
-कोरोना महामारी में तकनीकी कारणों की वजह से शीतकालीन सत्र में पेश नहीें किया जा सका बिल
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। आमतौर पर सरकार बदलने के बाद पुरानी सरकार की योजना और कानूनों में लगाए गये पेंचों को बदल दिया जाता है। लेकिन मध्यप्रदेश में सरकार बदलने के बाद भी पिछली सरकार द्वारा लगाए गए पेंच सत्तासीन सरकार अब तक नहीं सुलझा सकी है।
दरअसल 2019 में प्रदेश की तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने भारत सरकार द्वारा लागू किए गए सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट 2019 में पेंच लगाकर इसे रोक दिया था जबकि यह एक्ट पूरे देश में एक सितंबर 2019 से ही लागू किया है। चूंकि उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और कमलनाथ मुख्यमंत्री थे। उन्होंने ही इस एक्ट में पेंच लगाया और इसे लागू होने से रोक दिया था। उसके बाद नवंबर 2020 में इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद राज्य शासन इसमें सक्रिय हो गया था। और इसके बाद दिसंबर 2020 तक इसे लागू करना था कहा गया था कि कुछ बिंदुओं में संशोधन के साथ इस बिल को विधानसभा में पेश किया जाएगा और विधानसभा की मंजूरी मिलने के बाद राज्यपाल को अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद गजट नोटिफिकेशन के बाद इसे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा, लेकिन अब तक इस पेंच को सरकार सुलझा नहीं सकी।
संशोधित अधिनियम में सजा का प्रावधान भी
ज्ञात हो कि केंद्रीय मोटरयान अधिनियम इससे पहले 1989 में संशोधन किया गया था। हालांकि मध्यप्रदेश में इसे 2013 से लागू किया गया है। दो जुलाई 2013 को अधिसूचना जारी होने के बाद से यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उक्त संशोधित अधिनियम के तहत कार्यवाही की जा रही है। वर्तमान में भी यही नियम लागू है। सूत्रों की मानें तो 2019 में मोटर व्हीकल एक्ट में किए गए संशोधन में कुछ नए नियम लागू किए गए हैं। इनमें प्रमुख रूप से 18 साल से कम उम्र के किशोरों का वाहन चलाने या एक्सीडेंट करने पर उनके अभिभावक को दोषी माना जाएगा। यही नहीं उनके खिलाफ एक्ट के प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जाएगी। इसके साथ ही आईपीसी की कुछ धाराओं को में फाइन के अलावा सजा का भी प्रावधान किया गया है। चूंकि पुलिस या परिवहन विभाग बिना परमिट वाहनों के खिलाफ स्पॉट फाइन नहीं कर सकता है। इन अपराध में किस धारा के तहत जुर्माना और सजा का प्रावधान कोर्ट द्वारा तय किया जाता है। इसके अलावा कुछ अन्य धाराओं में जुर्माना और सजा का अधिकार सिर्फ कोर्ट को ही है। दूसरी ओर अगर कोई व्यक्ति स्पॉट फाइन नहीं भरना चाहता है तो वह कोर्ट में जुर्माने की राशि जमा कर सकता है।
विधानसभा में पेश नहीं हो सका बिल
उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बिल पेश किया जाना था लेकिन तकनीकी कारणों से यह बिल पेश नहीं हो सका। यही वजह है कि यह मामला समय के साथ ही लटकता चला गया। बहरहाल पिछले साल भाजपा की सरकार बनने के बाद ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि मोटर व्हीकल एक्ट 2019 के पेंच को जल्द सुलझा लिया जाएगा और इसे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया जा सका।
संशोधित अधिनियम के तहत जुर्माना
विवरण 2013 2019
बगैर ड्राइविंग लाइसेंस वाहन चलाना 500 5000
शराब पीकर वाहन चलान 1000 2000
बगैर हेलमेट के वाहन चलाना 500 5000
दोपहिया पर तीन सवारी बैठना 500 2000
खतरनाक ढंग से वाहन चलाना 1500 5000
ड्राइविंग के समय मोबाइल पर बात करना 500 3000
बच्चों द्वारा वाहन चलाना 000 1000
लाइसेंस निलंबन के बाद ड्राइविंग 500 10,000
बिना ड्राइविंग लाइसेंस ड्राइविंग 500 5000
नंबर प्लेट, रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं होने पर 500 1000