
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। बिजली विभाग के अफसरों द्वारा लाइन लॉस कम करने के नाम पर दो अरब रुपए खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी लाइन लॉस में कोई कमी नहीं आई है, जिसकी वजह से विभाग की इस योजना पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया है। दरअसल इसके लिए बिजली विभाग द्वारा भोपाल शहर में एक साथ बिजली चोरी रोकने के लिए तीन बड़े प्रोजेक्ट पर काम किया गया, जिनमें हाईवोल्टेज डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम से लेकर एरियल बंच केबल और फीडर सेपरेशन के तहत नए ट्रांसफार्मर लगाना शामिल है। इन कामों को लेकर विभाग का दावा था कि इन पर अमल होते ही शहर में बिजली चोरी बंद हो जाएगी, जिसकी वजह से लाइन लॉस कम होकर 15 फीसदी तक आ जाएगा। खास बात यह है कि यह काम पूरा होने के पांच सालों बाद भी शहर के कई इलकों में लाइन लॉस 50 फीसदी से 78 फीसदी तक बना हुआ है। खास बात यह है कि इसे खुद ही बिजली कंपनी स्वीकार कर रही है। यही नहीं अब तो कंपनी खुद ही कई इलाकों में ट्रांसफार्मर पर बाकायदा लॉस का पूरा विवरण बैनर बनवाकर लगा रही हैं।
इस तरह का कराया गया काम
बिजली कंपनी द्वारा एचवीडीएस हाई वोल्टेज डिस्टीब्यूशन सिस्टम में एचडी लाइन पर ही ट्रांसफार्मर लगाकर सीधे एलटी कनेक्शन दिए गए। इसके तहत हर खंभे से महज 12 से 15 कनेक्शन दिए गए। शुरूआत में इस तरह का प्रयोग 82 क्षेत्रों में किया गया था, बाद में उसका दायरा बढ़ाकर 150 क्षेत्रों तक किया गया। यह प्रयोग खासतौर पर स्लम इलाकों में लागू किया गया। इसके अलावा एबीसी एरियल बंच केबल में करीब 600 किमी लंबी इंसुलेटेड बिजली लाइन बिछाई गई। इसको लेकर दावा किया गया था कि इससे बिजली चोरी पूरी तरह बंद हो जाएगी और खुले तारों की वजह से भी होने वाले नुकसान पर रोक लग सकेगी। कहा जा रहा था कि इसकी वजह से घर के सामने से जा रही बिजली की लाइन पर कोई भी कड़ी नहीं डाल पाएगा। इसके साथ ही लंबी फीडर लाइन को छोटे टुकड़ों में बांटा गया था। जिसके तहत चोरी वाले क्षेत्रों के फीडर अलग कर उनमें विशेष मीटर लगाए गए थे। इसके पीछे दावा किया गया था कि इससे ट्रांसफार्मर से बिजली चोरी करने वालों की पहचान करना आसान हो जाएगा। इस मामले में अब बिजली विशेषज्ञों का कहना है कि इन कामों के आधार पर आज की स्थिति का आंकलन किया जाना चाहिए , जिससे कि वास्तविकता का पता चल सके।
इस तरह से की जा रही चोरी
राजधानी में बिजली मीटर में छेड़छाड़ कर उसे धीमा करने का खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है। यह खेल खासतौर पर उत्तर शहर संभाग यानी पुराने भोपाल में चल रहा है। इस इलाके में बिजली कंपनी इस तरह का मामला पकड़ भी चुकी है। इसके तहत बाकायदा एक घर में इलेक्ट्रॉनिक मीटर में छेद करके उसकी गति धीमी कर दी गई थी। मामले का खुलासा होने के बाद भी कंपनी ने सिर्फ पुलिस में मामला दर्ज करवा कर इतिश्री कर ली जबकि इसकी जांच की जानी चाहिए थी।