ढाई अरब के अनुदान के लिए बिजली कंपनी ने रची झूठी कहानी

बिजली कंपनी

– केन्द्र से मिली ढाई अरब की राशि

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बिजली कंपनियां अभी तक तो आंकड़ों का खेल खेलकर आम आदमी की जेब काटने में ही लगी रहती थीं, लेकिन अब तो वे केन्द्र सरकार से मिलने वाले अनुदान को हजम करने के लिए भी इसी तरह का खेल करने में पीछे नहीं रह रही हैं। ऐसे ही आंकड़ेबाजी का शिकार हो गई है केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य)। इस योजना का काम समय पर पूरा नहीं किया और उसे कागजों में पूरा होना बता डाला गया। इन आंकड़ों को देखकर केन्द्र सरकार ने भी  250.53 करोड़ का अतिरिक्त अनुदान जारी कर दिया। इसी तरह से कंपनियों ने नियमों को दरकिनार कर कर्ज पर कर्ज उठा लिया। इससे कंपनियों को 118.01 करोड़ का चूना लग गया।  कैग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। बता दें कि सौभाग्य योजना के तहत शहर से लेकर गांव तक गरीब परिवारों के घर पर फ्री में बिजली कनेक्शन दिए जाने थे। इसके लिए केंद्र ने राशि दी थी। ये काम मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र बिजली कंपनियों को अपने- अपने कार्य क्षेत्र में कराने थे। इन कंपनियों ने काम को गंभीरता से न लेते हुए इतना धीमा काम कराया कि तय की गई अंतिम तिथि निकल गई लेकिन काम पूरा नहीं हो पाया।
अनुदान नहीं ले सकीं बिजली कंपनियां
बिजली वितरण कंपनियों ने दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में भी गड़बड़ी की। परियोजनाओं में 10 से 18 माह की देरी की। जबकि काम करने में 22 महीने तक का अधिक समय लगाया है। इसके कारण 0.63 करोड़ का अतिरिक्त व्यय हुआ। इस देरी के कारण कंपनियों को केंद्र से 102.96 करोड़ रुपए का अनुदान भी नहीं मिल पाया है। अहम बात यह है कि इस तरह की गड़बडिय़ों को लेकर बिजली कंपनी प्रबंधन पर सरकार द्वारा भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
इस तरह की सामने आई गड़बड़ी
– 977,056 घरों को बिजली कनेक्शन देने थे, इसकी तुलना में 5,09,053 घरों को कनेक्शन दिए।
– कंपनियों ने नियम विरुद्ध ठेकेदारों को 42.74 करोड़ रुपए अतिरिक्त भुगतान कर दिए।
– निविदा बिना 1,38,054 घरों के लिए 50.62 करोड़ के आदेश किए।
– पूर्व क्षेत्र कंपनी ने नियमों की अनदेखी कर 98.93 करोड़ से अधिक का कर्ज लिया और उस पर 24.65 करोड़ का ब्याज भर दिया।
– बिना डीपीआर बनाए ही काम किए गए। निविदा प्रक्रिया बुलाए बिना काम कराए। घरों की पहचान ही नहीं की और कागजों में कनेक्शन दे दिए।

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