- ई-केवायसी में अभी तक मिल चुके हैं 15.46 लाख फर्जी

विनोद उपाध्याय
गरीब और जरूरतमंद परिवारों को सरकारी सस्ते राशन की सुविधा बिना रुकावट मिलती रहे, इसके लिए मप्र सरकार ने ई-केवायसी को अनिवार्य कर दिया है। इसका सीधा मकसद यह है कि राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाई जाए और हर दाना सही व्यक्ति तक पहुंचे। अभी तक सरकार की ई-केवाईसी की प्रक्रिया में प्रदेशभर में 15.46 लाख फर्जी हितग्राही मिले हैं जो हर महीने गरीबों के करोड़ों रुपए के अनाज डकार रहे थे। ई-केवाईसी प्रक्रिया से फर्जी राशन कार्ड बनवाने वाले बेनकाब होने लगे हैं। वहीं ऐसे पात्र हितग्राहियों को भी राशन मिलेगा, जो किन्हीं कारणों से छूट जाया करते थे। ऐसे में अब फर्जी कार्ड बनवाने वालों में हडक़ंप मच गया है। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार की सख्ती के चलते प्रदेशभर में राशन लेने वाले हितग्राहियों की ई-केवायसी शुरू कराई गई थी। विभागीय अफसरों का कहना है कि ई-केवायसी करके सभी अपात्रों को चिह्नित करके उनके नाम काटे जा रहे हैं। कमिश्नर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग कर्मवीर शर्मा का कहना है कि नए पीडीएस सिस्टम लागू होने पर ई-केवाईसी अनिवार्य किया गया है। इसके लिए हम लगातार अभियान चला रहे हैं। जो भी अपात्र हितग्राही हैं, उन्हें ई-केवायसी के जरिए ट्रैस कर रहे हैं। अब तक 15.46 लाख अपात्र हितग्राही सामने आ चुके हैं। जिनके नाम सिस्टम से हटाने की कार्रवाई की जा रही है।
फर्जी हितग्राहियों के नाम हटाए जा रहे
अधिकारियों का कहना है कि फर्जी हितग्राहियों को चिह्नित करके उनके नाम लगातार हटाए जा रहे हैं। यह काम पूरा होते ही नए नाम जुड़ सकेंगे। मप्र के लिए केन्द्र की ओर से 5.46 करोड़ हितग्राहियों का टारगेट निर्धारित किया गया था। लेकिन प्रदेश में 5.54 करोड़ हितग्राही हो चुके हैं। इनमें अंतर 8 लाख अधिक हितग्राहियों का है। ई-केवायसी की अनिवार्यता के बाद से केन्द्र द्वारा कोटे के अनुपात में ही राशन आवंटित किया जा रहा है। यही कारण है कि कोटे से अधिक हो चुके हितग्राहियों को राशन देने में भी खाद्य विभाग को मुश्किल हो रही है। अफसरों का कहना है कि राशन वितरण की समस्या जल्द ही खत्म हो जाएगी। प्रदेश में बीते दो साल से राशन पर्ची लेने के लिए हितग्राही परेशान हो रहे हैं। कोटे से अधिक हितग्राही होने के चलते सरकार की ओर से राशन पर्ची जारी नहीं की जा रही है। ऐसे करीब 14 लाख हितग्राही लगातार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा वे लोग हैं जो या तो नए राशन कार्ड बनावा चुके हैं या राशन कार्ड में नाम जुड़वा रहे हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में वास्तविक हितग्राही मुफ्त अनाज लेना तो छोड़िए राशन पर्ची की मदद से सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं ले पा रहे हैं।
हर महीने 7730 टन अनाज की हेराफेरी
जब से ई-केवाईसी प्रक्रिया शुरू हुई है इसमें अब तक 15.46 लाख हितग्राही फर्जी मिल चुके हैं। जो कि बीते 5 साल से हर महीने 7730 टन अनाज लेते आ रहे हैं। इनमें मृतक, डुप्लीकेट और दूसरे राज्यों से अनाज लेने वाले शामिल हैं। विभागीय अफसरों का कहना है कि ई-केवायसी करके सभी अपात्रों को चिह्नित करके उनके नाम काटे जा रहे हैं। राशन वितरण से जुड़ी गड़बडिय़ों की पड़ताल में पता चला कि केन्द्र सरकार तो अब तक मप्र के लिए तय कोटे से अधिक हितग्राहियों के लिए अनाज भेजती आ रही थी। इसका खुलासा भी ई-केवायसी की सख्ती के बाद हुआ। इधर, अफसरों को अब राशन वितरण और पात्रता पर्चियां जारी करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वे हितग्राही जिनकी ई-केवायसी नहीं हो पाई है। उन्हें राशन मिलना बंद हो चुका है। इसमें अधिकांश नाम फर्जी हितग्राहियों के थे। वहीं, पात्रता पर्ची के इंतजार में दो साल से परेशान हितग्राहियों को भी अफसर जल्द पर्चियां जारी करने की बात कह रहे हैं।