नया बिल लागू होने से लगेगा बिजली उपभोक्ताओं को करंट

सरकार इलेक्ट्रिसिटी

बिजली विभाग करेगा हर माह दस करोड़ रुपए की वसूली
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।

सरकार इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल-2022 लागू करना चाहती है। इस बिल को फिलहाल संसद की स्टैंडिंग कमेटी में विचार-विमर्श के लिए भेजा जा चुका है। अगर यह बिल लागू हो जाता है तो अकेले भोपाल के ही दो लाख से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को हर माह 10 करोड़ रुपए का फटका लगना तय है। इस नए बिल में किए गए प्रावधानों की वजह से उपभोक्ताओं का मासिक बिजली बिल में 500 रुपए से लेकर 700 रुपए तक की वृद्वि होना तय है। दरअसल बिल में किए गए प्रावधानों के मुताबिक अब तक जारी सरकारी छूट पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। इसकी वजह से बलों में वृद्वि होगी। इस वजह से ईमानदार बिजली उपभोक्ताओं पर भार बढ़ना तय है।  गौरतलब है कि इस बिल के विरोध में इसी सप्ताह के पहले दिन भोपाल सहित प्रदेशभर में बिजली कंपनी से जुड़े संगठनों द्वारा  एक दिन काम बंद कर हड़ताल तक की जा चुकी है।  इलेक्ट्रिसिटी एक्ट-2003 की धारा 61(जी) में संशोधन कर विद्युत वितरण लाइसेंसी को बिजली की पूरी लागत वसूलने का अधिकार दिया गया है।  इसके तहत राज्य का विद्युत नियामक आयोग हर श्रेणी के उपभोक्ता के लिए केवल अधिकतम और न्यूनतम टैरिफ निर्धारित करेगा। टैरिफ नीति में बदलाव से सब्सिडाइज्ड उपभोक्ताओं के बिलों में अचानक से वृद्धि हो जाएगी।
मिल जाएगा 16 फीसदी मुनाफे का अधिकार
इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल-2022 लागू होने पर बिजली कंपनियों को कम से कम 16 प्रतिशत मुनाफा लेने का अधिकार मिल जाएगा। यह मुनाफा मौजूदा दर प्रति यूनिट करीब 7.45 रुपए पर वसूला जाएगा। ऐसा होने पर बिजली का टैरिफ बढ़ कर कम से कम 10 रुपए प्रति यूनिट तक पहुंच जाएगा। खास बात यह है की अगर बिजली महकमा सिर्फ बिजली चोरी पर पूरी तरह से रोक लगा ले तो कंपनियों को हर साल होने वाले अरबों रुपए के घाटे से मुक्ति मिल जाएगी। यही नहीं इसकी वजह से उपभोक्तओं को भी समय -समय पर होने वाली दर व़ृद्वि से भी मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन सरकार और बिजली महकमा इस मामले में पूरी तरह से लापरवाह बना रहता है।
फायदे वाले इलाके निजी हाथों में जाएंगे
इस बिल में किए गए नए प्रावधानों का फायदा उठाते हुए बिजली कंपनियों के प्रबंधन द्वारा निजी लोगों को उपकृत करने की तैयारी कर ली गई है। यही वजह है कि घाटे वाले इलाकों की जगह मुनाफा वाले इलाके निजी हाथों में दिए जाने की तैयारी  है। इसके तहत समय पर और पूरा बिल भुगतान करने वाले अरेरा कॉलोनी जैसे क्षेत्र निजी कंपनियों के पास रहेंगे , जबकि पुराने शहर के घाटे वाले क्षेत्रों को सरकारी कंपनियां ही चलाएंगी। इनमें आरिफ नगर , बाजपेयी नगर जैसे इलाके शामिल हैं। इसके अलावा किए गए प्रावधानों के मुताबिक निजी कंपनियों को सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति करने की बाध्यता से भी मुक्ति मिल जाएगी।  निजी क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियां घाटे वाले क्षेत्र के उपभोक्ताओं को बिजली नहीं देंगी। केवल मुनाफे वाले क्षेत्र में ही काम के लिए लाइसेंस लेंगी।
सरकारी नेटवर्क से मुनाफा कमाएंगे निजी कंपनियां
निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियां सरकारी बिजली वितरण कंपनी का नेटवर्क इस्तेमाल करेंगी। उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने के साथ ही बिजली का लोड बढ़ेगा, जिससे बिजली की दिक्कत बढ़ सकती है। नेटवर्क सुदृढ़ बनाने का काम सरकारी क्षेत्र का होगा, लेकिन निजी कंपनियों के लिए सरकार क्यों राशि खर्च करेगी, ऐसे में बिजली लाइन बदहाल होने की आशंका है। निजी क्षेत्र की कंपनियां मात्र व्हीलिंग चार्ज देकर सरकारी नेटवर्क का उपयोग करेंगी।

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