कम हो जाएगी ईएमआई… इकोनॉमी को मिलेगा बूस्टर

  • 5.5% हुआ रेपो रेट, रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में की 0.5% की कटौती

नई दिल्ली/बिच्छू डॉट कॉम
भारतीय रिजर्व बैंक ने आज लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कटौती करते हुए करोड़ों लोगों को बड़ी राहत दी है। आरबीआई ने इस बार रेपो रेट में सीधे-सीधे 50 बेसिस पॉइंट्स यानी 0.50 प्रतिशत की कटौती की है। रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की कटौती का ऐलान किया। आज के इस ताजा फैसले के बाद रेपो रेट अब 6.00 प्रतिशत से घटकर 5.50 प्रतिशत हो गया है। आरबीआई के इस फैसले से देश के करोड़ों आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी और अब उन्हें कम ब्याज दरों पर होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन मिलेंगे। लोन सस्ता होने से लोगों की ईएमआई घट जाएंगी और वे ज्यादा बचत कर पाएंगे। इसके अलावा, वे अन्य चीजों के लिए ज्यादा खर्च कर पाएंगे। बताते चलें कि फरवरी 2025 में करीब 5 साल के लंबे अंतराल में पहली बार रेपो रेट घटाया गया था। फरवरी 2025 से पहले आरबीआई ने मई 2020 में रेपो रेट में कटौती की थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने उस समय कोविड के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए रेपो रेट में 0.40 प्रतिशत (40 बेसिस पॉइंट्स) की कटौती की थी। आरबीआई ने जून 2023 में रेपो रेट बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था। जून 2023 के बाद फरवरी 2025 में पहली बार रेपो रेट में किसी तरह का कोई बदलाव हुआ था।
रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता और घटाता क्यों है
किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लडऩे का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है। इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।
हर दो महीने में होती है आरबीआई की मीटिंग
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 आरबीआई के होते हैं, जबकि बाकी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। आरबीआई की मीटिंग हर दो महीने में होती है। बीते दिनों रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठकों का शेड्यूल जारी किया था। इस वित्तीय वर्ष में कुल 6 बैठकें होंगी। पहली बैठक 7-9 अप्रैल को हो रही है।
इससे पहले कब घटाया गया था रेपो रेट
बुधवार, 4 जून को शुरू हुई रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मीटिंग का आज आखिरी दिन था। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में हुई इस अहम मीटिंग में रेपो रेट घटाने का फैसला किया गया। बताते चलें कि तमाम एक्सपट्र्स ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती का अनुमान लगाया था। आरबीआई इस साल रेपो रेट में लगातार 3 बार कटौती कर चुका है। आरबीआई ने इससे पहले 7 फरवरी को रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 6.50 प्रतिशत से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया था। इसके बाद, रिजर्व बैंक ने 9 अप्रैल को भी रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी, जिससे रेपो रेट 6.25 प्रतिशत से घटकर 6.00 प्रतिशत हो गया था।
50 लाख के लोन पर कितनी घटेगी ईएमआई
मान लीजिए आपने किसी बैंक से 50 लाख का होम लोन 30 सालों के लिए लिया है और इसके बदले आप 9 प्रतिशत का ब्याज दे रहे हैं तो आपकी मंथली ईएमआई 40,231 रुपये होगी। वहीं आरबीआई के रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती के बाद यह ईएमआई घटकर 38,446 रुपये हो जाएगी। यानी मंथली ईएमआई में 2000 रुपये की कटौती होगी।

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