52 पेज की सफाई भी नहीं बचा सकी आईएफएस मीणा को निलंबन से

आईएफएस मीणा

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। अपनी विवादित कार्यशैली की वजह से लंबे समय से चर्चा में बने रहने वाले 94 बैच के आईएफएस अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मोहन मीणा को आखिरकार निलंबित कर ही दिया गया है। उन पर कई तरह के गंभीर आरोप हैं। जिनमें महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न से लेकर भष्टाचार के आरोप शामिल हैं। इन मामलों में उन्हें पहले नोटिस देकर पक्ष रखने को कहा गया था, जिसके बाद उनके द्वारा 52 पेजों में अपनी ओर से विभाग को सफाई पेश की गई थी। सरकार उनके खिलाफ महिलाओं द्वारा की जा रहीं उत्पीड़न की शिकायतों को लेकर बेहद गंभीर बनी हुई थी। यहीं शिकायतें मीणा को अब भारी पड़ गई हैं। वन विभाग द्वारा जारी किए गए निलंबन आदेश में कहा गया है कि तत्कालीन अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मोहन मीणा पदेन वन संरक्षक बैतूल रहते अश्लील हरकतें, अनुचित आचरण, महिलाओं का कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न के अलावा अपने अधीनस्थ को अपने पुत्र के बैंक खाते में राशि जमा कराने के मामले में दोषी पाए गए हैं। इसकी वजह से उन्हें निलंबित कर उनका मुख्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय किया जाता है। यही नहीं उन पर कई विभागीय कामों में भी भ्रष्टाचार के आरोप प्रारंभिक रुप से सही पाए जाने का भी उल्लेख किया गया है।  निलंबन आदेश मिलने के बाद अब मीणा द्वारा लगाए गए आरोपों के दस्तावेज मांगे गए हैं।
जांच कमेटी ने भी पाया दोषी
वन विभाग में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के अधिकारी के खिलाफ महिला उत्पीड़न की शिकायातों का यह पहला मौका है। इस मामले में विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल ने अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर की दो महिलाओं की एक कमेटी गठित कर जांच के लिए बैतूल भेजा था।  दोनों महिला अफसरों ने बैतूल जाकर दो दिन रुककर पीड़ितों के बयान लिए थे। पीड़ित महिलाओं के बयान के आधार पर अपनी रिपोर्ट राज्य शासन को दी थी। वर्णवाल ने मीणा  पर लगे आरोपों को गंभीरता से लेते हुए उनके निलंबन का प्रस्ताव मुख्यमंत्री सचिवालय को भेज दिया था। इसके बाद यह कार्रवाई की गई है।
इस तरह से किया राशि  का दुरुपयोग
मीणा ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए लाखों रुपए का गबन भी किया है। उन पर आरोप हैं कि उनके द्वारा विभाग के ही एक अधीनस्थ कर्मचारी के साथ मिलकर मजदूरी, बोर्ड निर्माण, सामान खरीदी के फर्जी बिल लगाकर लाखों रुपए की राशि का भी गबन किया गया है। इसमें मजदूरी के नाम पर ही दस लाख रुपए के गबन किए जाने का भी मामला शामिल है। इसके अलावा ट्रैक्टर किराए पर लेने के भी फर्जी बिल लगाने के उन पर आरोप हैं।

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