
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी प्रदेश के किसानों को इस बार प्रदेश में गैर सर्टिफाइड सोयाबीन का बीज खरीदने पर मजबूर होना पड़ा है। खास बात यह है कि कुल 70 लाख क्विटंल सोयाबीन में से महज 11 लाख क्विंटल ही सर्टिफाइड बीज मिल सका है।
इसकी वजह से प्रदेश में इस बार कम उत्पादन के हालात बन चुके हैं। खास बात यह है कि किसानों को यह बीज 10 से 12 हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर पर बाजार से खरीदना पड़ा है। हालात यह हो गए हैं कि इस बीज की वजह से उपज महज 7 से 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ही रह गई, जबकि इसके पहले प्रमाणीकृत बीज में यह उपज 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती थी। इस मामले में कृषि विभाग अपना पल्ला यह कहकर झाड़ रहा है कि बीज उत्पादन, मॉनीटरिंग और गुणवत्ता नियंत्रण का प्रावधान नहीं है।
दरअसल इसकी वजह है बीज निगम की बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा महज सोयाबीन का 11 लाख क्विंटल बीज ही उपलब्ध कराया गया। यही वजह है कि सिर्फ 11 लाख क्विंटल सोयाबीन बीज की उपज प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल रही, जबकि बाकी 59 लाख क्विंटल बीज से उत्पादन 7 से 8 क्विंटल ही रहा है। प्रदेश में हालात क्या है इससे ही समझा जा सकता है कि बीज निगम की बीज प्रमाणीकरण संस्था किसानों को जरूरत के हिसाब से बीज उपलब्ध नहीं करा पाती। सिर्फ 13 प्रतिशत जमीन यानी 65 लाख हेक्टेयर में से 10 लाख हेक्टेयर में प्रमाणित बीज की बुआई हो सकी। इसकी वजह से प्रदेश में किसानों द्वारा कुल 7000 करोड़ रुपए का बीज खरीदा गया, जिसमें से 1100 करोड़ का बीज तो प्रमाणीकरण संस्थाओं की ओर से किसानों तक गया। इसकी वजह से किसानों को 5900 करोड़ का बीज बाजार से खरीदने पर मजबूर होना पड़ा है।
यह किया जा रहा दावा
सरकार का दावा है कि अमानक बीजों की रोकथाम के लिए विभाग ने इस साल के लिए 14 हजार नमूने एकत्र करने का लक्ष्य रखा गया, जिससे खरीफ 2021 में कुल 6928 नमूने लैब में जांच के लिए भेजे गए। जिसमें से महज 312 ही अमानक पाए गए। ऐसे मामलों में सभी अमानक नमूनों पर प्रतिबंध लगाकर 54 लाइसेंस निलंबित किए गए हैं और 5 पर एफआईआर कराई गई है और 4 लाइसेंस निरस्त किए गए। इसी तरह से खाद के 6694 नमूने जांच के लिए भेजे जिनमें से 671 नमूने अमानक पाए गए। इनमें 3 निरस्त कर शेष 20 पर एफआईआर दर्ज कराई गई।