
- सिंचाई और बिजली उत्पादन प्रभावित, बढ़ रही है टेंशन
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में बीते करीब 45 दिनों से जारी बारिश के बाद भी सभी प्रमुख बांधोंं के पेट अब भी खाली के खाली ही बने हुए हैं, जिसकी वजह से अब सिंचाई और बिजली उत्पादन का काम प्रभावित होने लगा है। मौसम विभाग के मुताबिक प्रदेश में अब भी औसत से करीब 15 मिमी बारिश कम हुई है। दरअसल अब तक प्रदेश में औसतन 255.4 मिमी बारिश हुई है, जबकि अब तक 270.3 मिमी बारिश होनी चाहिए थी। शुरुआती बारिश का अधिकांश पानी तो जमीन सोख लेती है, उसके बाद की बारिश से ही जल स्तर बढऩा शुरु होता है। इसके अलावा अब तक प्रदेश में अधिकांश समय तेज बारिश का दौर ही चला है, जिसकी वजह से जल स्तर में वृद्धि नहीं हो पा रही है। यही वजह है कि प्रदेश के अधिकांश बांधों में पानी ही नहीं आ पा रहा है, जिसकी वजह से उनके जलस्तर में वृद्धि नहीं हो पा रही है। इस बार बांधों को अधिक पानी की जरुरत है। इसकी वजह है बीते साल भी औसत से कम बारिश होना। इस वजह से पहले से ही बांधों में पहले से ही पानी कम था। प्रदेश में छोटे-बड़े सभी तरह के कुल 54 बांध हैं। इनमें से कुछ बांधों के पानी से बिजली का उत्पादन भी किया जाता है। इसके अलावा अधिकांश बांधों के पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। इनमें से कुछ बांधों से बड़ी सिंचाई परियोजनाओं का भी संचालन किया जाता है। अगर बांधों की यही स्थिति रहती है, तो न केवल सिंचाई प्रभावित होगी , बल्कि बिजली उत्पादन भी प्रभावित होना तय है। इन में प्रदेश के सभी बड़े बांध भी शामिल है। प्रदेश में दस बड़े बांध हैं। इनमें बारना, गांधी सागर, तबा, केरवा, कलियासोत भी शामिल हैं। यह बात अलग है कि इसके बाद भी पार्वती, बेतवा और नर्मदा जैसी नदियों का जल स्तर जरुर अब खतरे के निशान के आसपास पहुंच गया है।
अच्छी बात यह है कि प्रदेश के सबसे बड़े बाधों में शामिल खंडवा के ओंकारेश्वर बांध में जरूर तेजी से पानी आ रहा है, जिसकी वजह से वह फुल होने के करीब पहुंच गया है। अगर बांधों की बात की जाए तो विदिशा का हलाली बांध हजारों हेक्टेयर जमीन की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराता है। इसी तरह से इसी बांध से ही विदिशा शहर को भी पानी सप्लाई किया जाता है। उधर, सम्राट आशोक सागर बांध से 33561 हेक्टेयर और संजय सागर बांध 13001 हेक्टेयर रकबे की सिंचाई होती है।
इन बांधों से होता बिजली उत्पादन
प्रदेश के गांधी सागर, पेंच, बरगी, वाणसागर, बिरसिंहपुर, राजघाट, मणिखेड़ा, इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर ऐसे बांध है, जहां पर उनके पानी से बिजली का उत्पादन किया जाता है। अगर इन बांधों में पूरी तरह से पेट भरने लायक पानी नहीं आया तो बिजली उत्पादन भी प्रभावित होता है। अहम बात यह है कि पानी से बनने वाली बिजली की लागत कोयला से बनने वाली बिजली से कम होती है। पानी से बिजली उत्पादन अगर पूरी क्षमता से किया जाए तो कोयले से बनने वाली बिजली पर निर्भरता कम हो जाती है। इससे न केवल सस्ती बिजली मिलती है, बल्कि पर्यावरण भी बड़ी मात्रा में रुकता है। प्रदेश में इन बांधों पर फिलहाल करीब 2 हजार मेगावॉट की जल विद्युत परियोजनाओं की सुविधा है।
प्रदेश के बांधों की यह है स्थिति
बांध क्षमता अभी वॉटर लेवल
बांणसागर 341.64 332.30 मीटर
बारना डेम 348.55 342.83 मीटर
गांधी सागर 399.90 394.35 मीटर
बरगी डेम 422.76 412.30 मीटर
हलाली डेम 459.61 455.23 मीटर
कलियासोत 505.67 502.20 मीटर
केरवा डेम 509.93 503.38 मीटर
कोलार डेम 462.20 451.50 मीटर
तबा डेम 355.40 342.10 मीटर
ओंकारेश्वर 196.60 195.04 मीटर