किसानों को नहीं मिल पा रहा सोयाबीन का बीज

सोयाबीन
  • मानसून ज्यादा फिर भी परेशानी, दूसरे अनाज बीजों के विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं किसान

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। खरीफ 2025 की तैयारियों में जुटे किसानों के लिए यह सीजन बेहद अहम साबित हो सकता है। इस बार मौसम विभाग ने मानसून के समय पर आने और सामान्य वर्षा की संभावना जताई है, जिससे फसलों को लेकर उम्मीदें बढ़ गई हैं। खासकर सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए यह खबर राहत भरी है। सोयाबीन न केवल तिलहनों में एक प्रमुख फसल है, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरता को भी बनाए रखने में सहायक होती है। सोयाबीन की जगह दूसरी जींस : मध्य प्रदेश जो देश में सबसे अधिक सोयाबीन उत्पादन करता है, लेकिन इस बार सोयाबीन का उपचारित बीच किसानों को नहीं मिल रहा। किसान मंडी और किसानों से सोयाबीन का बीज खरीदकर बोवनी कर रहे हैं। वहीं कुछ किसान इस बार सोयाबीन की जगह दूसरी जींस बोने का मन बना रहे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा उड़द और मक्का विकल्प बनी है। वहीं जहां पानी की अधिकता है वहां धान की खेती की जा रही है।
प्रति एकड़ 10 क्विंटल तक उत्पादन संभव
दूसरी तरफ पिछले कुछ वर्षों में उत्पादन में आई कमी का मुख्य कारण मौसम में अस्थिरता और वैज्ञानिक पद्धतियों का अभाव रहा है, लेकिन यदि किसान इस बार उन्नत  किस्मों और आधुनिक तकनीकों का सहारा लें, तो प्रति एकड़ 10 क्विंटल तक उत्पादन संभव है। सीहोर जिले के किसान अमित सिंह, राजेंद्र सिंह और विक्रम सिंह मालवीय ने बताया कि इस बार किसान मंडियों से बीज खरीद रहे हैं। वहीं कुछ किसानों के पास अपना ही बीज रहता है, लेकिन उन्हें प्रमाणित बीज नहीं मिल पा रहा।  दूसरी तरफ किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह केषाना ने कहा कि खरीफ-2024 में 1.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बीज प्रमाणीकरण के लिए पंजीकृत हुआ और 15 लाख क्विंटल बीज प्रमाणित किया गया। रबी सीजन में 1.07 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बीज प्रमाणीकरण के लिए पंजीकृत हुआ और 21.86 लाख क्विंटल बीज प्रमाणित किया गया।
खरीफ 2025 के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्में
सोयाबीन में तीन तरह के बीज होते हैं। 60 दिन में पकने वाली किस्म को साठिया कहते हैं। कुछ किस्मों को पकने में मध्यम समय लगता है, वहीं सोयाबीन की ये किस्में 2024 के खरीफ सीजन में अच्छा रिटर्न दे सकती हैं। जेएस 9560, जेएस 335, जेएस 9305 जैसी अन्य किस्में बेहतर मानी जाती हैं। अगर किसान 2021, 2022, 2023 में नई किस्मों को अपनाते हैं, तो उन्हें 20 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन मिल सकेगा।
समय अनुसार किस्म का चयन कर बोवनी
उपसांचलक कृषि केके पांडे ने कहा कि सोयाबीन की किस्में पकने के समय के अनुसार तीन भागों में बांटी जाती हैं। जल्दी पकने वाली, मध्यम समय वाली और देर से पकने वाली किस्में। किसानों को समय अनुसार किस्म का चयन कर बोवनी करना चाहिए। किसानों को मिल रहा उपचारित बीचजिले में पर्याप्त उपचारित बीच है। बीज निगम के साथ ही कई कंपनियां बीच बेच रही हैं।

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