बांधवगढ़ की वन भूमि पर बेखौफ अवैध खनन

अवैध खनन
  • टाइगर रिजर्व के आसपास तेजी से बढ़ रहा अतिक्रमण

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पर भू-माफिया की कुदृष्टि पड़ गई है। रिजर्व के आसपास तेजी से अतिक्रमण बढ़ रहा है और बेखौफ अवैध खनन हो रहा है। इससे प्रदेश में बाधों का सबसे बड़ा घर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में वन्य प्राणियों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। बांधवगढ़ से सटा इलाका धुनधुटी कभी बांस का जंगल के नाम से प्रख्यात हुआ करता था। इसी जंगल के चलते एशिया का बड़ा कागज कारखाना भी प्रसिद्ध हुआ करता था । हम आपको बता दें कि बाघ यहां विचरण करते अक्सर देखें जातें थे, लेकिन बांधवगढ़ से सटे घुनघुटी में भू-माफिया का बढ़ता दखल धीरे-धीरे शासकीय और फारेस्ट की भूमि को योजनाबद्ध सुनियोजित तरीके से निगलना शुरू कर दिया है। इस तरह वन भूमि, राजस्व रिकार्ड से ग़ुम होती जा रही है । इसके कारण इस जंगल में आबादी का बढ़ता दबाव राष्ट्रीय वन्य प्राणी और इंसानी जान के बीच हुए संघर्ष के घटना भी आए दिनों सुनने में आती है। जानकारी के अनुसार बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इस साल इस वनक्षेत्र में सबसे ज्यादा अतिक्रमण और सबसे ज्यादा अवैध उत्खनन हुआ है। बाधंवगढ़ टाइगर रिजर्व के 163 हेक्टेयर वनक्षेत्र में अतिक्रमण और 165 हेक्टेयर वनक्षेत्र में अवैध उत्खनन हो चुका है। बीते पांच साल में इस टाइगर रिजर्व के 407 हेक्टेयर वनक्षेत्र में अतिक्रमण हुआ है। यह आंकड़े वन विभाग की ताजा रिपोर्ट के हैं। बाघों की मौत भी सबसे ज्यादा इसी टाइगर रिजर्व में हो रही है। मप्र 785 बाघों के साथ टाइगर स्टेट है। पिछली गणना में देश के सबसे ज्यादा बाच मप्र में मिले थे। अब यह टाइगर रिजर्व बाघों की मौत के लिए भी मशहूर होता जा रहा है। आए दिन बाघों की मौत हो रही है।
8 माह में 11 बाघों की मौत
इस साल अब तक प्रदेश में 32 बाघों की मौत हो चुकी है। अकेले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 11 बाघों की मौत हुई है। पिछले साल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 15 बाघों की मौत हुई थी। बांधवगढ़ में 2021 में 10, 2022 में 8, 2023 में 15, 2024 में 11 बाघों की मौत हुई है। शिकार के मामले तो प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में बढ़ रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात गह है कि बांधवगट टाइगर रिजर्व के भीतर अब अतिक्रमण और अवैध उत्खनन तक हो रहा है। पिछले एक साल में 163 हेक्टेयर वनक्षेत्र में अतिक्रमण होना टाइगर रिजर्व के प्रबंधन की नाकामी का नतीजा है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा का कहना है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का डूब क्षेत्र है, जहां लोग पहले खेती करते थे। इस क्षेत्र के लोगों को मुआवजा भी मिल चुका है। इसके बाद भी जब पानी कम हो जाता है. तो लोग खेती करने अ जाते हैं। इसके चलते इस क्षेत्र में अतिक्रमण और अवैध उत्खनन का प्रकरण बनाया गया था।
साल-दर-साल हो रहा अतिक्रमण
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में साल दर साल अतिक्रमण बढ़ रहा है। यहां 2020 में 176 हेक्टेयर पर बतिक्रमण हुआ था। 2021 में 60 हेक्टेयरख् 2022 में 00 हेक्टेयर 2023 में 06 हेक्टेयर और 2024 में अब तक 163 हेक्टेयर पर अतिक्रमण हो चुका है।बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में अतिक्रमण ही नहीं हो रहा है। इस वनक्षेत्र में अवैध उत्खनन भी सबसे ज्यादा हो रहा है। इस साल अब तक 165 हेक्टेयर वनक्षेत्र में अतिक्रमण हो चुका है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पांच साल में पहली बार इतना अवैध उत्खनन हुआ है। इससे पहले साल 2022 में 6 हेक्टेयर वनहक्षेत्र में अतिक्रमण हुआ था। प्रदेश के दूसरे टाइगर रिजर्व में इस तरह से न तो अतिक्रमण हो रहा है और न ही अवैध उत्खनन हो रहा है।

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