निवेश, नवाचार और रोजगार के संकल्प का अभ्युदय

अभ्युदय
  • औद्योगिक विकास में अग्रणी बना मप्र

गौरव चौहान/भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। 2023 में प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के साथ ही डॉ. मोहन यादव ने मप्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में जो कदम बढ़ाया था, उसका असर भी दिखने लगा है। इसका ताजा प्रमाण चार बिजनेस रिफॉर्म क्षेत्रों  में मप्र को मिला टॉप एचीवर्स स्टेट का सम्मान है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 2047 तक मप्र को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं। इसके लिए मोहन सरकार संगठित नीति और योजना बनाकर काम कर रही है। सरकार वर्ष 2047 तक प्रदेश का समेकित विकास करते हुए सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) को 15.03 लाख करोड़ से बढ़ाकर 250 लाख करोड़ (2.5 ट्रिलियन डॉलर) करने का लक्ष्य रखा है।
पिछले दो साल के दौरान मप्र जिस तेजी से समेकित विकास कर रहा है उससे तो यह साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का विजन केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं, बल्कि जमीनी बदलाव का पर्याय बन चुका है। उनकी दूर दृष्टि और सूझबूझ ने मप्र को भारत में निवेश के लिए सबसे अनुकूल राज्य बना दिया है,जहां नवाचार, कौशल और आत्मनिर्भरता एक साथ आगे बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मप्र तेजी से औद्योगिकीकरण और विकास की नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है। प्रदेश सरकार का फोकस केवल आर्थिक वृद्धि पर ही नहीं, बल्कि रोजगार सृजन, आधारभूत संरचना निर्माण और सामाजिक न्याय पर भी है।
टॉप एचीवर्स स्टेट सम्मान ने लगाई मुहर
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार निवेश, नवाचार और रोजगार के संकल्प के साथ मप्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ काम कर रही है, इस पर टॉप एचीवर्स स्टेट सम्मान ने मुहर लगा दी है। मप्र उद्योगों को प्रोत्साहित करने और निवेश-अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने औद्योगिक विकास को नई दिशा दी है और सभी राज्यों को नवीन उद्योगों की स्थापना के लिए प्रेरित किया है। गौरतलब है कि हालही में मप्र को बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान (बीआरएपी) 2024 के अंतर्गत चार बिजनेस सेंट्रिक रिफॉर्म क्षेत्रों व्यवसाय पंजीयन, श्रम विनियमन, भूमि प्रशासन और सेवा क्षेत्र में टॉप अचीवर स्टेट के रूप में सम्मानित किया गया। यह इस बात का संकेत है कि मप्र ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को केवल नीतिगत सुधारों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे स्पीड, स्केल और स्किल ऑफ डूइंग में परिवर्तित किया है। प्रदेश की औद्योगिक विकास दर उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है। राज्य में क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मेलन आयोजित किए गए हैं, जिससे स्थानीय उद्यमिता को बल मिला है। पहली बार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का सफल आयोजन भोपाल में किया गया, जिससे प्रदेश की औद्योगिक पहचान राष्ट्रीय स्तर पर सशक्त हुई है।
 निवेशकों में भरोसे का वातावरण स्थापित
 राज्य सरकार ने जनविश्वास अधिनियम से कानूनों की जटिलताओं को सरल बनाया है और निवेशकों में भरोसे का वातावरण स्थापित किया है। एमपी ई-सेवा पोर्टल के माध्यम से 56 विभागों की 1700 से अधिक सेवाएं एक ही मंच पर उपलब्ध कराई गई हैं, जिससे निवेशकों को पारदर्शी और तीव्र प्रक्रिया का लाभ मिल रहा है। राज्य में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र तेजी से विस्तार कर रहा है और सरकार आईटी सहित सभी औद्योगिक क्षेत्रों में प्रगति के लिए ठोस कदम उठा रही है। डॉ. मोहन यादव ने जब यह घोषणा की कि अब निवेश केवल इंदौर या भोपाल में नहीं, बल्कि हर जिले में होगा, तब बहुतों को यह एक राजनीतिक बयान लगा था। लेकिन कुछ ही महीनों में, इस घोषणा ने मप्र मॉडल ऑफ डीसेंट्रलाइज्ड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट का रूप ले लिया। राज्य सरकार ने रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव  और जिला-स्तरीय ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट्स की श्रृंखला शुरू की। परिणाम सामने हैं,उज्जैन, रीवा, ग्वालियर, जबलपुर और सागर जैसे शहरों में हजारों करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए। ग्रामीण और अर्ध शहरी इलाकों में रोजगार का विकेन्द्रीकरण हुआ, जिससे स्थानीय युवाओं को अपने ही क्षेत्र में अवसर मिले। लघु एवं कुटीर उद्योगों की इकाइयों को विशेष प्रोत्साहन देकर राज्य ने छोटे उद्योगों को आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ाया। यह वही दृष्टि है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘वोकल फॉर लोकल’ की भावना से जोड़ते हैं। डॉ. यादव ने इस दृष्टिकोण को व्यवहार में उतारते हुए यह सिद्ध किया कि स्थानीय स्तर पर विकास का अर्थ है राज्य की संपूर्ण उन्नति। निवेशकों को एक सक्षम, सरल और सुरक्षित वातावरण प्रदान किया गया है। प्रदेश में इनोवेशन हब, स्टार्टअप पॉलिसी, फंडिंग सपोर्ट और इन्क्यूबेशन नेटवर्क स्थापित कर देश की स्टार्टअप क्रांति को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है।
2.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 विजन को वास्तविक धरातल पर उतारने की दिशा में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मप्र को एक औद्योगिक नवाचार मॉडल के रूप में स्थापित कर दिया है। सुशासन, नीति-स्थिरता और पारदर्शिता के संगम से उन्होंने राज्य की आर्थिक रफ्तार को नई दिशा दी है। इसको देखते हुए ही विजन डॉक्युमेंट में वर्ष 2047 तक प्रदेश को 2.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले राज्य के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही प्रति व्यक्ति आय 22 लाख रुपये, औसत आयु 84 वर्ष और साक्षरता दर 100 प्रतिशत तक बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया गया है। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को औद्योगिक और सेवा क्षेत्र के साथ संतुलित कर राज्य को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने की रूपरेखा तैयार की गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत 2047 के विजन से प्रेरित यह दृष्टिपत्र, संपन्न, सुखद और सांस्कृतिक जड़ों को सहेजे मध्यप्रदेश की परिकल्पना को साकार करने का आधार बनेगा। यह विजन डॉक्युमेंट राज्य की अब तक की सबसे बड़ी जनभागीदारी प्रक्रिया के माध्यम से बनाया गया है। इसमें चार लाख से अधिक नागरिकों, किसानों, विद्यार्थियों, उद्योगपतियों, विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों की सक्रिय भागीदारी रही है। राज्यभर में आयोजित जनसंवाद, निबंध प्रतियोगिताएं, उद्योग जगत से परामर्श, शैक्षणिक सत्र और साइट इंस्पेक्शन से प्राप्त सुझावों को इसमें समाहित किया गया है। यह देश में अपनाई गई अनूठी प्रक्रिया है। मुख्य सचिव अनुराग जैन के अनुसार यह दस्तावेज केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि नागरिकों की आकांक्षाओं और राज्य की सामूहिक दृष्टि का प्रतिबिंब है।

Related Articles