
- सचिव स्तर के अधिकारी संभाल रहे बड़े विभाग
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र पहले ही ब्यूरोक्रेसी की कमी से जूझ रहा है। इस बीच साल-दर-साल आईएएस रिटायर हो रहे हैं। वहीं तीन दर्जन से अधिक आईएएस अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में पदस्थ हैं। इससे प्रदेश में अनुभवी ब्यूरोक्रेट्स का संकट बढ़ते जा रहा है। ऐसे में सरकार को छोटे अधिकारियों को बड़ी जिम्मेदारी देनी पड़ रही है। सीनियर अधिकारियों की कमी का ही परिणाम है कि सरकार को कृषि, शिक्षा, जेल, परिवहन, महिला एवं बाल विकास जैसे बड़े विभागों की कमान सचिव स्तर के अधिकारियों को सौंपकर काम चलाना पड़ रहा है।
मप्र में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन की कोशिश है शासन और प्रशासन सुशासन के लक्ष्य पर समन्वय के साथ काम करें। इस कारण अधिकारियों की पदस्थापना काफी सोच समझकर की जा रही है। लेकिन आईएएस अधिकारियों की कमी सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी बन रही है। आलम यह है कि कई वरिष्ठ अधिकारियों के पास कई-कई विभागों का प्रभार है। ऐसे में वे काम के बोझ से दबे हुए हैं। ऐसी स्थिति को देखते हुए कई बड़े विभागों की जिम्मेदारी सचिव स्तर के अधिकारियों को दी गई है। अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा के सेवानिवृत्ति होने के बाद सरकार ने जेल एवं परिवहन जैसे विभागों में वरिष्ठ अधिकारी को पदस्थ ही नहीं किया है।
वरिष्ठ अधिकारियों के पास रहे हैं ये विभाग
सरकार ने जिन बड़े विभागों की कमान सचिव स्तर के अधिकारियों को सौंपी है। उनकी कमान सामान्यत: प्रमुख सचिव एवं अपर मुख्य सचिव स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के पास ही रही है। सामान्यत: जेल विभाग को गृह विभाग के साथ ही संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को दिया जाता रहा है। जनवरी में एसएन मिश्र के सेवानिवृत्त होने के बाद गृह विभाग की कमान अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया को सौंपी गई थी, लेकिन जेल विभाग परिवहन सचिव मनीष सिंह के पास ही रखा गया। सिंह के पास जेल एवं परिवहन सचिव के अलावा मप्र राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध संचालक और इंटर स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का भी प्रभार है। भ्रष्ट और भ्रष्टाचारियों की शिकायतों की जांच का लेकर लोकायुक्त संगठन हमेशा चर्चाओं में रहता है। लोकायुक्त की सचिव अरुणा गुप्ता पिछले 5 साल से पदस्थ है। वे 2004 बैच की अधिकारी हैं। मंत्रालय के बाहर सचिव स्तर के अधिकारियों में वे पहली अधिकारी हैं, जो इतने समय से एक ही जगह पदस्थ हैं।
आशीष सिंह हो सकते हैं उज्जैन संभागायुक्त
उज्जैन संभागायुक्त संजय गुप्ता इसी महीने सेवानिवृत्त हो रहे हैं। वे 2007 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और मार्च 2024 से उज्जैन संभागायुक्त हैं। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद 2010 बैच के आशीष सिंह को इंदौर जिलाधीश से हटाकर उज्जैन संभागायुक्त बनाया जा सकता है। आशीष सिंह के पास वर्तमान में उज्जैन मेला अधिकारी का भी प्रभार है। वे प्रदेश के पहले जिलाधीश हैं जिन्हें दूसरा दायित्व भी सौंप रखा है।
17 सीनियर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर
प्रदेश में कृषि, शिक्षा, जेल, परिवहन, महिला एवं बाल विकास जैसे बड़े विभागों में पिछले लंबे समय से प्रमुख सचिव एवं अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों को पदस्थ नहीं किया गया है। मप्र में वरिष्ठ अधिकारियों की कमी की एक प्रमुख वजह यह है कि मप्र कैडर के प्रमुख सचिव एवं अपर मुख्य सचिव स्तर के 17 अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में पदस्थ हैं। राज्य सरकार ने अभी हाल ही में विदेश अध्ययन से लौंटी 2005 बैच की आईएएस अधिकारी जीवी रश्मि को महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव पदस्थ किया है। साथ ही अपर मुख्य सचिव रश्मि अरुण शमी को विभाग की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया है। अब विभाग की कमान सचिव के रूप में जीवी रश्मि ही संभालेंगी। 2003 बैच के संजय गोयल पिछले एक साल से शिक्षा विभाग की कमान स्वतंत्र रूप से संभाल रहे हैं। पिछले महीने 2003 बैच के आईएएस निशांत बरबड़े को कृषि विभाग का सचिव बनाया गया है। कृषि विभाग में भी प्रमुख सचिव स्तर का अधिकारी नहीं है। जबकि जेल एवं परिवहन जैसे प्रमुख विभागों की कमान 2009 बैच के अधिकारी मनीष सिंह पिछले 6 महीने से स्वतंत्र रूप से संभाल रहे हैं।