एक ही जगह बनेगी तीन तरह से बिजली

बिजली

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। हवा से बिजली बनाने यानि विंड एनर्जी जनरेशन के मामले में मप्र आत्मनिर्भर बन रहा है। वर्ष 2011 में 219 मेगावाट विंड एनर्जी थी, जो अब 3000 मेगावाट हो गई है। विंड एनर्जी जनरेशन के मामले में मप्र अभी देश में आठवें नंबर पर हैं। मप्र में विंड एनर्जी के मामले को लेकर की गई पड़ताल में यह जानकारी सामने आई। इसमें ये भी पता चला कि मध्य प्रदेश में सिर्फ पश्चिमी हिस्से यानी मालवा के इलाकों में ही विंड एनर्जी के सेटअप लगे हैं। प्रदेश के अन्य इलाकों के मुकाबले यहां हवा की रफ्तार ज्यादा रहती है। पिछले 5 साल में विंड एनर्जी के मामले में काम की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है। इसकी वजह केंद्र सरकार की गाइड लाइन है जिसमें टैरिफ तय करने के अलावा टेंडर के आधार पर ही बिजली खरीदे जाने का जिक्र है।
प्रदेश में वर्ष 2011 में 219 मेगावाट विंड एनर्जी थी, जो अब 3000 मेगावाट हो गई है। खास यह है कि अब बिजली में कॉम्बो यानी हाईब्रिड प्लान लाया जा रहा है। इसमें एक ही जगह पर विंड, हाइडल और सोलर एनर्जी का प्लांट रहेगा। इससे उम्मीदें की जा रही हैं कि विंड सहित पूरी नवकरणीय ऊर्जा के उत्पादन में बढ़ोतरी हो। इसी कारण 2030 तक 30 हजार मेगावाट तक उत्पादन क्षमता का लक्ष्य है। प्रदेश में विंड एनर्जी की नीति वर्ष 2012 की है। इसके बाद से विंड एनर्जी को लेकर कोई नीति ही नहीं बनी। वर्ष 2022 में सरकार नवकरणीय ऊर्जा की नीति लाई है। इसी नीति से विंड एनर्जी को शामिल किया है। सरकार ने विंड एनर्जी की अलग नीति की जरूरत को नकार दिया है। वजह ये कि नवकरणीय ऊर्जा नीति 2022 में सभी वैकल्पिक ऊर्जा के लिए प्रावधान कर दिए हैं।
यहां बन रही हवा से बिजली
प्रदेश में सबसे पहले देवास के नजदीक सोनकच्छ में छोटी सी पहाड़ी पर यह सिस्टम लगे थे। अब देवास के अलावा उज्जैन, धार, आगर मालवा, शाजापुर और रतलाम जिलों के में भी हवा से बिजली पैदा की जा रही है। ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने बताया कि 3 से 15 मीटर प्रति सेकंड रफ्तार की हवा विंड एनर्जी जनरेशन के लिए सबसे ज्यादा सहायक होती है। मप्र में अभी 2500 मेगावाट विंड एनर्जी बन रही है। विंड एनर्जी जनरेशन के मामले में हम अभी देशभर में आठवें नंबर पर हैं। मौसम विशेषज्ञ के शुक्ला के मुताबिक यदि हवा का रुख पश्चिमी है और पहाड़ी या घाटी का ढलान भी पश्चिमी है तो ऐसे स्थान पर हवा की रफ्तार भी ज्यादा रहेगी। इसे विंड वर्ड साइड कहते हैं। मालवा इलाके के ज्यादातर क्षेत्रों में बिल एनर्जी के लिए परिस्थितियां इसीलिए अनुकूल हैं। अन्य इलाके ली साइड में है वहां हवा की रफ्तार कम होती है।
काम्बो एनर्जी प्लांट का प्लान तैयार
प्रदेश में बिजली उत्पादन के लिए 4.50 लाख करोड़ के निवेश रुचि के प्रस्ताव बीते ग्लोबल इंवेस्टर समिट में आए। 95 प्रतिशत प्रस्ताव वैकल्पिक ऊर्जा के थे, लेकिन सबसे अधिक निवेश की रुचि सोलर एनर्जी में दिखाई। विंड एनजी में निवेश के प्रस्ताव कम थे। नई नवकरणीय ऊर्जा नीति के तहत ही हाईब्रिड एनर्जी प्लांट यानी कॉम्बो एनर्जी प्लांट का प्लान तैयार किया है। इसमें एक ही जगह पर हाइडल, सोलर और विंड एनर्जी बनना है। इसके लिए ऐसे स्थानों का चयन हो रहा है। मसलन, नीमच में सोलर और विंड एनर्जी के एक प्लांट लगना है। इसी तरह ओंकारेश्वर में सोलर और हाइडल प्लांट लगना है। कुछ जगह पर तीनों बिजली के प्लांट रहेंगे। विंड एनर्जी को लेकर बहुत ज्यादा फोकस मध्यप्रदेश में नहीं किया गया है। इसकी वजह हवा की गति को लेकर अनिश्चितता है। देवास, नीमच, धार सहित कुछ जगह पर ही विंड की संभावना ज्यादा है। प्रदेश में देवास का विंड एनर्जी प्लांट ही सबसे अधिक सफल रहा है। हवा की गति में अनिश्चितता के कारण ही इसके प्लांट कम लगे हैं। इसी कारण इस क्षेत्र में चुनौतियां ज्यादा हैं। विंड एनर्जी जनरेशन में मप्र देश में आठवें नंबर पर हैं।

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