
- केंद्र सरकार ने पीएम कुसुम सी योजना को दी मंजूरी
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में किसानों को दिन के समय सस्ती और भरपूर बिजली देने के उद्देश्य से सरकार ने सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना लागू करने की तैयारी कर ली है। इस योजना के तहत किसान न केवल सौर ऊर्जा से अपने खेतों की सिंचाई कर सकेंगे, बल्कि बिजली उत्पादक बनकर सरकार को 25 साल तक बिजली बेच सकेंगे। इस बीच कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में राज्य स्तरीय समिट में अपर मुख्य सचिव नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मनु श्रीवास्तव ने जानकारी दी है कि प्रदेश में प्रधानमंत्री कुसुम ए योजना के बाद भारत सरकार ने पीएम कुसुम सी योजना को मंजूरी दी है। इस योजना के जरिए प्रदेश सरकार को 3.50 लाख यूनिट का लक्ष्य दिया है। यह करीब 1725 मेगावॉट क्षमता के सोलर प्लांट से हासिल होगा।
मनु श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में किसानों को दिन में भी और अधिक सौर ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में नवीन ऊर्जा के विकास के लिए यह समिट अत्यंत महत्वपूर्ण है। किसान अब अपनी बिजली बनाकर अपने सिंचाई पंप चला रहे हैं। शुरूआत में मप्र ऊर्जा विकास निगम के एमडी अमनबीर सिंह बैंस ने सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना और इसके क्रियान्वयन संबंधी जानकारी निवेशकों को दी। उन्होंने निवेशकों के लिए टेंडर डॉक्यूमेंट की प्रक्रियागत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना में पीएम कुसुम-सी में किए गए प्रावधानों से निवेशकों और किसानों को लाभान्वित किया जाएगा। वहीं बताया गया कि सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना का उद्देश्य किसानों और छोटे निवेशकों को सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली उत्पादन का सीधा अवसर देना है। योजना के तहत विद्युत सब-स्टेशन की 100 प्रतिशत क्षमता तक सौर परियोजनाएं लगाई जाएंगी। सरकार इन परियोजनाओं से 25 वर्षों तक बिजली खरीदेगी, जिससे किसानों को स्थायी आय का स्रोत मिलेगा।
सौर ऊर्जा से सिंचाई फीडरों को जोड़ा जाएगा
प्रदेश में करीब 8,000 कृषि फीडर स्थापित हैं, जिनसे 35 लाख कृषि पंप जुड़े हुए हैं। इन फीडरों को सौर ऊर्जा से जोडऩे के लिए 11 केवी स्तर पर सौर संयंत्र स्थापित किए जाएंगे, जिससे दिन में भी इन पंपों को निर्बाध बिजली मिल सकेगी। इससे न केवल सिंचाई आसान होगी बल्कि विद्युत अनुदान का भार भी कम होगा। फीडर के निकट सौर संयंत्र स्थापित करने से ऊर्जा सीधे खपत स्थल तक पहुंचाई जाएगी, जिससे पारेषण हानि में कमी आएगी और मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध हो सकेगी। इससे राज्य की बिजली व्यवस्था और भी मजबूत होगी। विभागीय अधिकारियों के अनुसार अब तक 80 मेगावाट की परियोजनाएं स्थापित हो चुकी हैं, जिनसे 16,000 से अधिक कृषि पंप सौर ऊर्जा से संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा 240 मेगावाट की परियोजनाओं के अनुबंध हो चुके हैं और 200 मेगावाट पर कार्य जारी है। कुल 520 मेगावाट परियोजनाओं से 1 लाख से अधिक पंपों को सौर ऊर्जा से जोड़ा जा सकेगा। परियोजनाओं को स्थापित करने के लिए कृषि अधोसंरचना निधि से निवेशकों को तीन प्रतिशत ब्याज छूट के साथ सात साल तक सहायता दी जाएगी, जिससे यह योजना किसानों और निवेशकों के लिए आर्थिक रूप से भी आकर्षक बन सकेगी।
16000 से अधिक कृषि पंप सौर ऊर्जा से जुड़े
मप्र में सोलर एनर्जी को लेकर बड़े स्तर पर काम हो रहे हैं। प्रदेश में अब तक 80 मेगवॉट क्षमता की सोलर परियोजनाएं स्थापित हो चुकी हैं, जिससे 16000 से अधिक कृषि पंपों को सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत किया जा चुका है। 240 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं के विद्युत क्रय अनुबंध हो चुके हैं और 200 मेगावॉट क्षमता की परियोजनाएं प्रक्रियाधीन है। पीएम कुसुम योजना से 3.45 लाख पंप का लक्ष्य प्राप्त किया जा चुका है। अब 2.45 पंप के सोलराईजेशन के लिए सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना के तहत निविदा जारी की जा चुकी हैं। योजना के तहत विद्युत सब स्टेशन की 100 प्रतिशत क्षमता तक की सौर परियोजनाओं की स्थापना करने का टारगेट है। वोकल फॉर लोकल के अंतर्गत स्थानीय उद्यमियों के लिए निवेश और रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में 1900 सब स्टेशन पर 14500 मेगावॉट क्षमता की परियोजनाओं का चयन हो चुका है।
एक इकाई में 20 करोड़ का निवेश
ऊर्जा विकास निगम के एमडी अमनबीर सिंह बैंस ने कहा कि वृहद स्तर पर लागू की जा रही योजना की एक इकाई की क्षमता औसतन 5 मेगावॉट की है। इसमें कुल 20 करोड़ के निवेश की आवश्यकता है। प्रत्येक जिले में चुने गए सब-स्टेशन पर स्थानीय उद्योगपति, निवेशक, विकासक और कृषक निवेश कर राज्य के विकास में सहभागी बन सकेंगे। इससे 25 वर्ष के लिए व्यापार और आय के अवसर सृजित होंगे। साथ ही सस्ती बिजली भी मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट की संभावनाओं को देखते हुए निरंतर कार्यशालाओं का आयोजन कराया जाएगा, जिसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के लिए जीआईजेड संस्था के साथ मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम ने डेढ़ वर्ष का अनुबंध किया है। प्रधानमंत्री कुसुम योजना का विस्तार करते हुए सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना ग्रिड से जुड़े हुए कृषि पम्पों को सौर ऊर्जा से बिजली देने के लिए फीडर पर सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जा रही है। कृषि क्षेत्र में देश में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य है। यहां पर सिंचाई सुविधाओं के लिए लगभग 8000 पृथक कृषि फीडर्स स्थापित किए गए हैं। लगभग 35 लाख कृषि पम्प हैं।