- स्कूल शिक्षा मंत्री के हस्तक्षेप के बाद अतिशेष की प्रक्रिया स्थगित

विनोद उपाध्याय
मप्र के कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी है तो कहीं ये जरूरत से ज्यादा हैं। इसी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने तबादले की प्रक्रिया शुरु करने से पहले अतिशेष शिक्षकों को उन स्कूलों में भेजने की योजना बनाई थी जहां शिक्षकों की कमी है। लेकिन, फिलहाल यह प्रक्रिया विवादों में उलझ गई है। जैसे ही प्रदेश के शिक्षा पोर्टल पर लगभग 20,344 शिक्षकों की अतिशेष सूची जारी हुई, शिक्षकों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। शिक्षकों का आरोप है कि पोर्टल पर दर्ज जानकारी गलत है और कई शिक्षकों को अतिशेष बताया गया है, जबकि वे अपनी पोस्ट पर हैं। कई जगह सेवानिवृत्त शिक्षक भी अभी पदस्थ बताए जा रहे हैं। इसको देखते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह के हस्तक्षेप के बाद अतिशेष शिक्षकों के ट्रांसफर की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया है। दरअसल, लोक शिक्षण संचालनालय के अफसरों ने आधी-अधूरी तैयारियों के साथ अतिशेष के ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू की थी। स्कूल शिक्षा विभाग की ट्रांसफर पॉलिसी में सीनियर व जीएडी की ट्रांसफर पॉलिसी में जूनियर को अतिशेष माना जाता है। स्कूल शिक्षा में फिलहाल दस हजार से ज्यादा शिक्षक अतिशेष हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में चल रहे ट्रांसफर में अतिशेष शिक्षकों से दूसरे स्कूल में भेजने के लिए आवेदन मांगे गए थे। अधिकांश अतिशेष शिक्षकों ने प्रक्रिया को गलत बताया। कई शिक्षकों ने गलत तरीके से अतिशेष करने के आरोप विभाग पर लगाए। इसके विरोध में राज्य कर्मचारी संघ, शिक्षक संघ समेत कई संगठनों ने विभागीय मंत्री उदय प्रताप सिंह, सचिव स्कूल शिक्षा संजय गोयल व आयुक्त लोक शिक्षण शिल्पा गुप्ता को ज्ञापन सौंपा। इसके बाद मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने अतिशेष शिक्षकों की प्रक्रिया को स्थगित करने के निर्देश दिए हैं। मप्र शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. क्षत्रवीर सिंह राठौड़ का कहना है कि लोक शिक्षण द्वारा मनमाने तरीके से अतिशेष की प्रक्रिया की जा रही थी, जिससे शिक्षकों में भय व्याप्त था। स्कूल शिक्षा मंत्री ने प्रक्रिया को निरस्त करने के दिए निर्देश से शिक्षकों में खुशी है।
एजुकेशन पोर्टल पर गलत जानकारी
जानकारी के अनुसार एजुकेशन पोर्टल पर गलत जानकारी दर्ज होने के कारण विवाद की स्थिति निर्मित हुई है। लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक केके दिवेदी ने सभी संयुक्त संचालक व डीईओ को निर्देश जारी किए हैं, जिसमें कहा गया है कि राज्य स्तर पर लोक सेवकों द्वारा उपस्थित होकर शाला में पदस्थापना दिनांक के परिवर्तन संबंधी आवेदन प्रस्तुत किए जा रहे है। उल्लेखनीय है कि एजुकेशन पोर्टल 3.0 में समस्त लोक सेवकों की जानकारी प्रमाणीकरण विकासखंड शिक्षा अधिकारी के स्तर से किया गया है, फिर भी विसंगति की स्थिति है। इसे देखते हुए जिला एवं विकासखंड स्तर पर लोक सेवकों की शाला में पदस्थापना की दिनांक का परीक्षण कर यदि किसी लोक सेवक की पदस्थापना दिनांक में परिवर्तन है, तो तथ्यात्मक दस्तावेज के साथ जानकारी तत्काल उपलब्ध कराएं। संचालक ने निर्देश दिए हैं कि अक्टूबर 2024 से अब तक नियुक्त शिक्षकों के आईडी लंबित होने विषयक नव नियुक्त शिक्षकों द्वारा शाला में कार्यभार ग्रहण कर लिया गया है, लेकिन जिला स्तर से इन शिक्षको के आईडी नहीं बनाने के कारण संबंधित शाला में रिक्त प्रदर्शित हो रही है। सभी शिक्षकों के आईडी अनिवार्य जनरेट कर यह प्रमाण-पत्र भेजे की सभी शिक्षकों के आईडी जनरेट कर दिये गए हैं। मप्र राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष शिववीर सिंह भदौरिया का कहना है कि लोक शिक्षण संचालनालय की अतिशेष की प्रक्रिया गलत है। पहले पोर्टल में सुधार किया जाना चाहिए। इसके बाद अतिशेष शिक्षकों के दावे-आपत्ति बुलवाना चाहिए, लेकिन विभाग का रवैया मनमाना है। विभागीय मंत्री के प्रक्रिया को स्थगित करने पर आभार व्यक्त करते हैं।
ऑफलाइन जारी आदेशों को ऑनलाइन करने के निर्देश
संचालक निर्देश दिए हैं कि ऐसे माध्यमिक शिक्षक जिनके विषय त्रुटिपूर्ण है, उनके मूल नियुक्ति आदेश, पदोन्नति आदेश, नवीन संवर्ग में नियुक्ति आदेश एवं संबंधित की स्नातक उपाधि की अंकसूची के साथ संयुक्त संचालक को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा तत्काल उपलब्ध कराई जाये। तथा संयुक्त संचालक द्वारा उनके नवीन संवर्ग के संशोधित आदेश जारी किये जाये। तदोपरांत पूर्व का आदेश एवं नवीन संशोधित आदेश के साथ एकजाई सूची संचालनालय को तत्काल उपलब्ध कराई जाये। उच्च माध्यमिक शिक्षक के संदर्भ उल्लेखित आदेश एवं स्नातकोत्तर की अंकसूची के साथ संचालनालय को प्रस्ताव प्रेषित किया जाये। संचालक के जारी निर्देशों में कहा गया है कि उच्च पद प्रभार-संयुक्त संचालक के स्तर से ऑफलाइन जारी किये गये समस्त आदेशों की ऑनलाइन प्रविष्टि सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। बावजूद इसके संयुक्त संचालक के स्तर से प्रविष्टि नहीं की गई है। ऐसे अधिकांश प्रकरण भोपाल एवं ग्वालियर संभाग के सामने आये हैं। सभी संयुक्त संचालक ऐसे लोक सेवक जिनकी ऑनलाइन प्रविष्टि उच्च पद प्रभार के रूप में नहीं की गई है, उसकी जानकारी एक्सेल फॉर्मेट के साथ हस्ताक्षरित प्रति तत्काल भेजी जाए। इसके साथ ही उर्दू विषय के शिक्षकों, शालाओं से कार्यमुक्त किए गए जन शिक्षकों विषय के संबंध में निर्देश दिए है।