चार दशक की नौकरी के बाद भी उपयंत्री नहीं बन सके सहायक यंत्री

सहायक यंत्री


भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र का जल संसाधन विभाग प्रदेश का ऐसा विभाग है, जिसमें बीते चार दशकों से उपयंत्रियों को एक भी पदोन्नति नहीं दी गई है, जिसकी वजह से वे जिस पद पर सेवा में आए थे, उसी पद से सेवानिवृत्त होने पर मजबूर बने हुए हैं। खास बात यह है कि उन्हें पदोन्नति देने में सरकार के खजाने पर भी कोई भार नहीं आना है। इस मामले में सरकार से लेकर विभाग के आला अफसरान भी इन उपयंत्रियों की पदोन्नति के मामले में मदद करने को तैयार नहीं हैं। जिसकी वजह से विभाग में पदोन्नति के स्थिति बेहद खराब बनी हुई है। यही वजह है कि विभाग में 38 से 40 साल तक उपयंत्री के पद पर सेवा करने वाले या तो अब बगैर पदोन्नति के सेवा निवृत्त हो चुके हैं या फिर होने के करीब पहुंच चुके हैं, लेकिन उनकी सहायक यंत्री बनने की तमन्ना पूरी नहीं हो पा रही है। विडंबना यह है कि इन्हें दो क्रमोन्नति मिलने की वजह से वेतन तो कार्यपालन यंत्री के पद के बराबर मिल रहा है, लेकिन काम उपयंत्री के रुप में करना पड़ रहा है। जल संसाधन विभाग के अंतर्गत पूरे प्रदेश में सैकड़ों उपयंत्री पदस्थ है। इन्हें 38 से 40 साल सेवा करते हुए हो गए हैं लेकिन अब तक सहायक यंत्री नहीं बनाया गया है। दरअसल जल संसाधन विभाग के कर्मचारी नेताओं का कहना है कि विभाग में वर्ष 2013 के बाद से ही डीपीसी नहीं की गई है। डीपीसी न होने की वजह से उन्हें पदोन्नति नहीं मिल पा रही है, इस वजह से उनमें न केवल निराशा है बल्कि वे आक्रोशित भी हैं।
मुख्यमंत्री का वादा भी नहीं हुआ पूरा
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा पिछले कार्यकाल में विभाग के उन उपयंत्रियों को सहायक यंत्री बनाने कर आश्वासन दिया था, जो 28 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके हैं, लेकिन अब तक उस पर अमल नहीं हुआ है। खास बात यह है कि उनके इस वादे पर अमल के लिए उपयंत्री आंदोलन भी कर चुके हैं। यह आंदोलन सितंबर 2020 में प्रदेश स्तर पर एक दिन का किया गया था।  इसके पहले उनके द्वारा जिला और संभाग स्तर पर भी प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा गया था।  

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