वित्त विभाग को नहीं मिल पा रहे विशेषज्ञ

  • निकालने पड़ रहे हैं टेंडर दर टेंडर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। समय के साथ हर क्षेत्र में टें्रड बदला है। इससे आर्थिक क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा है। यही वजह है कि अब मध्यप्रदेश शासन भी देश दुनिया में बदलते ट्रेंड के मुताबिक प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहता है। इसके लिए उसे वित्त विशेषज्ञों की जरुरत पड़ रही है। इन विशेषाज्ञों की तलाश में अब तक तीन बार टेंडर जारी किए जा चुके हैं, लेकिन अपनी सेवाएं देने के लिए विशेषज्ञ ही आगे नहीं आ रहे हैं। हालत यह है कि पहले दो बार निकाले गए टेंडरों के बाद जब किसी ने रुचि नहीं दिखाई तो अब फिर तीसरी बार टेंडर जारी करना पड़ा है। दरअसल, सरकार का वित्त विभाग अब  ऋण प्रबंधन, वित्तीय रणनीति, मार्केट रिसर्च और म्युनिसिपल बांड्स जैसे नए क्षेत्रों में विशेषज्ञों की सेवाएं चाहता है। इसके लिए विभाग द्वारा पहले ही प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट का गठन कर दिया गया है।   इसमें सबसे बड़ी समस्या है कि जिस स्तर के विशेषज्ञों की मदद वित्त विभाग चाहता है, वे प्रदेश में आने के लिए तैयार नही हैं। वित्त विभाग को बजट, ऋण प्रबंधन, नई योजनाओं का वित्तीय प्रबंधन करने के अलावा सभी विभागों के वित्तीय प्रस्तावों पर अभिमत देना होता है। हालांकि विभाग में मुख्य रूप से वित्त से जुड़े अधिकारी और कंसलटेंट मौजूद होते हैं। जबकि वित्त क्षेत्र में बीते सालों में म्युनिसिपल बांड्स, पीपीपी मोड, हाइब्रिड एन्युटी मोड, मार्केट रिसर्च, इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, डाटा एनालिटिक्स, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, ऋण प्रबंधन, फाइनेंसियल फोरकास्ट, चाइल्ड-जेंडर बजट जैसे नए आयाम जुड़ चुके हैं।
 कर्ज प्रबंधन पर होना है काम
एक्सपर्ट सेवाओं में सरकार के कर्जों का प्रबंधन भी शामिल है। इसकी वजह है सरकार लगातार कर्ज ले रही है। इन कर्जों का प्रबंधन -आंकलन भी इसमें शामिल है। एफआरबीएम नियमों का पालन, राजकोषीय नीति बनाना, राजस्व -खर्च का आंकलन, वित्तीय ट्रेंड का आंकलन, आरबीआई के नियमों का पालन जैसे प्रावधान शामिल हैं। नई योजनाओं में वित्तीय जोखिम का अध्ययन भी किया जाना है। बजट निर्माण में दूसरे राज्यों के बजट का इनपुट इक_ा करना, वित्तीय प्लानिंग में मदद करना और किन क्षेत्रों में सुधार हो सकता है, उसकी सुझाव देना भी इनके जिम्मे रहेगा।  वित्तीय प्रबंधन में उपलब्ध नई तकनीकों और रणनीतियों की जानकारी विभागों को देना। बेहतर वित्तीय मॉडल ढूंढा और निवेश की संभावनाएं तलाशने का काम भी इन्हें करना होगा।
 अब बदलनी पड़ गई शर्तें
इन विशेषेज्ञों के लिए संबंधित एजेंसी के लिए दो बार पूर्व में टेंडर निकाले जा चुके हैं। हाल ही में तीसरी बार निकला गया है। दरअसल चाहे गए स्तर के विशेषज्ञों के मप्र न आने की वजह है, उन्हें वैसी सुविधाएं प्रदेश में नहीं मिल सकती है, जैसी वे चाहते हैें सा फिर उन्हें दूसरी जगह पर मिल रही हैं। यही वजह है कि इस बार तीसरी बार टेंडर निकालने से पहले विभाग को टेंडर की शर्तों में बदलाव करना पड़ा है। नई शर्तों में उन्हें हाइब्रिड मोड पर काम करने की सुविधा दी जा रही है। इसके तहत उन्हें हफ्ते में 5 दिन ही विभाग में रहकर काम करना होगा यानि साल में लगभग 2 महीने ही यहां रहना होगा। कुछ सदस्यों को फुल टाइम रहना होगा। अब एमबीए की बजाय कॉमर्स और सीए बैकग्राउंड से भी उम्मीदवारों को भी इसकी पात्रता की शर्तों में शामिल कर लिया गया है।  

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