अरबों खर्च के बाद भी तहसीलों में नहीं रुक रही घूसखोरी

 घूसखोरी

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। कहावत है कि ज्यों- ज्यों दवा दी मर्ज वैसे ही वैसे बढ़ता गया। यह कहावत पूरी तरह से राजस्व महकमे पर पूरी तरह से फिट बैठती है। इसकी वजह है इस विभाग का वह मैदानी अमला, जिससे हर रोज आम आदमी को काम पड़ता है। इस महकमें के अमले द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए प्रदेश सरकार बीते कुछ समय में करीब दो अरब रुपए खर्च कर चुकी है। इस राशि को पूरे सिस्टम को डिजिटल बनाने पर खर्च किया गया है। इसके बाद भी विभाग में भ्रष्टाचार कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। यही वजह है कि बीते तीन सालों में इस विभाग के एक सैकड़ा अफसर घूसखोरी करते हुए अकेले लोकायुक्त पुलिस द्वारा रंगे हाथों पकड़े जा चुके हैं। खास बात यह है कि इस विभाग में घूसखोरी कितनी है इससे ही समझा जा सकता है कि घूसखोरी में पकड़े गए अमले में चपरासी से लेकर कम्प्यूटर आॅपरेटर, पटवारी और एसडीएम तक शामिल हैं।  इनमें कई मामले तो महज 50 रुपए तक की रिश्वत के शामिल हैं। उल्लेखनीय हैं कि राजस्व विभाग का अमला लगातार अन्य विभागों की अपेक्षा अधिक रिश्वत लेते पकड़े जाते हैं। इसकी वजह से विभाग के साथ ही सरकार को भी बदनामी झेलनी पड़ती है। इससे बचने के लिए ही सरकार ने प्रदेश के करीब डेढ़ हजार राजस्व न्यायालयों को आॅनलाइन करने के लिए अप्रैल 2016 में रेवेन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम (आरसीएमएस) को लागू किया था। इसके तहत 1925 से लेकर आज तक का सारा रिकॉर्ड आॅनलाइन कर दिया गया है। नई व्यवस्था के बाद से राजस्व न्यायालय यानी तहसील और एसडीएम कार्यालय के तहत आने वाले नामांतरण, सीमांकन, बंटवारा, भूमि की नीलामी से संबंधित मामले, अपील, रिवीजन और रिव्यू जैसे तमाम काम इसी पोर्टल के माध्यम से होते हैं। कुल मिलाकर राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए विभाग को डिजिटल बनाने करीब 200 करोड़ रुपए खर्च हुए।  इसके बाद भी औसतन हर साल इस विभाग के हर माह तीन कर्मचारी घूसखोरी के मामले में धरे जा रहे हैं।
पटवारियों को रहते कई तरह के निर्णय के अधिकार
पटवारियों को कई तरह के निर्णय लेने के अधिकार होते हैं। यही नहीं उनके उच्च अफसर भी इन्ही पटवारियों के हिसाब से काम करते हैं, जिसकी वजह से वे घूसखोरी करने में पीछे नहीं रहते हैं। इस मामले में विभाग के उच्च अधिकारियों का कहना है कि ऐसे काम जो पटवारियों के अधिकार में हैं, उनमें इस तरह के मामले हो सकते हैं। हालांकि हमने इसे कम कर दिया है। इसलिए इस तरह के मामले सामने आते हैं। फिर भी हम प्रयास कर रहे हैं कि हर स्तर पर रिश्वत की आशंकाएं पूरी तरह समाप्त कर सकें।

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