का फिलहाल सरकार ने नकार दिया है और विधानसभा की सदस्य समिति की तरफ से सरकार को भेजी गई सिफारिशी फाइल को लौटा दिया गया है। जानकारी के अनुसार विधायकों का वेतन 1.60 लाख रुपए करने की सिफारिश की गई थी। इसके अलावा पूर्व विधायकों की पेंशन में इजाफा करने का प्रस्ताव भी दिया गया था। गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से ये प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिया गया था। इस पर सरकार की तीन सदस्यीय समिति को फैसला लेना था। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव, संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार सहित वरिष्ठ विधायकों के बीच चर्चा के बाद उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा की अध्यक्षता में समिति बनाने का निर्णय लिया गया। इसमें भाजपा और कांग्रेस से एक-एक सदस्य रहेंगे। कांग्रेस ने सचिन यादव का नाम दे दिया है, भाजपा से आना बाकी है। विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों का कहना है समिति के सामने सदस्य सुविधा समिति द्वारा की गई अनुशंसा के साथ अन्य राज्यों में विधायक व पूर्व विधायकों को, वेतन-भत्ता, पेंशन सहित जो अन्य सुविधाएं मिल रही हैं, रखी जाएंगी। इसके आधार पर समिति अनुशंसा करेगी।
जानकारी के अनुसार, विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति ने विधायकों के वेतन और पेंशन में वृद्धि का जो प्रस्ताव दिया था, उसकी फाइल सरकार ने लौटा दी है। अब वित्त विभाग भी देख रहे उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा की अध्यक्षता में समिति गठित होगी। यह समिति सभी राज्यों में विधायकों में मिले रहे वेतन-भत्तों का अध्ययन करके रिपोर्ट तैयार करेगी। अभी प्रदेश के विधायकों को एक लाख 10 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन-भत्ता मिल रहा है, जो पड़ोसी राज्य, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड और उत्तर प्रदेश से कम है। लंबे समय से विधायक वेतन-भत्ते और पूर्व विधायक पेंशन में वृद्धि की मांग कर रहे हैं। सामान्यत: वेतन-भत्ते में वृद्धि की अनुशंसा के लिए विधानसभा के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में समिति गठित होती है लेकिन वर्तमान में कोई उपाध्यक्ष नहीं है इसलिए सदस्य सुविधा समिति को विधायकों के मामलों में विचार करने का दायित्व दिया गया। इसने सरकार से विधायकों का प्रतिमाह वेतन-भत्ता एक लाख 10 हजार रुपये से बढ़ाकर झारखंड की तरह दो लाख रुपये और पेंशन छत्तीसगढ़ की तरह करने की अनुशंसा की। वहां पूर्व विधायकों को 58,300 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं। इसे अव्यावहारिक मानते हुए फाइल वापस लौटाई गई है।
विधायकों ने सदस्य सुविधा समिति से की थी मांग
विधायकों ने विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति के अध्यक्ष नागेंद्र सिंह (गुढ़) के सामने वेतन-भत्ते और विधायक निधि बढ़ाने की मांग रखी थी। समिति ने विधायकों की मांग पर विचार कर वेतन-भत्ते और विधायक निधि बढ़ाने की सिफारिश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और डॉ. मुख्यमंत्री मोहन यादव से की थी। ये सिफारिश विचाराधीन थी। इसी बीच जुलाई के आखिरी हफ्ते से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हुआ। सत्र के दौरान कई विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात की और सदस्य सुविधा समिति की सिफारिश पर विचार करने के लिए कहा। विधायकों ने कहा कि सदन में मुख्यमंत्री और संसदीय कार्यमंत्री दोनों मौजूद हैं, उनके सामने इस मांग को रखा जा सकता है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और अन्य विधायकों ने भी सदन के भीतर वेतन-भत्ते बढ़ाने की मांग की थी।
50 हजार रुपए वेतन-भत्ता बढ़ाने का प्रस्ताव
मप्र में विधायकों के वेतन-भत्ते साल 2016 में बढ़ाए गए थे। पिछले नौ साल से विधायकों को 30 हजार रुपए वेतन मिल रहा है। इसके अलावा 35 हजार रुपए निर्वाचन भत्ता है। बाकी भत्ते मिलाकर कुल 1 लाख 10 हजार रुपए मिल रहे हैं। अब इसमें 50 हजार रुपए बढ़ाने की सिफारिश विधानसभा ने की है यानी विधायकों को 1 लाख 60 हजार रुपए दिए जाने का प्रस्ताव है। वहीं, पूर्व विधायकों को करीब 70 हजार रुपए पेंशन देने की सिफारिश की गई है। वर्तमान में पूर्व विधायकों को 35 हजार रुपए पेंशन मिलती है। विधायकों को रेल कूपन भी दिया जाता है, इससे विधायक राज्य के अंदर और बाहर रेल यात्रा कर सकते हैं। यह रेल कूपन विधायक के अकेले सफर के लिए फस्र्ट क्लास एसी के लिए होता है। वे राज्य के भीतर एक साल में 10 हजार किलोमीटर की यात्रा कर सकते हैं। विधायकों को 10 हजार रुपए मेडिकल अलाउंस और विधानसभा की हर बैठक में भाग लेने के लिए 2500 रुपए तक दैनिक भत्ता दिया जाता है। मप्र के पांचों पड़ोसी राज्य यूपी, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ के विधायकों का वेतन-भत्ता मप्र के विधायकों से ज्यादा है। वेतन-भत्ता 1 लाख 60 हजार रुपए होने पर ये राजस्थान और गुजरात के विधायकों से ज्यादा हो जाएगा।
प्रस्तावित बढ़ोतरी के बाद 99 लाख का अतिरिक्त भार
प्रदेश में 230 विधायकों में से 31 मंत्री हैं। मंत्रियों को वेतन सामान्य प्रशासन विभाग देता है। मुख्यमंत्री को 2 लाख रुपए तो कैबिनेट मंत्रियों को 1.70 लाख और राज्य मंत्रियों को 1.45 लाख रुपए मिलते हैं। शेष 199 विधायकों का वेतन भुगतान विधानसभा से होता है। इनमें विधानसभा अध्यक्ष का 1 लाख 87 हजार रुपए वेतन शामिल है। इस पर 2 करोड़ 19 लाख 67 हजार रुपए का खर्च आता है। प्रस्तावित 50 हजार रुपए की बढ़ोतरी के बाद सरकार के खजाने पर 99 लाख का अतिरिक्त भार आएगा।

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