मिशन शक्ति योजना में फर्जीवाड़ा

फर्जीवाड़ा
  • कर्मचारियों की भर्ती में लाखों की वसूली…

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। देश में महिलाओं को सुरक्षित, संरक्षित और सशक्त बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने मिशन शक्ति योजना शुरू की है। यह योजना महिलाओं के जीवन के विभिन्न चरणों में उन्हें एकीकृत देखभाल, सुरक्षा, संरक्षण, पुनर्वास और सशक्तिकरण प्रदान करती है। मप्र में इस योजना में फर्जीवाड़ा सामने आया है। जानकारी के अनुसार मिशन शक्ति योजना में महिला बाल विकास विभाग में आजीविका मिशन जैसा भर्ती घोटाला सामने आया है। केंद्र सरकार की मिशन शक्ति योजना में सभी जिलों के लिए महिला हब बनाया गया है। इसके लिए जिला मिशन समन्वयक समेत आठ कर्मचारियों की भर्ती की जानी थी। विभाग ने मुंबई की कंपनी टीएंडएम को आउटसोर्सिंग पर भर्ती का ठेका दे दिया। कंपनी ने मनमाफिक ढंग से कर्मचारियों की भर्ती कर ली। चयनित लोगों से लाखों रुपए वसूलने के आरोप हैं। बदले में न योग्यता का परीक्षण किया गया न ही वांछित अनुभव को परखा गया।  
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की इस योजना को मप्र में बड़ी तत्परता से लागू किया गया। मिशन शक्ति के मुख्य उद्देश्य महिलाओं को घरेलू हिंसा, यौन उत्पीडऩ और अन्य प्रकार की हिंसा से सुरक्षा प्रदान करना, महिलाओं के लिए सुरक्षित और संरक्षित वातावरण बनाना, जिसमें वे बिना किसी डर के रह सकें। महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने, उन्हें शिक्षा और कौशल विकास प्रदान करने और उनके सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों को मजबूत करने में मदद करना। महिलाओं को उनके जीवन के विभिन्न चरणों में, जैसे कि गर्भावस्था, प्रसव, बच्चों की देखभाल और वृद्धावस्था में, एकीकृत सेवाएं प्रदान करना। महिलाओं के प्रति समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए व्यवहार परिवर्तन संचार करना। लेकिन यह योजना फर्जीवाड़े का शिकार हो गई है।
लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू में शिकायत
जानकारी के अनुसार महिला बाल विकास विभाग में जिस तरह आजीविका मिशन में घोटाला हुआ है, उसी तरह केंद्र सरकार की मिशन शक्ति योजना में सभी जिलों के लिए महिला हब बनाया गया है। इसके लिए जिला मिशन समन्वयक समेत आठ कर्मचारियों की भर्ती की जानी थी। विभाग ने मुंबई की कंपनी टीएंडएम को आउटसोर्सिंग पर भर्ती का ठेका दे दिया। कंपनी ने मनमाफिक ढंग से कर्मचारियों की भर्ती कर ली। चयनित लोगों से लाखों रुपए वसूलने के आरोप हैं। बदले में न योग्यता का परीक्षण किया गया न ही वांछित अनुभव को परखा गया। मामले की शिकायत लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू के साथ मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को की गई है। भर्ती को लेकर विभाग के आला अधिकारी भी चुप हैं। जानकारी के अनुसार जिला स्तरीय हब के लिए समन्वयक, जेंडर स्पेशलिस्ट, फाइनेंस स्पेशलिस्ट, अकाउंट सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर समेत आठ पद पर भर्तियां की गई हैं। मिशन शक्ति में महिलाओं के सशक्तिकरण का काम होना है लेकिन विभाग ने 80 फीसदी कर्मचारियों के रूप में पुरुष आवेदकों को चयनित कर लिया।
काम का अनुभव नहीं
अधिकतर आवेदकों के पास महिलाओं के डोमेन में काम करने के वास्तविक अनुभव नहीं थे। इसके बावजूद कंपनी ने बगैर परीक्षण किए आवेदकों से सांठगांठ कर नियुक्ति कर दीं। ऐसे तमाम महिला आवेदक थी जिन्हें बालिका गृहों, वन स्टॉप सेंटर और स्वाधार गृह में काम करने के अनुभव थे लेकिन कंपनी ने सभी दरकिनार कर फर्जी अनुभव वालों का चयन कर लिया। कंपनी ने भोपाल में परीक्षा का आयोजन किया, जिसमें आवेदकों को अंग्रेजी भाषा में पेपर हल करने को दिया गया। जबकि मप्र हिंदी भाषी राज्य है। अपनी कारगुजारियों को छिपाने के लिए परीक्षा का प्रश्रपत्र सभी से वापिस भी ले लिया। 300 रुपए हर आवेदक से लेकर कंपनी ने लाखों रुपए की वसूली कर ली। कंपनी ने आवेदकों को 19 मई रविवार को दस्तावेज परीक्षण के लिए मेल किए और अगले दिन 12 बजकर 30 मिनिट पर भोपाल बुलाया। जिन आवेदकों से कंपनी के कारिंदों की सेटिंग नहीं हुई उन्हें जानबूझकर 24 घण्टे का समय दिया गया। बताए गए पते पर पहले तो कोई मिला नहीं बाद में एक ट्रेवल्स एजेंसी की दुकान पर कंपनी का पोस्टर लगा कर वैरिफिकेशन का नाटक किया गया। आवेदकों के पास कंपनी के कर्मचारियों की रिकार्डिंग है, जो बार-बार यह पूछ रहे थे कि आपने किससे सेटिंग की है? क्या आपने सब फुलफिल कर दिया है? कंपनी ने अपने पत्राचार में मप्र महिला बाल विकास के नाम का उपयोग किया। आवेदकों ने इसी नाम पर कंपनी के कारिंदों को मोटी रकस थमा दी। इस मामले की शिकायत आयुक्त कार्यालय को की गई लेकिन स्थापना संयुक्त संचालक ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि विभाग कोई भर्ती नही कर रहा जबकि कंपनी विभाग के नाम का खुलकर उपयोग कर रही थी।
कंपनी का चयन भी विवादों में
आयुक्त कार्यालय द्वारा टी एंड एम कंपनी को सुनियोजित तरीके से भर्ती का काम दिया गया ताकि प्रदेश भर से करोड़ों की वसूली की जा सके। नियमानुसार नई योजना के लिए कंपनियों से निविदा बुलाई जानी चाहिए थी लेकिन अफसरों ने बगैर टेंडर के ही कंपनी को यह काम दे दिया। आवेदकों के समूह मामले की शिकायत लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू की करने जा रहा है। आवेदक हरीश शर्मा, मोना केवट, पंकज अहिरवार आदि ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से समय मांगा है। जानकारों का कहना है कि यह एक सुनियोजित फर्जीवाड़ा है। अगर इसकी जांच की गई तो बड़े ख्ुालासे हो सकते हैं।

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