पुरुष के हर्निया ऑपरेशन में वसूली के लिए फर्जीवाड़ा

  • अपोलो सेज अस्पताल का कारनामा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
प्रदेश के बड़े और अत्याधुनिक अस्पतालों में शामिल राजधानी के अपोलो सेज हॉस्पिटल में मरीजों की तरह -तरह से इलाज के नाम पर जेब काटी जा रही है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जिसमें मरीज की जेब काटने के लिए फर्जीवाड़ा करने में भी अस्पताल प्रबंधन पीछे नहीं रहा है। सामने आए फर्जीवाड़ा में हर्निया के ऑपरेशन में गायनोकोलॉजी के लिए भी विशेषज्ञ का बिल भी शामिल कर दिया गया। अस्पताल में इलाज के दौरान बदइंतजामी के शिकार बने मरीज के आरोपों ने देश के प्रतिष्ठित अस्पतालों में शामिल अपोलो जैसे संस्थान की कलई खोल दी है। भोपाल में बड़े – बड़े होर्डिंग और प्रचार की चकाचौंध और अपोलो जैसे बड़े ब्रांड के कारण हर्निया का इलाज कराने अपोलो सेज अस्पताल पहुंचे संजय शुक्ला के 4 दिन अस्पताल में कैसे दर्दनाक त्रासदी की तरह गुजरे, इसको उनकी पुत्री धार्मिका ने सोशल मीडिया पर सिलसिलेवार बयां किया है। यदि आप अपोलो और सेज ग्रुप के नेम फेम के कारण अपोलो सेज अस्पताल में इलाज के लिए जा रहे हैं तो यह खबर आपके काम की है। अपोलो सेज में इलाज कराकर लौटे संजय शुक्ला के अनुभव को पढ़ लें, जो की कलई खोल रहा है। संजय शुक्ला की पुत्री धार्मिका ने बताया कि सर्जरी से पहले की जांचों में हॉस्पिटल की लापरवाही थी। ईसीजी रिपोर्ट पहले नॉर्मल थी, फिर अचानक असामान्य बता दी गई। जब इस पर सवाल उठाए तो स्टाफ का जवाब रूखा और गैर-जिम्मेदाराना था।
स्टीमेट से दोगुनी राशि वसूली  
उन्हें सर्जरी का अनुमानित खर्च 1,53,000 बताया गया, जिसके लिए इंश्योरेंस ने 80,000 रुपए स्वीकृत किए। लेकिन डिस्चार्ज के दिन हॉस्पिटल ने 2,90,000 का बिल थमा दिया। सर्जरी के बाद न कोई अतिरिक्त दवा दी गई, न डॉक्टर विजिट हुआ, फिर भी बिल में 1,69,000 का इजाफे पर सवाल किया तो बिलिंग स्टाफ ईशांत तिवारी और अकाउंट ऑडिटर नमिता शर्मा ने कोई जवाब देने की बजाय टालमटोल की। विवाद होने पर बिल 2,69,000 तक कम किया। यही नहीं अपोलो सेज अस्पताल ने बिल बढ़ाने के नाम पर मेडिकल के इतिहास में जो नहीं हुआ वह कर दिया। अस्पताल प्रबंधन ने संजय शुक्ला को थमाए बिल में गायनोकोलॉजी के विशेषज्ञ के के भी 14800 रुपए जोड़ दिए। जबकि पुरुष हर्निया के ऑपरेशन में गायनोकोलॉजी की आवश्यकता ही नहीं होती है। हद तो यह है कि हर्निया की सर्जरी करने वाले डॉ. अभिजीत देशमुख को ही गायनोकोलॉजी का भी विशेषज्ञ बताते हुए भुगतान करना बताया है।
देखभाल से लेकर भोजन तक में लापरवाही  
अपोलो सेज अस्पताल में ऑपरेशन कराकर पछता रहे संजय शुक्ला के 5 दिन अस्पताल में बिताने का पीड़ादायक अनुभव उनकी पुत्री धार्मिका ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
– 24 अप्रैल (एडमिशन):  जब अस्पताल में भर्ती हुए, तो कोई नर्स या ड्यूटी डॉक्टर विजिट पर नहीं आए। स्टाफ अशिक्षित और बदतमीज था। न नर्स, न ड्यूटी डॉक्टर। स्टाफ अशिक्षित और बदतमीज था।
– 25 अप्रैल (सर्जरी):
स्टाफ ने ओटी कपड़े देना भूल गया, मरीज को खुद कपड़े बदलने पड़े। कोई उनकी देखभाल के लिए मौजूद नहीं था, और स्टाफ का व्यवहार फिर से असभ्य था।
– 26 अप्रैल: रात में कोई नर्स राउंड पर नहीं। आईवी बोतल बदलने के लिए परिवार को खुद बोलना पड़ा।
– 27 अप्रैल (रविवार): न डॉक्टर, न नर्स। नेबुलाइजेशन मांगा तो नर्स फिरदौस बेगम ने तंज कसा, घर की तरह खुद कर लो ! कैथेटर हटाने की बात पर बहाना बनाया।
खानपान में लापरवाही: डायटीशियन पल्लवी को मरीज की खांसी के कारण मूंग दाल न देने को कहा गया, फिर भी वही परोसा गया। 

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