
-अब नहीं करना होगा बड़े विकास कामों के लिए स्वीकृतियों का इंतजार
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव के पहले राज्य सरकार ने महापौर, निकाय अध्यक्षों के साथ ही उनकी कैबिनेट यानि काउंसिल को और पावरफुल बना दिया है। उनकी वित्तीय शक्तियां दोगुना तक बढ़ा दी गई हैं। साथ ही आयुक्तों और मुख्य नगरपालिका अधिकारियों के काम मंजूर करने के अधिकारों में इजाफा किया है। इससे आचार संहिता लगने के पहले बड़ी संख्या में कार्य स्वीकृत हो सकेंगे। मंजूरी के लिए फाइलें नहीं अटकेंगी। यह पहल नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह के निर्देश पर की गई है। प्रदेश में 16 नगर निगम हैं। इनमें से पांच लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के महापौरों को पांच करोड़ रुपए की वित्तीय शक्तियां मिली थीं। अब इसे बढ़ा कर 10 करोड़ रुपए तक कर दिया गया है। महापौर काउंसिल 10 करोड़ रुपए के कार्यों की मंजूरी दे सकती हैं। इसके पावर बढ़ाते हुए यह राशि 20 करोड़ रुपए कर दी गई है। नगर निगम परिषद को 20 करोड़ से अधिक लागत के काम मंजूर करने का अधिकार दिया गया है। कमिश्नर को भी दो करोड़ की जगह पांच करोड़ रुपए तक के कामों के लिए सक्षम प्राधिकारी बनाया है। इसी तरह पांच लाख तक जनसंख्या के शहरों में महापौर एक करोड़ से अधिक पर पांच करोड़ से कम, एमआईसी पांच से दस करोड़ और निगम परिषद 10 करोड़ से अधिक लागत के कार्य मंजूर कर सकेंगी। कमिश्नर को एक करोड़ रुपए के अधिकार दिए गए हैं। नगरीय विकास विभाग की ओर से जारी आदेश में साफ किया गया है कि केंद्र, बाहरी मदद से चल रही योजनाओं, डिपॉजिट वर्क और विशिष्ट स्कीम्स में राज्य सरकार एमआईसी या कमिश्नर को ऐसी वित्तीय शक्तियों का प्रयोग करने के लिए प्राधिकृत कर सकेगी।सरकार के इस कदम से अब शहरी इलाकों में विकास के कामों में तेजी आएगी। खासतौर पर इस तरह के कामों की स्वीकृति में अब तक काफी समय लगता था, लेकिन अब आवश्यकता अनुसार ही काम की स्वीकृति अलग-अलग स्तर पर की जा सकेगी। इसकी वजह से लोगों को परेशानी से जल्द मुक्ति मिल सकेगी।
नगरपालिका परिषद में ऐसे बढ़े अधिकार
मुख्य नगरपालिका अधिकारी पांच लाख तक, अध्यक्ष पांच से दस लाख, प्रेसीडेंट इन काउंसिल 10 लाख से 40 लाख, नगर पालिका परिषद 40 लाख से पांच करोड़, नगरीय प्रशासन कमिश्नर 5 से 30 करोड़, राज्य सरकार 30 करोड़ से अधिक ।
नगर परिषद ऐसे मजबूत होंगी
मुख्य नगर पालिका अधिकारी दो लाख तक, अध्यक्ष दो से पांच लाख, प्रेसीडेंट इन काउंसिल पांच लाख से 20 लाख, नगर पालिका परिषद 20 लाख से ढाई करोड़, नगरीय प्रशासन कमिश्नर ढाई से 30 करोड़, राज्य सरकार 30 करोड़ रुपए से अधिक ।
नगरपालिका परिषद में ऐसे बढ़े अधिकार
मुख्य नगरपालिका अधिकारी पांच लाख तक, अध्यक्ष पांच से दस लाख, प्रेसीडेंट इन काउंसिल 10 लाख से 40 लाख, नगर पालिका परिषद 40 लाख से पांच करोड़, नगरीय प्रशासन कमिश्नर 5 से 30 करोड़, राज्य सरकार 30 करोड़ से अधिक ।
नगर परिषद ऐसे मजबूत होंगी
मुख्य नगर पालिका अधिकारी दो लाख तक, अध्यक्ष दो से पांच लाख, प्रेसीडेंट इन काउंसिल पांच लाख से 20 लाख, नगर पालिका परिषद 20 लाख से ढाई करोड़, नगरीय प्रशासन कमिश्नर ढाई से 30 करोड़, राज्य सरकार 30 करोड़ रुपए से अधिक ।