भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी भोपाल की कई हाउसिंग सोसायटियों में रहने वाले लोग परेशान हैं। इसकी वजह है सोसायटियों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव। दरअसल, शहर की कई गृह निर्माण सहकारी समितियों में प्रशासक नियुक्त हैं। प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। फिर भी वे जमे हुए हैं। यही नहीं वे समितियों के चुनाव भी नहीं करा रहे हैं। ऐसे में सोसायटियों में रहने वालों की समस्याओं को कोई सुनने वाला भी नहीं है। गौरतलब है की हाउसिंग सोसायटियों में चुनी हुई समिति रहती है तो, कालोनियों के रखरखाव करने की जिम्मेदारी वह संभालती है। राजधानी की रोहित गृह निर्माण समिति, भेल संगम, गुलाबी हाउसिंग सोसायटी, महाकाली गृह निर्माण समिति, गांधी गृह निर्माण सहकारी समिति, सर्जना, विजय नगर , न्यू विकास गृ.नि.स, संत तेताजी, गायत्री गृ.नि.स भोपाल नागरिक गृ.नि.स, लोकमान्य गृ.नि.स, सैफिया गृनिस, अम्रपाली , मुद्रण कर्मचारी गृनिस, यशी गृ.नि.स, शासकीय नवयुवक गृह निर्माण समिति, शैलगृह निर्माण सहकारी समिति और आदिराज गृह निर्माण समिति में प्रशासक नियुक्त हैं। इससे उन कालोनियों में सड़क, स्ट्रीट लाइट, पानी और सफाई व्यवस्था में बहुत परेशानी हो रही है। इससे लोग बेहद परेशान बने हुए हैं।
चुनाव कराने में अफसरों की रूचि नहीं
उल्लेखनीय है कि गृह निर्माण सहकारी समितियों में तरह-तरह की गड़बडिय़ों को रोकने के लिए प्रशासकों की नियुक्ति की जाती है। बावजूद इसके सदस्यों को राहत नहीं मिल पा रही है। हालात यह हैं कि बरसों पहले प्लॉट आवंटन के लिए राशि जमा करने वालों को न तो प्लॉट मिले और न ही समितियों के चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू हो सकी। दरअसल, प्रशासक का कार्यकाल छह माह का होता है, लेकिन कई समितियों में तो यह समय सीमा भी गुजर गई। बावजूद इसके प्रशासकों ने अपना पद नहीं छोड़ा। समितियों के चुनाव कराने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं की। नतीजे में पात्र सदस्य यहां-वहां चक्कर काट रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। बताया जा रहा है कि सहकारी संस्थाओं में चुनाव कराए जाने का मामला राजनीतिक कारणों से उलझा है। नियमानुसार समितियों का कार्यकाल समाप्त होने के तीन माह पहले चुनाव प्रक्रिया शुरू कर दी जाना चाहिए थी, जो अब तक आरंभ नहीं हुई। इस कारण समितियों में प्रशासकों का राज चल रहा है। न तो सदस्यों को समिति के कार्यकलापों की जानकारी मिल रही और सामान्य सभा नहीं बुलाए जाने से वास्तविक सदस्य संख्या एवं लेखा स्थिति से भी सदस्य वंचित है। यदि प्रशासक द्वारा आमसभा नहीं बुलाई जाती है तो प्रशासक के ऊपर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाने का अधिकार सहकारिता उपायुक्त को है। लेकिन जिले में उपायुक्त ने किसी प्रशासक के खिलाफ न जुर्माना लगाया और न ही अन्य कोई कार्रवाई की है।
23/02/2023
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