शिव की मंशा पर पानी फेरा, बीज आवंटन में करोड़ों का फर्जीवाड़ा

बीज आवंटन
  • अफसरों की कारस्तानी खेती-किसानी को कर रही चौपट

    भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम।
    2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को साकार करने के लिए सरकार निरंतर कार्य कर रही है, लेकिन कृषि और उद्यानिकी विभाग के अफसरों की कारस्तानी, भर्राशाही और फर्जीवाड़ा इसकी राह में रोड़ा बन रहे हैं। प्रदेश में विभिन्न फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार उन्नत किस्म के बीज किसानों को मुहैया कराने की कोशिश करती है, लेकिन अफसर या तो कागजों पर बीजों का वितरण कर देते हैं, या अमानक बीज खरीदकर बांट देते हैं। लेकिन इस बार एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। प्रदेश में रबी की बुवाई के दौरान दलहन खासतौर पर चने की बुवाई के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र से 25 करोड़ रुपए राज्य को मिले थे, जिसमें से अकेले होशंगाबाद जिले को ही 15 करोड़ रुपए दे दिए गए। जबकि इस राशि का बंटवारा, जहां धान बुवाई का रकबा ज्यादा है, वहां अधिक करना था। बताया जाता है कि इसमें बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा हुआ है। जानकारी के अनुसार, प्रदेश में दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने 25 करोड़ की राशि से स्थानीय स्तर पर चने या अन्य दलहन का बीज खरीदकर किसानों को देना था ताकि पैदावार बढ़ सके और उनकी आमदनी भी बढ़ सके। लेकिन अकेले होशंगाबाद जिले को ही 15 करोड़ रुपए दे दिए गए। आवंटन में हुई इस गड़बड़ी की सरकार जांच करवा रही है।
    सीएम को नहीं दी फर्जीवाड़े की जानकारी
    सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को मंत्रालय में दलहन फसलों की पैदावार बढ़ाने किसानों को प्रोत्साहित करने अधिकारियों की बैठक ली। इस दौरान भी दलहन बीज की खरीदी कर किसानों को उपलब्ध कराने पर चर्चा हुई। लेकिन इस दौरान अफसरों ने उन्हें दलहन बीजों के आवंटन में हुुए फर्जीवाड़े की जानकारी नहीं दी। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने राज्य को 25 करोड़ रुपए दिए थे, इस राशि से बीज की खरीदी कर किसानों को देना था, लेकिन इस राशि की बंदरबांट इस तरह की हुई कि धान उत्पादन में नौवें नंबर पर आने वाले होशंगाबाद को 15 करोड़ रुपए मिले और पहले नंबर पर आने वाले बालाघाट जिले को 1 करोड़ 97 लाख रुपए ही दिए। बकाया 10 करोड़ रुपए की राशि अन्य जिलों में बांट दी गई। अफसरों ने बिना सोचे समझे बीजों का आवंटन कर दिया है। अब यह मामला सामने आने पर इसकी सरकार जांच  करवा रही है। दरअसल, धान उत्पादक जिलों में सबसे ज्यादा रकबा 3,21,002 हैक्टेयर बालाघाट का है जबकि केंद्र से आवंटित हुई राशि में से वहां 1 करोड़ 10 लाख रुपए का आवंटन हुआ। वहीं, होशंगाबाद जिले में धान का रकबा 1,47,040 हैक्टेयर है, और यहां चने समेत अन्य दलहन फसलों की बुवाई के लिए 15 करोड़ राशि दे दी गई। बीज खरीदी की यह राशि 50 करोड़ तक पहुंचने के आसार हैं। केंद्र सरकार ने राशि आवंटन के लिए जो शर्तें रखीं थी, अब उनके उल्लंघन की जांच हो रही है।
    इस तरह की गई है बंदरबांट
    सरकार ने अफसरों को खेती के रकबे और उत्पादन के अनुसार दलहन के बीजों का आवंटन करने का निर्देश दिया था, लेकिन अफसरों ने उसकी बंदरबांट कर दी है। होशंगाबाद जिले को 15 करोड़ रुपए दिए गए। वहीं कटनी को 1 करोड़ 97 लाख रु., बालाघाट को 1 करोड़ 10 लाख रु., छिंदवाड़ा को 7 लाख 41 हजार रु., सिवनी को 1 करोड़ 5 लाख रु., डिंडोरी को 44 लाख रुपए, मंडला को 73 लाख रुपए, नरसिंहपुर को 55 लाख रुपए, दमोह को 59 लाख रुपए, पन्ना को 21 लाख रुपए, रीवा को 56 लाख रुपए, सिंगरौली को 53 लाख रुपए, सतना को 52 लाख रुपए, अनूपपुर को 42 लाख रुपए, उमरिया को 41 लाख रुपए, रायसेन को 88 लाख रुपए और बैतूल को 10 लाख रुपए आवंटित किए गए हैं।
    घोटालों की नर्सरी है उद्यानिकी विभाग
     उद्यानिकी विभाग में केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं में लगातार घोटाले सामने आ रहे हैं। कभी बीज तो कभी यंत्रीकरण की योजना में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। अभी हाल ही में प्याज के बीज में घोटाला सामने आया है। इसकी जांच अब ईओडब्ल्यू ने शुरू कर दी है।  दरअसल, राज्य शासन ने उद्यानिकी नर्सरियों पर प्रमाणित बीजों की बिक्री दर 1100 रुपये प्रति किलो तय की थी। इसके बाद भी उद्यानिकी विभाग ने अप्रमाणित खरीफ प्याज बीज दोगुने से भी ज्यादा दाम 2300 रुपए प्रति किलो की दर पर खरीद लिया। यह बीज एमपी एग्रो की जगह दूसरी संस्थाओं से खरीदा गया। इसी तरह वर्ष 2019-20 में तत्कालीन अधिकारियों ने किसानों को पावर टिलर के स्थान पर पावर वीडर व पावर स्प्रेयर वितरित कर दिये। पावर टिलर की कीमत लगभग 1.50 लाख रू. होती है। जबकि पावर वीडर और पावर स्प्रेयर 21 हजार से 52 हजार रू. तक के आते हैं।

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