
- एक साल में सरकार ने लिया 42 हजार करोड़ का कर्ज
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार इस साल अब तक 42,500 करोड़ का कर्ज ले चुकी है, जबकि पात्रता 47 हजार 560 करोड़ रुपए की है। अभी चालू वित्त वर्ष का एक माह शेष है। माना जा रहा है कि जिस तरह की सरकारी खजाने की हालत है, उसकी वजह से सरकार इस माह में एक बार और कर्ज ले सकती है। प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद से ही तमाम कामों के लिए सरकार द्वारा कर्ज लिया जा रहा है। बीते माह तो सरकार ने दस हजार करोड़ का कर्ज लिया तो सभी चौंक गए। इसकी वजह है कभी भी सरकार ने एक माह में इतना कर्ज नहीं लिया है। सरकार के खजाने की हालत इससे समझी जा सकती है कि नई सरकार ने अपने ढाई माह के ही कार्यकाल में 17 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया है। प्रदेश की भाजपा सरकार में इस वित्तीय वर्ष के दस महीने (मई, 2023 से अब तक) में 42 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया जा चुका है। यह राशि सरकार की कर्ज लेने के लिए निर्धारित सीमा की करीब 90 प्रतिशत है। सरकार चालू वित्त वर्ष में अधिकतम लगभग 47 हजार 560 करोड़ रुपए का कर्ज ले सकती है। इस तरह से इस माह में सिर्फ 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज और लिया जा सकता है। तत्कालीन शिवराज सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 2000 करोड़ रुपए का पहला कर्ज 26 मई, 2023 को लिया था। आचार संहिता लगने से पूर्व सरकार ने सितंबर में चार किस्तों में कुल 12 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। यहां तक कि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावशील रहते सरकार ने अक्टूबर व नवंबर में तीन किस्तों में 5 हजार करोड़ का लोन लिया था। सत्ता में आने के बाद नई सरकार ने 2000 करोड़ रुपए का पहला कर्ज 20 दिसंबर को लिया था। इसके बाद सरकार ने 18 जनवरी को 2500 करोड़ रुपए, 6 फरवरी को 3000 करोड़ रुपए और 20 फरवरी को 5000 करोड़ का कर्ज लिया था। सरकार ने एक दिन पहले सरकार 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। फरवरी में 22 दिन के भीतर सरकार ने तीसरी बार कर्ज लिया है। प्रदेश सरकार पर वर्तमान में 3 लाख 65 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो चुका है। दरअसल कोई भी राज्य अपने सकल घरेलू उत्पाद का अधिकतम 4 प्रतिशत की सीमा तक ऋण ले सकता है। मप्र का सकल घरेलू उत्पाद 13 लाख 22 हजार 821 रुपए है। इसी के अनुपात में सरकार की कर्ज लेने की सीमा तय की गई है।
क्यों लेना पड़ रहा है कर्ज दर कर्ज
वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक आमतौर पर वित्त वर्ष के आखिरी महीनों (जनवरी से मार्च तक) सरकार ज्यादा कर्ज लेती है, लेकिन इस बार चुनाव से पूर्व की गई लोक लुभावन घोषणाओं को पूरा करने के लिए वित्त वर्ष के शुरुआती महीनों से ही सरकार लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है। मौजूदा बजट के मुताबिक सरकार की आमदनी 2.25 लाख करोड़ रुपए है, जबकि खर्च इससे करीब 54 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है। सरकार की ओर से विधानसभा चुनाव से पूर्व की गई घोषणाओं पर बड़ी राशि खर्च होने के कारण सरकार का हर महीने का खर्च 10 प्रतिशत बढ़ गया है। सरकार का प्रति माह 20 हजार करोड़ का खर्च था, जो जून, 2023 के बाद से बढक़र 22 हजार करोड़ प्रति माह के पार पहुंच गया है। सरकार को लाड़ली बहना योजना, कर्मचारियों के वेतन-भत्तों के भुगतान समेत अन्य विकास कार्यों के लिए हर महीने कर्ज लेना पड़ रहा है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य की वित्तीय स्थिति के आधार पर सरकार की लोन लेने की सीमा निर्धारित की गई है। उसी के दायरे में सरकार लोन ले रही है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार अकेले लाडली बहन योजना में हर महीने साढ़े 1200 से 1300 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।
डीए की किस्त दी तो कर्ज की मजबूरी
सरकार की आय कम है और खर्च उससे अधिक बना हुआ है। ऐसे में सरकार कर्मचारियों को डीए की किस्त नहीं दे पा रही है, लेकिन उनमें पनप रहे असंतोष को देखते हुए सरकार लोकसभा चुनाव से पहले कर्मचारियों को चार प्रतिशत का डीए देने की कवायद कर रही है। अगर डीए की किस्त दी जाती है तो सरकार के इस माह में भी नया कर्ज लेना पड़ेगा। माना जा रहा है कि इ साल के अभी बचे हुए 27 दिन में एक बार फिर सरकार नया कर्ज ले सकती है।