
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। केंन्द्र सरकार के एक निर्णय की वजह से बिजली के क्षेत्र में प्रदेश सरकार को एक और नए संकट का सामना करना पड़ रहा है। यह संकट ऐसे समय खड़ा हुआ है जब प्रदेश सरकार को बिजली उत्पादन के उपयोग के लिए कोयला संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह से पहले ही प्रदेश में बिजली उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है , इस बीच बिजली कंपनी का निजीकरण करने का फैसला कर लिया है।
इसकी वजह से विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर जाने की सरकार को चेतावनी दे चुके हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो वे 15 जुलाई से हड़ताल पर चले जाएंगे। जिससे पूरे प्रदेश में बिजली गुल होने की स्थिति बन सकती है। दरअसल इसको लेकर हाल ही में यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एंड इंजीनियर्स एसोसिएशन की बैठक में रणनीति तैयार की गई है। दरअसल प्रदेश की सरकार बिजली कंपनियां अपनी कार्यप्रणाली और अफसरों की लापरवाही की वजह से लगातार घाटे में जा रही हैं। इसके चलते केन्द्र सरकार ने बिजली का निजीकरण करने का तय कर लिया है। इसके तहत मध्य प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों को
एक-एक रुपए की लीज पर दिया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार ने बेहद सक्रियता दिखाते हुए ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो इस साल दिसंबर तक बिजली सप्लाई का पूरा काम निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा।
मुनाफे वाली कंपनी से होगी शुरुआत
इस निजीकरण की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अफसरों ने सबसे पहले प्राइवेट हाथों में जिस कंपनी को देने की तैयारी की है वह प्रदेश की एकमात्र ऐसी कंपनी है जो मुनाफे में चल रही है। यह इंदौर की पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी है। दरअसल यह ऐसी कंपनी है जिसका प्रदेश की अन्य कंपनियों के मुताबिक सबसे कम लाइन लॉस है। यही नहीं इस कंपनी में बेहतर प्रबंधन के चलते उसकी बिलों की वसूली भी अन्य कंपनियों की तुलना में बेहतर है। इस तरह का कदम उठाए जाने से कंपनी में काम कर रहे सरकारी बिजली कंपनी के कर्मचारियों का भविष्य भी दांव पर लग जाएगा।
बिजली कर्मचारियों ने यह उठाई मांगें
आंदोलन की राह पकड़ने वाले बिजली कर्मचारियों ने सरकार के सामने जो मांगे रखी हैं उनमें प्रमुख रुप से केंद्र सरकार की विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण के लिए जारी स्टैंडर्ड बिड डॉक्यूमेंट को मध्य प्रदेश में लागू नहीं करना, कर्मचारियों की स्थगित की गई वार्षिक वेतन वृद्धि को तुरंत चालू कर बकाया राशि का भुगतान करना, विद्युत अधिकारी और कर्मचारियों के सभी वर्गों की वेतन विसंगति दूर करना, प्रदेश में काम कर रहे सभी विद्युत संविदा अधिकारी कर्मचारियों को आंध्र प्रदेश और बिहार की तरह नियमित करना। प्रदेश में सभी वर्गों के आउट सोर्स कर्मचारियों की सेवाओं को सुरक्षित रखते हुए तेलंगाना,दिल्ली और हिमाचल प्रदेश की तरह सीमाएं सुरक्षित करना, कर्मचारियों की पेंशन की सुरक्षित व्यवस्था करते हुए उत्तर प्रदेश की तरह गारंटी लेकर पेंशन ट्रेजरी से शुरू करना, कंपनी कैडर के नियमित एवं संविदा कर्मचारियों को भी 50 फीसदी विद्युत छूट और रिटायर्ड कर्मचारियों को पहले की तरह 25 फीसदी विद्युत छूट देना शामिल हैं।
लोगों की बढ़ेगी मुसीबत
बताया जा रहा है कि बिजली कंपनियों की कमान निजी हाथों में जाने से किसानों और गरीब वर्ग को बिजली महंगी मिलना शुरू हो जाएगी। हालत यह हो जाएगी कि पेट्रोल और डीजल की तरह ही हर कभी कंपनियां बिजली के दामों में वृद्धि करने लगेंगी। बिजली कंपनियां रोज नया टैरिफ लागू करेंगी जिसकी वजह से मजबूरी में लोगों को महंगी बिजली खरीदना पड़ेगी। यही नहीं समय पर बिजली बिल का भुगतान न कर पाने पर यह निजी कंपनियां सरचार्ज के नाम पर मनमानी वसूली भी करेंगीं। इस निजीकरण की वजह से कर्ज देने वाली कंपनियों की तरह ही सूदखोरी की नई समस्या का सामना उपभोक्ताओं को करना पड़ेगा।