अरुण यादव का सरेंडर

भोपाल/प्रणव बजाज//बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में प्रत्याशियों के नामों के मंथन के बीच सियासी तूफान आना शुरू हो गया है। कांग्रेस अभी अपनी तीन बार की विधायक और पूर्व मंत्री सुलोचना रावत के दलबदल के सदमे से उबर भी नहीं पायी थी कि उसे दूसरा बड़ा झटका अरुण यादव ने चुनाव न लड़ने के रुप में दे दिया है। खास बात यह है कि यादव ने यह घोषणा ऐसे समय की है, जबकि वे खंडवा लोकसभा सीट रिक्त होने के बाद से ही चुनावी तैयारी कर रहे थे, वे इस उपचुनाव को लेकर इतने उत्साही थे कि दिल्ली में राहुल गांधी तक से मिल चुके थे और अपना टिकट पक्का करने के लिए लगातार दिल्ली में कई अन्य पार्टी के आला नेताओं से भी बीच-बीच में लगातार मेल मुलाकात कर अपनी दावेदारी पुख्ता करने के प्रयासों में लगे हुए थे। यही न हीं इस बीच लगतार क्षेत्र में सक्रिय रहकर चुनावी तैयारियों की जमावट में भी पूरे लाव लश्कर के साथ लगे हुए थे। अचानक ऐसा क्या हुआ कि जोबट की कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री सुलोचना के भाजपा में शामिल होने के 12 घंटे बाद ही अरुण यादव दर्शनिक और शायर हो गए हैं। यह बात राजनैतिक वैज्ञानिकों को हजम नहीं हो रही है। फिलहाल इसके पीछे के कारणों को तलाशा जाना शुरू हो गया है। इसमें यह पता लगाया जा रहा है कि यह अरुण का सरेंडर, हार का डर या फिर भाजपा को मोह तो नही है कहीं। खास बात यह है कि एक दिन पहले ही इलाके के कार्यकर्ताओं की यादव ने चुनावी तैयारियों को लेकर बैठक ली थी और मीडिया से कहा था कि वे कांग्रेस में दो दिन पहले शामिल होने वाले कन्हैया कुमार को भी चुनावी प्रचार के लिए बुलाने वाले हैं। बीते रोज जब पार्टी में प्रत्याशियों के चयन के लिए मंथन चल रहा था , तभी दोपहर बाद अचानक सोशल मीडिया पर खंडवा लोकसभा सीट पर कांग्रेस की तरफ से प्रत्याशी के लिए मजबूत दावेदार माने जा रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव के चुनाव लड़ने में असमर्थता वाली खबर तेजी से वायरल होने लगी। इसमें अरुण यादव के उस ट्वीट का वाला दिया गया था, जिसमें उनके द्वारा खुद चुनाव लड़ने में असमर्थता व्यक्त की गई थी। इसके बाद से प्रदेश में राजनैतिक रुप से हतप्रभता की स्थिति बन गई।
यह लिखा ट्वीट में
अरुण यादव ने ट्वीट कर लिखा कि आज कमलनाथ जी, मुकुल वासनिक जी से दिल्ली में व्यक्तिगत तौर पर मिलकर अपने पारिवारिक कारणों से खण्डवा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से
अपनी उम्मीदवारी प्रत्याशी न बनने को लेकर लिखित जानकारी दे दी है, अब पार्टी जिसे भी उम्मीदवार बनाएगी मैं उनके समर्थन में पूर्ण सहयोग करूंगा। इसके पहले यादव ने आज
सुबह ट्वीट कर एक शायरी के जरिए विरोधियों पर निशाना साधा था। उन्होंने लिखा कि मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद, वक्त-बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं, मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर, रुबरू होने पर सलाम किया करते हैं। इसी तरह से उनके द्वारा इसके बाद दूसरा ट्वीट किया गया जिसमें उनके द्वारा लिखा गया कि मुझे भी यकीन था हर शख्स की तरह यही, मेरी बबार्दी के पीछे हाथ मेरे दुश्मनों का था, और पलटकर देखा जो मैने बदन पर खाकर जख्म, फेंका हुआ तीर मेरे दोस्तों का था। उनके इस ट्वीट के बाद ही सियासी कयासबाजी का दौर शुरू हो गया था,जबकि रात होते-होते अरुण यादव ने उपचुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर कयासों को सही साबित कर दिया।|
जोबट में डाबर बनेगें भाजपा की नई मुसीबत
दमोह सीट पर उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद से भाजपा के सामने उपचुनावी मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। प्रदेश में 17 सालों की सरकार में उपेक्षित कार्यकर्ता अब विद्रोही वर दिखाने से भी नहीं चूके रहे हैं। सरकार व संगठन द्वार जिस तरह से मूल कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर आयतित नेताओं को आगे बढ़ाया जा रहा है उसने आग में घी का काम करना शुरू कर दिया है। भाजपा के रणनीतिकारों ने जिस तरह से जोबट में कांग्रेस की स्थानीय बड़ी नेता पूर्व मंत्री सुलोचना रावत व उनके बेटे विशाल को भाजपा में शामिल कराकर उन्हें चुनाव लड़ाने की तैयारी की है, उससे अब जोबट में विद्रोह शुरू हो गया है। हालात यह है कि इस निर्णय से नाराज भायुमो के जिलाध्यक्ष अभिजीत (मोंटी) डाबर ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर पार्टी में खलबली मचा दी है। यही हाल लगभग अब उपचुनाव वाली दोनों ही विधानसभा सीटों पर भी बनते दिख रहे हैं। डाबर का कहना है कि जब पार्टी में माधो सिंह डाबर और भट्ट पचाया जैसे नेता हैं, तो बाहर से
आए नेताओं को टिकट कैसे दिया जा सकता है। ढाई साल बाद याद आई महिला
अब कांगे्रस में यह दावेदार
अरुण यादव के चुनाव लड़ने से मना करने के बाद खंडवा लोकसभा सीट से टिकट के लिए पांच दावेदारों के नाम चर्चा में हैं। इनमें कांग्रेस विधायक सचिन बिड़ला, पूर्व सांसद कालीचरण सकरगाय की बहू सुनीता सकरगाय, पूर्व सांसद ताराचंद्र पटेल के भतीजे नरेंद्र पटेल, राजनारायण सिंह कुर्मी और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा की पत्नी जयश्री ठाकुर शामिल हैं।
आती रहीं भाजपा में शामिल होने की खबरें
अरुण यादव के चुनाव न लड़ने की घोषणा के साथ ही उनके भाजपा में शामिल होने की अपुष्ट खबरें आना शुरू हो गई थीं। यह पहली बार नहीं है जब उनके भाजपा में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे, बल्कि पहले भी कई बार उनके भाजपा में शामिल होने की खबरें उड़ती रहीं हैं। इसके चलते उन्हें कई बार तो खंडन तक करना पड़ा। हालांकि इस बीच भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा का
कहना है कि इस समय कांग्रेस अंतर कलह से जूझ रही है। इसलिए उनके लोग उपचुनाव से पहले ही हार के डर से मैदान छोड़ रहे हैं। जहां तक अरुण यादव के भाजपा में आने या संपर्क में होने का सवाल है, तो फिलहाल ऐसा कुछ भी नहीं है।
दिग्विजय दे चुके थे शुभकामनाएं
दो दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने यादव के एक ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर अरुण यादव को शुभकामनाएं दी थीं। इसकी वजह से माना जा रहा था कि अरुण यादव का नाम
लगभग फाइनल हो चुका है, लेकिन इसके तत्काल बाद बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा का बयान सामने आया था। इसमें शेरा ने कहा था कि अरुण यादव को नहीं, मुझे टिकट मिलेगा। खास बात यह है कि कांग्रेस में दिग्विजय सिंह को अरुण यादव का विरोधी माना जाता है।