-25 करोड़ से अधिक के आहरण पर अनुमति जरूरी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। आर्थिक संकट से जूझ रही मप्र सरकार के वित्त विभाग ने अब फिजूलखर्ची रोकने के लिए बड़ा फैसला लिया है। दरअसल वित्त विभाग ने जहां कई योजनाओं पर वित्तीय पाबंदी लगा दी है। इन योजनाओं के लिए पैसा खर्च करने से पहले वित्त विभाग की हरी झंडी लगेगी। यानी कि वित्त विभाग की मंजूरी के बाद ही विभाग इन योजनाओं में पैसे खर्च कर सकेंगे। जिन योजनाओं पर वित्तीय पाबंदी लागू की गई है वह सीधे आम व्यक्ति से ताल्लुक रखती हैं। वित्त विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि ये पाबंदी मार्च 2025 तक लागू रहेंगी। वहीं वित्त विभाग ने 25 करोड़ से अधिक के आहरण पर पाबंदी लगा दी है। यानी विभाग वित्त विभाग की अनुमति के बिना इतनी राशि का आहरण नहीं कर सकते हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही डॉ. मोहन यादव ने वित्तीय मैनेजमेंट पर सबसे अधिक फोकस किया है। इसके लिए उन्होंने वित्त विभाग को निर्देश दिया है कि जन हितैषी योजनाओं पर सबसे अधिक फोकस किया जाए। इसको देखते हुए वित्त विभाग ने अन्य विभागों को निर्देशित किया है कि वे अपने फंड का उपयोग आवश्यक योजनाओं पर ही करें। उधर, वित्तीय प्रबंधन के लिए एकमुश्त राशि निकालकर रखने की व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है तो कई योजनाओं के लिए धन की निकासी से पहले वित्त विभाग की अनुमति अनिवार्य रूप से लेनी होगी। 25 करोड़ रुपये से अधिक राशि का आहरण वित्त विभाग से पूछे बिना नहीं किया जा सकता है।
पूंजीगत व्यय बढ़ाने पर जोर
प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार को जोर पूंजीगत व्यय बढ़ाने पर है। इससे अधोसंरचना विकास की परियोजनाओं को गति दी जा रही है। इस प्रयास की न केवल भारत सरकार प्रशंसा कर चुकी है बल्कि अतिरिक्त राशि भी उपलब्ध कराई है। खनिज, आबकारी जैसे क्षेत्रों से आय बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है तो कर चोरी रोकने सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग हो रहा है। प्रदेश में जीएसटी से आय लगातार बढ़ रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दिसंबर में 2,976 करोड़ रुपये का जीएसटी मिला था, जो 2023-24 के दिसंबर में 3,304 करोड़ रुपये पहुंच गया यानी 11 प्रतिशत की वृद्धि रही। वित्तीय वर्ष में इस अवधि तक 23,471 करोड़ का राजस्व मिला, जो पूर्व वर्ष से 21 प्रतिशत अधिक रहा। राजस्व बढ़ाने के लिए वाणिज्यिक कर मुख्यालय स्थित डेटा, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में एनालिटिक्स टीम लगाई। कंस्ट्रक्शन, माइनिंग, बिल्डिंग मटेरियल आदि क्षेत्र से जुड़े प्रकरणों की छानबीन करके 442 करोड़ रुपये जमा करवाए।
रोजगार के अवसर बढ़ाने पर फोकस
सरकार का फोकस है कि प्रदेश में अधिक से अधिक रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं। रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए छोटी व मझोली औद्योगिक इकाइयों को बढ़ावा दिया जा रहा है। स्वरोजगार की विभिन्न योजनाओं में बैंकों से ऋण स्वीकृत कराया जा रहा है तो स्वनिधि योजना के माध्यम से पथ विक्रेताओं को फिर पैरों पर खड़ा करने के लिए बिना ब्याज का ऋण दिलवाया जा रहा है। कोरोना महामारी के समय जब आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गई थीं, तब पूंजीगत कामों को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाए रखने का जो काम शुरू हुआ वो अब गति पकड़ चुका है। पूंजीगत कार्यों में व्यय जीएसडीपी का चार प्रतिशत से अधिक हो गया है। 2019-20 में जहां 29,241 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे थे, वो 2023-24 में 60,689 करोड़ रुपये पहुंच गया। इस बार भी 15 प्रतिशत की वृद्धि प्रस्तावित है। पूंजीगत कामों के लिए भारत सरकार के निर्धारित मापदंडों की पूर्ति के कारण विशेष केंद्रीय सहायता योजना में 3,829 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिले। अब फोकस उद्योग को बढ़ावा देकर रोजगार के अधिक से अधिक अवसर बनाने पर है। निवेशकों की तलाश की जा रही है। सात-आठ फरवरी 2025 को भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट होगी। साथ ही छोटी और मझौली श्रेणी की इकाइयों को बढ़ावा देने की कार्ययोजना पर काम भी किया जा रहा है। विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं का क्रियान्वयन भी प्राथमिकता में रखा है ताकि रोजगार की मांग का दबाव कम हो।
70 से ज्यादा योजनाओं पर वित्तीय पाबंदी
वित्त विभाग ने पूर्व में ही 33 विभागों के 70 से अधिक योजनाओं पर वित्तीय पाबंदी लगा दी है। इन योजनाओं के लिए पैसा खर्च करने से पहले वित्त विभाग की हरी झंडी लगेगी। यानी कि वित्त विभाग की मंजूरी के बाद ही विभाग इन योजनाओं में पैसे खर्च कर सकेंगे। जिन योजनाओं पर वित्तीय पाबंदी लागू की गई है वह सीधे आम व्यक्ति से ताल्लुक रखती हैं वित्त विभाग की ओर से जारी आदेश में यह बताया गया है कि ये पाबंदी मार्च 2025 तक लागू रहेंगी। मतलब साफ है कि नया वित्तीय वर्ष शुरू होने से पहले तक ये रोक इसी महीने से लागू रहेंगी। मप्र में अब सडक़ मरम्मत,शहरी सडक़ों के सुधार के लिए कायाकल्प योजना, पीडब्ल्यूडी की सडक़ों के सुधार, उन्नयन, डामरीकरण और नवीनीकरण के लिए वित्त विभाग की अनुमति जरूरी होगी। मुख्यमंत्री बालिका स्कूटी योजना,लाखों किसानों में बंटने वाला एक हजार करोड़ के करीब बोनस का पैसा,मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना,संबल योजना अब वित्त विभाग की बिना मंजूरी के खजाने से नहीं निकलेगा, सीएम सोलर पंप स्कीम, बेरोजगार युवक- युवतियों को रोजगार की ट्रेनिंग, उच्च शिक्षा के लिए विदेश अध्ययन, तीर्थ यात्रा योजना के लिए भी वित्त विभाग की अनुमति जरूरी होगी।
15/10/2024
0
142
Less than a minute
You can share this post!