
-कोरोना संकटकाल में भी राज्य सरकार रख रही है किसानों का पूरा ख्याल
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में शिवराज सरकार किसानों के हित में लगातार फैसले ले रही है। यही वजह है कि किसान अब खेती और उससे जुड़े व्यवसाय पर ही ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। प्रदेश में अब किसानों को खाद के लिए भटकना नहीं पड़ेगा बल्कि उन्हें बोवनी के दौरान सीजन में खाद की मारामारी से निजात मिल सकेगी। दरअसल सरकार ने किसानों के लिए आगामी खरीफ और रबी सीजन दोनों सीजन के लिए खाद की समुचित व्यवस्था बनाना शुरू कर दिया है। किसान अपनी सुविधा से इस खाद को पात्रता अनुसार ले जा सकेंगे ताकि सीजन पर खाद को लेकर मारामारी की स्थिति ना बने। सूत्रों की जानकारी के मुताबिक वर्ष 2021-22 की खरीफ फसलों के लिए बोवनी में लगने वाला डीएपी चार लाख टन लिया जाएगा। इसके अलावा कंपलेक्स एक लाख टन और पोटाश की चालीस हजार टन की व्यवस्था की जाएगी। यही नहीं रबी सीजन के लिए साढ़े चार लाख टन यूरिया का अग्रिम भंडारण भी किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि अब हर साल खरीफ फसलों के लिए खाद का अग्रिम उठाव एक मार्च से 31 मई के बीच होगा। वहीं रबी फसलों के लिए अग्रिम उठाव एक अगस्त से 15 अगस्त तक किया जाएगा। खास बात है कि सीजन के पहले खाद लेने पर किसानों को ब्याज नहीं देना होगा। सरकार द्वारा यह राशि समितियों को दी जाएगी।
खाद की कीमत बढ़ने से किसान पर पड़ेगा आर्थिक बोझ
कोरोना महामारी के इस संकट के दौर से गुजर रहे किसानों को अब प्रदेश में डीएपी और कांप्लेक्स खाद भी महंगी मिलेगी। दरअसल अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतें बढ़ने के कारण प्रदेश में भी इसका असर हुआ है। प्रदेश में खाद की कीमत प्रति 50 किलोग्राम की बोरी पर सात सौ रुपए बढ़ गए हैं। यानी अब यह दोनों ही खाद 12 सौ रुपए की जगह 19 सौ रुपए में मिलेंगे। बढ़ी हुई कीमतों के बारे में राज्य सहकारी विपणन संघ ने भी अपने जिला प्रबंधकों को अवगत करा दिया है। हालांकि इसको लेकर कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर खाद की बढ़ी हुई कीमत वापस लेने की मांग की गई है। गौरतलब है कि कांप्लेक्स खाद की खपत मालवा और निमाड़ क्षेत्र में अधिक है। किसानों को बोवनी सीजन में दिक्कत आएगी। वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद की कीमत बढ़ने का असर हमारे यहां भी हुआ है। पूरे देश में इन खादों की कीमत बढ़ाई गई है। फिलहाल सरकार की ओर खरीफ फसलों के लिए चार लाख टन डीएपी और एक लाख टन कांप्लेक्स खाद की व्यवस्था की जा रही है।
मार्कफेड को बनाया नोडल एजेंसी
उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा जो नई व्यवस्था की गई है उसके तहत खरीफ और रबी सीजन के लिए सवा आठ लाख टन यूरिया की व्यवस्था की जाएगी। सोयाबीन और धान सहित अन्य फसलों के चार लिए चार लाख टन यूरिया की व्यवस्था बनाई जाएगी। इसके लिए सरकार ने राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) को नोडल एजेंसी बनाने का निर्णय लिया है। यही नहीं अब वर्ष 2023-24 तक खाद के इंतजाम के लिए मार्कफेड को हर साल छह सौ करोड़ रुपए की सरकारी गारंटी भी मिलेगी। दूसरी ओर खाद के भंडारण के लिए योजना पहले की तरह चलती रहेगी। इसके लिए सहकारी समितियों में जरूरत के हिसाब से खाद भंडारण किया जाएगा।
कांग्रेस की कीमतें घटाने की मांग
प्रदेश कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि किसान पहले से डीजल सहित कृषि में उपयोग आने वाली चीजों की महंगाई से परेशान है। ऐसे में खाद की कीमतों में वृद्धि से खेती की लागत और बढ़ जाएगी। जिसका असर किसान की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा। यदि खाद में की गई मूल्यवृद्धि को वापस नहीं लिया जाता है तो इसको लेकर प्रदेश में चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा।